आधुनिक हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा में लघु पत्रिका आंदोलन का भी एक नया पड़ाव आया था। देश के हिन्दी जगत में मुख्य धारा की पत्रिकाओं से इतर यह एक अलग तरह की साहित्यिक धारा थी । भारतीय इतिहास में दक्षिण कोसल के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ में इस नयी …
Read More »Monthly Archives: September 2019
नाचा : छत्तीसगढ़ का लोकनाट्य
छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक इतिहास की पृष्ठ भूमि मुख्यतः यहाँ का ग्रामीण जनजीवन है ।यहाँ की ग्रामीण संस्कृति में लोकनाटकों का प्रारंभ से ही बड़ा महत्व रहा है । छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक सौम्यता के दर्शन यहाँ के देहातों की नाट्य मण्डलियों के सीधे -सादे ,आडम्बरहीन परन्तु रोचक कार्यक्रमों में होते हैं। …
Read More »चीन को टक्कर देना है तो देश के परम्परागत शिल्पकारों को प्रोत्साहित करना होगा
जहाँ पर मानव सभ्यता के विकास का वर्णन होता है वहां स्वत: ही तकनीकि रुप से दक्ष परम्परागत शिल्पकारों के काम का उल्लेख होता है। क्योंकि परम्परागत शिल्पकार के बिना मानव सभ्यता, संस्कृति तथा विकास की बातें एक कल्पना ही लगती हैं। शिल्पकारों ने प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक …
Read More »छत्तीसगढ़ का कथक नृत्य का रायगढ़ घराना
साहित्य ,कला और संस्कृति के क्षेत्र में दक्षिण कोसल यानी वर्तमान छत्तीसगढ़ प्राचीन काल से ही अत्यंत समृद्ध रहा है । भरत मुनि के नाट्य शास्त्र में वर्णित गुहा नाट्य शाला का वर्णन है, पुराविद मानते हैं कि सरगुजा के रामगढ़ की पर्वतीय गुफा स्थित सीता बेंगरा विश्व की प्राचीनतम …
Read More »बस्तर का नवाखाई त्यौहार एवं परम्परा
बस्तर अंचल के खेतीहर किसान उदार प्रकृति के प्रति सदैव कृतज्ञ रही है। उनकी संस्कृति में प्रकृति से उपजे उपादानों के लिए, नयी फसल के आने पर उसे ग्रहण करने से पूर्व समारोह पूर्वक कृतज्ञता अर्पण करता है। वैसे तो बस्तर अंचल में बारहों मास प्रकृति से प्राप्त किसी न …
Read More »बस्तर का तीजा व्रत एवं तीजा जगार
छत्तीसगढ़ अंचल के अन्य त्यौहारों में तीजा व्रत भी प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार भासो मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को प्रदेश के सरगुजा क्षेत्र से लेकर बस्तर तक मनाया जाता है। पोला तिहार से इस पर्व की तैयारी प्रारंभ हो जाती है। विवाहित बेटियाँ-बहने अपने भाई के आने …
Read More »यहाँ लगता है देव न्यायालय एवं मिलता है देवी देवताओं को दंड
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में एक ऐसा स्थान है जहाँ प्रतिवर्ष भादौ मास में देव न्यायलय लगता है, जहाँ लोग अपने-अपने ग्राम के देवी-देवताओं को लेकर पहुंचते हैं। इस न्यायालय में देवी-देवता आरोपी होते हैं और फ़रियादी होते हैं ग्राम वासी। इस देव न्यायालय में देवी देवताओं की पेशी होती …
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