जनजातीय धार्मिक मान्यताओं में महादेव का प्रमुख स्थान है। प्रायः अधिकांश वनवासी जातियों की उत्पत्ति की मूल कथा में माता पार्वती एवं भगवान शंकर का वर्णन मिलता है। वे अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना अपने-अपने ढंग से करते हैं। ‘गौरा उत्सव’ गोंड जाति का एक प्रमुख पर्व है। ‘गौरा’ का …
Read More »छत्तीसगढ़ में चौमासा
जेठ की भीषण तपन के बाद जब बरसात की पहली फ़ुहार पड़ती है तब छत्तीसगढ़ अंचल में किसान अपने खेतों की अकरस (पहली) जुताई प्रारंभ कर देता है। इस पहली वर्षा से खेतों में खर पतवार उग आती है तब वर्षा से नरम हुई जमीन पर किसान हल चलाता है …
Read More »विश्व कल्याणकारी सनातन धर्म प्रवर्तक आदि शंकराचार्य
आठ वर्ष की आयु में दक्षिण से निकले और नर्मदा तट के ओमकारेश्वर में गुरु गोविंदपाद के आश्रम पर जा पहुंचे। जहां समाधिस्थ गुरु ने पूछा, “बालक! तुम कौन हो”? बालक शंकर ने उत्तर दिया,” स्वामी! मैं ना तो मैं पृथ्वी हूं, ना जल हूं ना अग्नि, ना वायु, ना …
Read More »अक्षय तृतीया का सामाजिक महत्व एवं व्यापकता
अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय या नाश ना हो। हिन्दू पंचाग के अनुसार बारह मासों की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि शुभ मानी जाती है, परंतु वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि स्वयं सिद्ध मुहूर्त में होने के कारण हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है। ऋतु परिवर्तन काल …
Read More »पौराणिक आस्था का मेला शिवरीनारायण
आदिकाल से छत्तीसगढ अंचल धार्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। यहां अनेक राजवंशों के साथ विविध आयामी संस्कृतियां पल्लवित व पुष्पित हुई हैं। यह पावन भूमि रामायणकालीन घटनाओं से भी जुड़ी हुई है। यही कारण है कि छत्तीसगढ में शैव, वैष्णव, जैन एवं बौध्द धर्मों का समन्वय रहा है। वैष्णव …
Read More »प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि का पर्व : मकर संक्रांति
संक्रांति का तात्पर्य संक्रमण से है, सूर्य का एक राशि से अगली राशि में जाना संक्रमण कहलाता है। वैसे तो वर्ष में 12 संक्रांतियाँ होती हैं, परन्तु मकर, मेष, धनु, कर्क आदि चार संक्रांतियाँ देश के विभिन्न भू-भागों पर मनाई जाती हैं। इसमें अधिक महत्व मकर संक्रांति को दिया जाता …
Read More »आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि
वाल्मीकि जयंती महान लेखक और महर्षि वाल्मीकि के जन्मदिवस की स्मृति के रूप में मनाई जाती है । महर्षि वाल्मीकि महान हिंदू महाकाव्य रामायण के लेखक होने के साथ-साथ संस्कृत साहित्य के पहले कवि भी हैं। उन्होंने रामायण नामक अद्भुत काव्य ग्रंथ की रचना की। उनके द्वारा लिखित भगवान राम …
Read More »चोड़रापाट के डोंगेश्वर महादेव : सावन विशेष
वर्तमान समय आपाधापी का समय है। मनुष्य इस आपाधापी के कारण मानसिक शांति से कोसों दूर हैं। सुख-सुविधा की चाहत में मनुष्य इतना उलझ गया है कि भौतिक संपदाओं की उपलब्धि के बावजूद भी न तो उसकी आंखों में नींद है, और न ही मन में चैन। ऐसी स्थिति में …
Read More »सरगुजा अंचल स्थित प्रतापपुर जिले के शिवालय : सावन विशेष
सरगुजा संभाग के सूरजपुर जिला अंतर्गत प्रतापपुर से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व दिशा में पहाड़ों की पीठ पर ग्राम पंचायत शिवपुर में शिवपुर तुर्रा नामक स्थल प्रसिद्ध है। यहीं शिव मंदिर के अंदर जलकुण्ड में अर्द्धनारीश्वर शिवलिंग विराजमान हैं। इस शिवलिंग में शिव एवं पार्वती दोनों के …
Read More »भारतीय सांस्कृतिक एकता का प्रतीक रथ दूज पर्व
छत्तीसगढ़ अंचल में रथदूज या रथयात्रा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जगह-जगह भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है तथा इस दिन मांगलिक कार्य करना भी शुभ माना जाता है। वैसे तो मुख्य रथयात्रा का पर्व उड़ीसा के पुरी में मनाया जाता है, परन्तु छत्तीसगढ़ की सीमा साथ …
Read More »