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Tag Archives: शाक्त परम्परा

धर्म एवं आस्था का केन्द्र माँ बमलेश्वरी

छत्तीसगढ़ प्रदेश के राजनांदगांव जिलान्तर्गत दक्षिण पूर्वी मध्य रेल्वे के स्टेशन और रायपुर नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में महाराष्ट्र प्रांत से लगा सीमांत तहसील मुख्यालय डोंगरगढ़ हैं। ब्रिटिश शासन काल में यह एक जमींदारी थी। प्राचीन काल से विमला देवी यहां की अधिष्ठात्री है जो आज बमलेश्वरी देवी के नाम से …

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बिंझवार समाज की कुल देवी विंध्यवासिनी माई

भारतीय संस्कृति में आदि काल से ही देवी देवताओं का मानव समाज में महत्त्व रहा है, भारत भूमि देवी-देवताओं तथा ऋषि मुनियों के संस्मरणों से समृद्ध है। सनातन धर्म को मानने वाले सभी समाजों एवं जातियों में मातृ शक्ति की उपासना किसी न किसी रुप में प्राचीन काल से होती …

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छत्तीसगढ़ के प्रमुख शक्ति स्थल

छत्तीसगढ़ में देवियां ग्रामदेवी और कुलदेवी के रूप में पूजित हुई। विभिन्न स्थानों में देवियां या तो समलेश्वरी या महामाया देवी के रूप में प्रतिष्ठित होकर पूजित हो रही हैं। राजा-महाराजा, जमींदार और मालगुजार भी शक्ति उपासक हुआ करते थे। वे अपनी राजधानी में देवियों को ‘‘कुलदेवी’’ के रूप में …

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आदि शक्ति माँ सरई श्रृंगारिणी देवी

तीन दिनों से लगातार बारिश की झड़ी के मध्य अचानक कार्यक्रम बना कि कहीं भ्रमण पर जाया जाए। तभी मुझे सरई श्रृंगार का ध्यान आया, बहुत दिनों से वहां जाने का विचार था परंतु अवसर नहीं मिल पा रहा था, आज बारिश की झड़ी ने यह अवसर हमें दे दिया। …

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महानदी तट पर स्थित चंद्रहासिनी देवी

भारत के सम्बन्ध में विद्वानों का मानना है कि सिंधु घाटी की सभ्यता के नागरिक जिन देवताओं की पूजा-अर्चना करते थे वे आगामी वैदिक सभ्यता में पशुपति और रुद्र कहलाएं तथा वे जिस मातृका की उपासना करते थे वे वैदिक सभ्यता में देवी का आरम्भिक रुप बनी। भारतीय इतिहास गवाह …

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कोरबा की सर्वमंगला माई

कोरबा में हसदेव मंदिर के दाहिने तट पर विराजित माँ सर्वमंगला देवी कोरबा जमींदार परिवार की कुलदेवी है। कोरबा जब कोरवाडीह था, तब यहाँ कोरबा जमींदार के द्वारा राजमहल और सर्वमंगला मंदिर की स्थापना सोलहवीं शताब्दी सन् 1520 ईसवी में दीवान जोगीराय (जोगीदास) जी के द्वारा करवाया गया था। पहले …

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संतान सुख देने वाली देवी रमईपाट

हमारा छत्तीसगढ़, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की ननिहाल, जो अतीत में दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। यहां भगवान श्रीराम से जुड़ी अनेक घटनाएं घटित हुई है। यह पुण्य धरा भगवान श्रीराम से जुड़ी अनेक घटनाओं का साक्षी रही है। कदम कदम पर बिखरी लोकगाथाओं में रामायण से …

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लोक आस्था का केन्द्र : तपेश्वरी माता

दक्षिण बस्तर दन्तेवाड़ा जिले का ग्राम समलूर यद्यपि दूरस्थ वनांचल में बसा है, किन्तु लगभग एक हजार वर्ष पुराना भव्य शिव मंदिर के कारण इस गाँव की पहचान पुरातात्विक स्थल के रुप में हो चुकी है। शिव मंदिर को केन्द्र संरक्षित धरोहर घोषित किया गया है, तत्सम्बंधी सूचना पटल मंदिर …

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अटूट श्रद्धा एवं भक्ति का केन्द्र : माँ मड़वारानी

माँ मड़वारानी का प्रसिद्ध मंदिर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से लगभग 29 कि.मी.की दूरी पर खरहरी गाँव मे पहाड़ी के ऊपर गहरी खाई के समीप कलमी पेड़ के नीचे स्थित है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर के निकट एक दूसरे कलमी पेड़ में मीठे पानी का स्रोत था जो …

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मोटियारी घाट की बंजारी माता : नवरात्रि विशेष

ग्राम्य जीवन जीने वाला लोक मानस बड़ा सीधा, सरल, सहज, भोला भाला, उदार और आस्थावान होता है। प्रकृति का हर उपदान उसके लिए देवता है। प्रकृति के कण–कण में देवत्व की अनुभूति करता है। इसलिए लोक समाज के इर्द–गिर्द देवी–देवताओं के स्थल बहुतायत रूप से मिलते है। यह भी देखा …

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