प्राचीन दंडकवन ॠषि मुनियों की तप स्थली रहा है, रामायण में दण्डकारण्य के बहुत सारे ॠषि मुनियों का जिक्र आता है। दंडकारण्य की तत्कालीन भौगौलिक स्थिति के विषय में विद्वानों की भिन्न भिन्न राय है, परन्तु यह तो तय है कि प्राचीन दक्षिण कोसल दंडकारण्य का ही हिस्सा रहा है। …
Read More »Monthly Archives: December 2020
जशपुर के बाला साहब : जन्म दिवस विशेष
आज से लगभग सत्तर साल पहले जशपुर का वनवासी अंचल जब अशिक्षा, निर्धनता, बेकारी झेल रहा था और ईसाई मिशनरियां इसका फ़ायदा उठाकर उन्हें बेरोकटोक षड़यंत्रपूर्वक धर्मांतरित कर रही थी तब एक युवा वहाँ नौकरी करने आया था, जब उसने यह सब देखा तो नौकरी छोड़कर निर्धन एवं अशिक्षित वनवासियों …
Read More »हे भारत ! क्या तुम्हें याद है ?
स्वामी विवेकानंद का राष्ट्रध्यान 25, 26 तथा 27 दिसंबर, 1892 आज 25 दिसंबर को दुनियाभर में “क्रिसमस” पर्व की धूम है। भारत में भी जगह-जगह क्रिसमस की शुभकामनाओंवाले पोस्टर्स, बैनर, ग्रीटिंग्स का माहौल है। पर 25 दिसंबर, हम भारतीयों के लिए क्या महत्व रखता है? इस बात को समझना होगा। …
Read More »छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण शिल्पी : श्री अटल बिहारी बाजपेयी
भारत की आजादी के बाद राज्यों का जो नया बँटवारा हुआ उसमें पहले सी.पी. एंड बरार और बाद में मध्य प्रदेश का हिस्सा बने छत्तीसगढ़ ने कई तरह की उपेक्षाओं को महसूस किया। उपेक्षा का यह एहसास निहायत अंदरुनी था। एक तरफ, मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल …
Read More »कोसल के कलचुरियों से बस्तर के सम्बन्ध
बस्तर रियासत पर रतनपुर के कलचुरि शासन के प्रभाव से सम्बन्धित कई तरह की कहानियाँ चलन में है; अत: थोडी बात कलचुरियों की। लगभग दसवी शताब्दी में त्रिपुरी से आ कर कलचुरियों की एक शाखा नें दक्षिण कोसल पर विजय हासिल की तथा कलिंगराज (1000-1020 ई.) नें अपनी सत्ता स्थापित …
Read More »मित्रता की फ़ूलवारी : मितान
मित्र का सभी मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। किसी व्यक्ति के मित्रों के व्यक्तित्व से ही संबंधित व्यक्ति के व्यक्तित्व का अंदाजा सहज रूप से लगाया जा सकता है। सरल शब्दों में कहा जाये तो दो मित्र एक दूसरे का प्रतिबिंब होते हैं। ये एक ऐसा नाता …
Read More »गुरु घासीदास जी के सात संदेश एवं बयालिस अमृतवाणियाँ
गुरु घासीदास जी के पूर्वज उत्तरी भारत में हरियाणा के नारनौल के निवासी थे। वे सतनाम संप्रदाय से संबंधित थे। सन् 1672 में मुगल बादशाह औरंगजेब से युद्ध के बाद नारनौल के सतनामी यहां से पलायन कर गए। इनमें से कुछ उत्तर प्रदेश में जा बसे और कुछ उड़ीसा के …
Read More »साहित्य महर्षि लाला जगदलपुरी : जन्म शताब्दी
अपनी लगभग 77 वर्षों की सुदीर्घ साहित्य साधना से छत्तीसगढ़ और बस्तर वनांचल को देश और दुनिया में पहचान दिलाने वाले लाला जगदलपुरी आज अगर हमारे बीच होते तो आज 17 तारीख़ को अपनी जीवन यात्रा के सौ वर्ष पूर्ण कर 101 वें वर्ष में प्रवेश कर चुके होते। लेकिन …
Read More »भारत के एकीकरण में सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका
भारत का बिस्मार्क, लौह पुरूष,सरदार जैसी संज्ञाओं से विभूषित भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल को कौन भूल सकता है भला? देश की स्वतंत्रता के पश्चात भारत वर्ष के सुदृढ़ीकरण और एकीकरण के लिए वे भारतीय इतिहास में सदा-सदा के लिए अमर हो गए हैं। 31 अक्टूबर सन् 1875 को गुजरात …
Read More »विराट नगर का शिवालय एवं मूर्ति शिल्प
प्राचीन विराट नगर आज का सोहागपुर है, यह वही सोहागपुर है, जहाँ नानक टेकरी भी है, कहते हैं कि गुरु नानक देव के चरण यहाँ पर पड़े थे फ़िर यहाँ से कबीर चौरा अमरकंटक पहुंचे, जहाँ कबीर दास एवं गुरु नानक की भेंट की जनश्रुति सुनाई देती है। यहाँ अन्य …
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