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Monthly Archives: July 2021

ग्रामीण संस्कृति का अविभाज्य अंग वनवृक्ष साल

वृक्ष हमारी संस्कृति एवं जीवन का अभिन्न अंग है, इनके बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। जब हम लद्धाख के वृक्ष विहीन पर्वतों एवं भूमि को देखते हैं तो लगता है किसी दूसरे ग्रह पर पहुंच गए, जहां जीवन नहीं है। इन वृक्षों में जीवन का सार …

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उड़न खटोले पर बैठी दक्षिण कोसल की एक प्राचीन प्रेम कथा

तत्कालीन दक्षिण कोसल एवं वर्तमान छत्तीसगढ़ की एक ऐसी अमर प्रेम कथा जो पूरे देश भर में सुनी सुनाई जाती है। कामकंदला की प्रेम गाथा को अपने समय के दिग्गज विद्वानों ने लिखा। लोक गाथाओं में रची बसी माधवनल और कामकंदला की प्रेम कथा जनमानस में आज भी छाई हुई …

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सरगुजा अंचल स्थित प्रतापपुर जिले के शिवालय : सावन विशेष

सरगुजा संभाग के सूरजपुर जिला अंतर्गत प्रतापपुर से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व दिशा में पहाड़ों की पीठ पर ग्राम पंचायत शिवपुर में शिवपुर तुर्रा नामक स्थल प्रसिद्ध है। यहीं शिव मंदिर के अंदर जलकुण्ड में अर्द्धनारीश्वर शिवलिंग विराजमान हैं। इस शिवलिंग में शिव एवं पार्वती दोनों के …

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गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का महान पर्व गुरु पूर्णिमा

“गुरु परम्परा से निरन्तर जो शक्ति प्राप्त होते आयी है, उसी के साथ अपना संयोग स्थापित करना होगा, क्योंकि वैराग्य और तीव्र मुमुक्षुत्व रहने पर भी गुरु के बिना कुछ नहीं हो सकेगा। शिष्य को चाहिए कि वह अपने गुरु को परामर्शदाता, दार्शनिक, सुहृदय और पथप्रदर्शक के रूप में अंगीकार …

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दक्षिण कोसल की स्थापत्य कला में नृत्य एवं वाद्यों का शिल्पांकन

ऐसा कौन अभागा है, जिसे गायन, वादन, नृत्य दर्शन एवं संगीत श्रवण न रुचता होगा। प्रकृति में चहूं ओर संगीत भरा पड़ा है, कहीं शुन्यता नहीं है। इसी संगीत से मनुष्य ने भी स्वयं को जोड़ा एवं विभिन्न ध्वनियों के लिए वाद्य निर्मित किए एवं स्वयं को उसकी लय-ताल में …

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एक ऐसा स्थान जहाँ के पत्थर बोलते हैं

भारत में बहुत सारे स्थान ऐसे हैं जहाँ बोलते हुए पत्थर पाये जाते हैं, पत्थरों पर आघात करने से धातु जैसी ध्वनि निकलती है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा का ठिनठिनी पखना हो या कर्णाटक के हम्पी का विट्ठल मंदिर या महानवमी डिबा के पास का हाथी। इन पर चोट करने से …

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बस्तर के जनजातीय समाज में नारी का स्थान एवं योगदान

आज जब समाज, साहित्य, सिनेमा में सर्वत्र नारी विमर्श जारी है, उनकी अस्मिता, उनके अधिकार और संरक्षण के लिये मनन-चिन्तन किया जा रहा है। ऐसे समय में बस्तर का सबसे बड़ा वनवासी समाज शान्त है। जैसे यह विषय उसका है ही नहीं, जैसे उसे इससे कुछ लेना-देना ही नहीं है, …

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भोजन में निहित है मनुष्य के स्वास्थ्य का राज

धरती के किसी भी प्राणी को जीवन संचालन के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है एवं प्राण संचालन की उर्जा भोजन से प्राप्त होती है। मनुष्य भी चौरासी लाख योनियों में एक विवेकशील प्राणी माना गया है, इसे भी उर्जा के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। अन्य सभी प्राणियों …

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जानो गाँव के प्रस्तर शिल्पकार

बचपन की यादें जब स्मृतियों में आकार लेती हैं, तो मन कौतूहल और प्रसन्नता से भर जाता हैं। बचपन यादों का पिटारा है, जिनमें रंग-बिरंगी और मजेदार यादें समाहित रहती हैं। अवसर पाकर ये यादे हमारी आँखों के सामने नाचने लगती हैं। जब हम छोटे थे तो सभी बच्चे परस्पर …

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भारतीय सांस्कृतिक एकता का प्रतीक रथ दूज पर्व

छत्तीसगढ़ अंचल में रथदूज या रथयात्रा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जगह-जगह भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है तथा इस दिन मांगलिक कार्य करना भी शुभ माना जाता है। वैसे तो मुख्य रथयात्रा का पर्व उड़ीसा के पुरी में मनाया जाता है, परन्तु छत्तीसगढ़ की सीमा साथ …

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