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Tag Archives: नवरात्रि

सत्य की स्थापना के लिये शक्ति, शस्त्र और सक्षमता आवश्यक : दशहरा विशेष

सनातन परंपरा में मनाये जाने वाले तीज त्यौहार केवल उत्सव भर नहीं होते उनमें जीवन को सुन्दर बनाने का संदेश होता है। दशहरा उत्सव में भी संदेश है। यह संदेश है व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र की समृद्धि का जो इसकी कथा और उसे मनाने के तरीके से बहुत स्पष्ट …

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बिंझवार समाज की कुल देवी विंध्यवासिनी माई

भारतीय संस्कृति में आदि काल से ही देवी देवताओं का मानव समाज में महत्त्व रहा है, भारत भूमि देवी-देवताओं तथा ऋषि मुनियों के संस्मरणों से समृद्ध है। सनातन धर्म को मानने वाले सभी समाजों एवं जातियों में मातृ शक्ति की उपासना किसी न किसी रुप में प्राचीन काल से होती …

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छत्तीसगढ़ के प्रमुख शक्ति स्थल

छत्तीसगढ़ में देवियां ग्रामदेवी और कुलदेवी के रूप में पूजित हुई। विभिन्न स्थानों में देवियां या तो समलेश्वरी या महामाया देवी के रूप में प्रतिष्ठित होकर पूजित हो रही हैं। राजा-महाराजा, जमींदार और मालगुजार भी शक्ति उपासक हुआ करते थे। वे अपनी राजधानी में देवियों को ‘‘कुलदेवी’’ के रूप में …

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आदि शक्ति माँ सरई श्रृंगारिणी देवी

तीन दिनों से लगातार बारिश की झड़ी के मध्य अचानक कार्यक्रम बना कि कहीं भ्रमण पर जाया जाए। तभी मुझे सरई श्रृंगार का ध्यान आया, बहुत दिनों से वहां जाने का विचार था परंतु अवसर नहीं मिल पा रहा था, आज बारिश की झड़ी ने यह अवसर हमें दे दिया। …

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बीहड़ वन में गुफ़ा निवासिनी सुंदरा दाई

सनातन संस्कृति में देवी – देवताओं की पूजा -अर्चना का इतिहास आदि काल से ही रहा है। भारत की संस्कृति विश्व में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। भारत वर्ष में अलग -अलग जगहों पर मंदिरों में विराजी आदि देवी शक्तियों की गाथाएं और जन श्रुतियाँ जनमानस के साथ आस्था और विश्वास …

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चिरमिरी बरतुंगा कालरी में 14 वीं शताब्दी का सती मंदिर

चिरमिरी बरतुंगा कालरी में प्राचीन देवालय के अवशेष स्थित हैं। भग्नावशेषों में यहाँ बहुत सारे सती स्तंभ हैं, जो इस क्षेत्र में फ़ैले हुए हैं। यहाँ नवरात्रि में जातीय एवं जनजातीय समाज के लोग सती माता की आराधना एवं उपासना करते हैं। प्राचीन सती मंदिर बरतुंगा चैत्र नवरात्र के दिनों …

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बुचीपुर की महामाया माई

हाफ नदी के सुरम्य तट पर बेमेतरा जिला के नवागढ़ तहसील में बसा छोटा सा गांव बुचीपुर है। यह गांव छत्तीसगढ़ के अन्य गांव के समान ही खेती किसानी वाला गांव है, परंतु इसकी प्रसिद्धि यहां विराजमान माँ महामाया के नाम से दूर-दूर तक है। दूर-दूर से यहां श्रद्धालु आते …

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मल्हार की तपोलीन डिडिनेश्वरी देवी

अरपा, लीलागर और शिवनाथ नदी के बीच में बसी है प्राचीन नगरी मल्हार। कई धर्म, संस्कृतियों की धरोहरों को समेटे हुए यह कलचुरियों का गढ़ रही है। भगवान शिव के उपासक कलचुरि नरेश ने यहां मल्लाषरि, मल्लारी शिव का मंदिर बनवाया था। मल्लासुर दैत्य का संहार करने वाले शिव का …

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जानिए संवत्सर क्या है?

विश्व भर में विभिन्न धर्म/सम्प्रदाय को मानने वाले हैं। प्रत्येक का अपना एक पंचाग या कैलेंडर है। इन्हीं तिथियों के अनुसार विभिन्न पर्व, व्रत-त्योहार परंपरागत रूप से मनाए जाते हैं। इसी प्रकार नए वर्ष को भी बड़े पर्व के रूप में मनाने की परपरा दिखाई देती है। ग्रेगेरियन कैलेंडर के …

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बागबाहरा कलां की तीन देवियाँ

हमारे देश भारत एवं विदेशों में भी आदि शक्ति जगतजननी मां जगदंबा शक्तिपीठों में विराजमान हैं। जहाँ उन्हें कई नाम एवं कई रूपों में बारहों महीने पूजा जाता हैं और चैत कुंवार के नवरात्रि में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। जहां श्रद्धालु जन भारी संख्या में मनोकामना पूर्ति हेतु …

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