Home / 2021 / March

Monthly Archives: March 2021

सरगुजा अंचल की जनजातियों में होली का त्यौहार

होली का पर्व हिंदी पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता है। यह त्योहार बसंत ऋतु में मनाया जाता है, इसलिए इसे बसंतोत्सव भी कहा जाता है। होली का त्यौहार हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। इसे फगुआ, फागुन, धूलेंडी, छारंडी और दोल के …

Read More »

दे दे बुलौआ राधे को नगर में : होली फाग गीतों के संग

प्रकृति मनुष्य को सहचरी है, यह सर्वविदित है। किन्तु मनुष्य प्रकृति का कितना सहचर है? यह प्रश्न हमें निरूत्तर कर देता है। हम सोचने के लिए विवश हो जाते हैं कि सचमुच प्रकृति जिस तरह से अपने दायित्वों का निर्वाह कर रही हैं? क्या मनुष्य प्रकृति के प्रति अपने दायित्वों …

Read More »

देश विदेश के डाक टिकटों में राम

रामायण महाकाव्य केवल भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में पसन्द की जाती है, सूरीनाम, फिजी, गुयाना, मॉरीशस, वेस्टइंडीज आदि देशों के प्रवासियों ने रामायण को अपने हृदय में बसाया है। बहुत से एशियाई देशों में रामायण को अपनी भाषा में अनुवादित कर अपने धार्मिक ग्रन्थ के रूप में …

Read More »

खरदूषण की नगरी खरोद का पुरातत्वीय वैभव

छत्तीसगढ़ प्रदेश के अन्तर्गत जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय से शिवरीनारायण सड़क मार्ग पर स्थित ग्राम खरोद लगभग 35 कि.मी. दूरी पर स्थित है। बिलासपुर जिला मुख्यालय से खरोद की दूरी लगभग 62 कि.मी. तथा रायपुर से वाया कसडोल शिवरीनारायण होकर खरोद लगभग 140 कि.मी. दूरी पर है। यहां पर पहुंचने के …

Read More »

वर्षा जल संग्रहण अत्यावश्यक : विश्व जल दिवस

आज विश्व जल दिवस है, जब विश्व किसी चीज को लेकर दिवस मनाने लग जाता है तब मैं समझता हूँ कि यह खतरे की घंटी है। जिस तरह से मीठे जल का दोहन किया जा रहा है, उससे तो यह तय है कि आगामी पन्द्रह बीस वर्षों के के बाद …

Read More »

छत्तीसगढ़ के प्राचीन मंदिरों की द्वारशाखा के सिरदल में विशिष्ट शिल्पांकनों का अध्ययन

भारतवर्ष के लगभग मध्य में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत रायगढ़ जिला प्रागैतिहासिक काल के भित्ति चित्रों के लिये प्रसिद्ध है जिसके प्रमाण सिंघनपुर तथा कबरा पहाड़ में मिलते हैं। पाषाण युग के बाद ताम्रयुग तथा वैदिक काल में छत्तीसगढ़ की स्थिति के बारे में कोई सूचना नहीं मिलती । …

Read More »

बस्तर के जनजातीय समाज की हेशांग जातरा

देव संस्कृति को मानने वाला बस्तर का जनजातीय समाज अपने सभी देव काम को जातरा कहता है। जिस भी देव काम में किसी उपज या वनोपज को जागृत कर देवताओं को अर्पण किया जाता है, उसे साड़ कहता है, इसका हिन्दी में अर्थ देवोत्सव होता है और जातरा देवताओं की …

Read More »

आदिमानवों द्वारा निर्मित गुहा शैलचित्र : लहूहाता बस्तर

जंगल में गुजरते हुए पहाड़ की चढ़ाई, ऊपर पठारी भाग में चौरस मैदान और चौरस मैदान के नीचे सभी ओर गहरी खाई, मैदान से खाई के बीच बेतरतीब पत्थरों की दीवार। दीवार में प्राकृतिक रुप से बने अनेक गुफानुमा स्थान। 8-10 वर्ग कि.मी. का पठारी क्षेत्र पूर्णतः वीरान किन्तु चारों …

Read More »

गढ़धनौरा गोबरहीन का विशाल शिवलिंग एवं पुन्नी मेला

महाशिवरात्रि पर्व पर त्रेतायुग के नायक भगवान श्रीराम के वनवास काल स्थल एवं 5वीं-6वीं शताब्दी के प्राचीन प्रसिद्ध शिवधाम गढधनौरा गोबरहीन में मेला लगता है। श्रद्धालु शिवभक्तों, प्रकृति से प्रेम करने वाले प्रकृति प्रेमियों एवं सभ्यता संस्कृति इतिहास में अभिरूचि रखने वाले जिज्ञासुओं की भारी भीड़ के चलते यंहा पर …

Read More »

जानी अनजानी कथा केशकाल की

छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर अंचल को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाला रास्ता केशकाल की घाटी से गुजरता है एक तरह से यह घाटी वहाँ की जीवन-रेखा है। यह घाटी अपनी घुमावदार सड़क और प्राकृतिक सुंदरता के लिये जानी जाती है। प्रस्तुत है उसी घाटी की सड़क की छोटी …

Read More »