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पर्यावरण

इस विभाग में हमारे जल, जंगल, जमीन से संबंधित शोध एवं आलेख होंगे।

नरोधी नर्मदा जहाँ झिरिया से बुलबुलों में निकलता है जल

लोक गाँवों में बसता है। इसलिए लोक जीवन में सरसता है। निरसता उससे कोसों दूर रहती है। लोक की इस सरसता का प्रमुख कारण, प्रकृति से उसका जुड़ाव है। लोक प्रकृति की पूजा करता है। आज भी गाँवों में जल को वह चाहे नदी हो, या तालाब का, किसी झरने …

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राष्ट्रीय एकात्मता का प्रतीक : विवेकानन्द शिला स्मारक

स्वामी विवेकानन्द ने 19 मार्च, 1894 को स्वामी रामकृष्णानन्द को लिखे पत्र में कहा था – “भारत के अंतिम छोर पर स्थित शिला पर बैठकर मेरे मन में एक योजना का उदय हुआ- मान लें कि कुछ निःस्वार्थ सन्यासी, जो दूसरों के लिए कुछ अच्छा करने की इच्छा रखते हैं, …

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लोक संस्कृति का जीवन सरिताएं

पर्यावरण दिवस विशेष आलेख भारतीय संस्कृति में नदियों का बड़ा सम्मान जनक स्थान है। नदियों को माँ कहकर इनकी पूजा की जाती है। ये हमारा पोषण अपने अमृत समान जल से करती हैं। अन्य सभ्यताओं में देखें तो उनमें नदियों का केवल लौकिक महत्व है। लेकिन भारत में लौकिक जीवन …

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प्राचीन तालाब संस्कृति और रायपुर के तालाब

पानी सहेजते तालाब सदियों बनते रहे हैं जो अतीत की धरोहर बनें हमारी जीवनचर्या का कभी एक अभिन्न अंग थे। तालाब बनवाना, कुआं खुदवाना एक धार्मिक कार्य था। जहां नदियां नहीं थी वहां तालाब ही सब की प्यास बुझाते थे। छत्तीसगढ़ में हजारों हजार तालाब समय समय पर बनाएं गये। …

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भारतीय संस्कृति में पक्षियों का स्थान

पक्षी प्रेम और पक्षी निहारने की बहुत ही सशक्त परम्परा भारतीय समाज में प्राचीन काल से रही है। विविध पक्षियों को देवताओं के वाहन के रूप में विशेष सम्मान दिया गया है। भारतीय संस्कृति में पक्षियों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। विष्णु का वाहन गरूड, ब्रह्मा और सरस्वती का …

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वाल्मीकि रामायण में वर्णित पेड़ पौधे

भगवान श्री राम के जीवन का लंबा समय वनवास में व्यतीत हुआ था, अतः वनों से भारतीय संस्कृति का सम्बंध उनके काल से ही घर-घर में पहुँच चुका था जब वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना कर दी थी। लेकिन आजकल वाल्मीकि जी द्वारा सँस्कृत में रचित पूर्ण रामायण कम …

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मिट्टी की गुणवत्ता एवं जैव विविधता का संरक्षण आवश्यक

हमारी धरती धन-धान्य से सदैव भरी रहे अक्षय रहे अक्षय तृतीया का पर्व इन्हीं महत्व को उजागर करता है। छत्तीसगढ़ में अक्ती त्यौहार के साथ खेती किसानी की शुरुआत होती है। किसान अच्छी फसल के लिए धरती माता, बैल, खेती-बाड़ी के औजार और बीजों की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेते …

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सनातन विश्व में पर्यावरण क्रांति के अग्रदूत : श्री कृष्ण

श्री कृष्ण जनमाष्टमी विशेष आलेख पर्यावरण संरक्षण की चेतना वैदिक काल से ही प्रचलित है। प्रकृति और मनुष्य सदैव से ही एक दूसरे के पूरक रहे हैं। एक के बिना दूसरे की कल्पना करना बेमानी है। वैदिक काल के ध्येय वाक्य “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की अभिधारणा लिए प्रकृति और मनुष्य …

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शोषित नदियों की आँखों से, अश्रुधार झरते देखा

जीवनदात्री पर लोगों को, घोर जुल्म करते देखा है ।शोषित नदियों की आँखों से, अश्रुधार झरते देखा है । बड़े-बड़े बाँधों की बेड़ी, बँधी पाँव में सरिताओं के। ढोने को कचरे की ढेरी , सिर लादी नगरों- गाँवों के। रोग प्रदूषण का है जकड़ा, तिल-तिल कर मरते देखा है। शोषित …

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तितली सुन्दरी छत्तीसगढ़ की ऑरेंज ऑकलीफ

सबसे सुंदर रंग-बिरंगी तितली कौन-सी है! सुन्दर तितली का चयन विश्व सुंदरी की तर्ज पर हुआ। तितली सुन्दरी प्रतियोगिता में ‘ऑरेंज ऑकलीफ’ ने बाजी मारी और उसका नाम भारत की राष्ट्रीय तितली में दर्ज हो गया। छत्तीसगढ़ के भोरमदेव अभ्यारण में पाई जाने वाली तितली को राष्ट्रीय तितली का खिताब …

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