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Monthly Archives: April 2021

छत्तीसगढ़ की स्थापत्य कला में हनुमान

हमारे देश में मूर्ति पूजा के रूप में महावीर हनुमान की पूजा अत्यधिक होती है क्योंकि प्रत्येक शहर, कस्बों तथा गांवों में भी हनुमान की पूजा का प्रचलन आज भी देखने को मिलता है। हनुमान त्रेतायुग में भगवान राम के परम भक्त तथा महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ …

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पंडवानी के सूत्रधार श्रीकृष्ण

भारतीय लोक जीवन सदैव से ईश्वर और धर्म के प्रति आस्थावान रहा है। निराभिमान और निश्च्छल जीवन लोक की विशेषता है। फलस्वरूप उसका जीवन स्तर सीधा-सादा और निस्पृह होता है। उसकी निस्पृता और उसकी सादगी लोक धर्म की विशिष्टता है। धर्म और ईश्वर के प्रति अनुरक्ति और उसकी भक्ति लोक …

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लोक देवी रामपुरहीन डोंडराही माता

लखनपुर उदयपुर ब्लाक मुख्यालय की सरहद पर बिलासपुर मुख्य मार्ग पर स्थित ग्राम जेजगा मे अंचल की आराध्य देवी माता रामपुरहीन सिद्ध पीठ के रूप में विराजमान है। ऐसी मान्यता है कि यहां से कोई भी श्रद्धालु-भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। माता रामपुरहीन को अनेकों नाम जैसे डोंडराही अर्थात (अल्हड …

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सरगुजा अंचल की आराध्य देवी माँ गढ़वतिया माई : नवरात्रि विशेष

भारत के हृदय स्थल मध्यप्रदेश के दक्षिणपूर्व भाग में छत्तीसगढ़ राज्य स्थित है। यह राज्य प्राचीन काल से गौरव का प्रतीक बना हुआ है। छत्तीसगढ़ के उत्तरांचल में आदिवासी बहुल संभाग सरगुजा है। यहाँ की प्राकृतिक सौम्यता, हरियाली, ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थल, लोकजीवन की झांकी, सांस्कृतिक परंपराएं, रीति-रिवाज, पर्वत, पठार, …

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नायक बनजारों की देवी बंजारी माता

नवा राजधानी अटल नगर से लगभग 5 किलोमीटर एवं अभनपुर से 11 किमी की दूरी पर बंजारी ग्राम स्थित है। इस छोटे से ग्राम में लगभग 45 घर हैं, इन 45 घरों में राजपुत, धुव्र जनजाति, पैनका एवं राऊत लोग निवास करते हैं। कुर्रु और बंजारी इन दोनों गांव की …

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सतबहनिया में से एक सियादेवी : नवरात्रि विशेष

सियादेई बालोद जिले का प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थल है। नवरात्रि में यहाँ दर्शनार्थी श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, वैसे तो आस पास के क्षेत्र से बारहों महीने यहाँ पर्यटक एवं श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं, परन्तु नवरात्रि पर्व पर बड़ी संख्या में आराधक पहुंचते हैं। यह स्थान बालोद जिला मुख्यालय …

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काकतीय वंश की कुलदेवी मां दंतेश्वरी

बस्तर का दंतेवाड़ा जहां विराजमान है काकतीय राजवंश की कुलदेवी मां दंतेश्वरी। डकनी, शंखनी और धनकिनी नदी संगम तट पर माता का मंदिर अपनी पारंपरिक शैली में बना है वनवासियों की आराध्या दंतेश्वरी माई के दरबार से बस्तर के हर तीज-त्यौहार और उत्सव प्रारंभ होते हैं। अपनी समृद्ध वास्तु कला, …

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जहाँ विराजी है मलयारिन माई : नवरात्रि विशेष

रायपुर से जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 पर विकास खंड मुख्यालय फरसगांव स्थित है। यहां से लगभग 16 कि. मी. दूर पश्चिम दिशा में पहाड़ियों से घिरा बड़ेडोंगर नामक गांव है, जहां पहले बस्तर की राजधानी हुआ करती थी। ग्राम बड़ेडोंगर के भैंसा दोंद डोंगरी ( महिषा द्वंद्व ) नामक …

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वन डोंगरी में विराजित गरजई माता : नवरात्रि विशेष

प्राचीन काल से छत्तीसगढ़ अपनी शाक्त परम्परा के लिए विख्यात है, यहाँ अधिकांश देवियाँ डोंगरी में विराजित हैं। इस लिए देव स्थलों में मनमोहक नयनाभिराम प्राकृतिक सौंदर्य की भरमार है। यहां का लोक जीवन, गांव, नदी-नाले, जंगल और पहाड़ श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। आस्थावान छत्तीसगढ़ के लोकमानस पर …

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कलचुरी शासकों की कुलदेवी महामाया माई रायपुर : नवरात्रि विशेष

भारत देश के हृदय स्‍थल में स्थित प्राचीन दक्षिण कोसल क्षेत्र जिसे अब छत्‍तीसगढ के नाम से जाना जाता है, इस छत्‍तीसगढ राज्‍य के हृदय स्‍थल में बसे तथा राज्‍य की राजधानी होने का गौरव प्राप्‍त रायपुर शहर वर्तमान ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से ही प्राप्त है । लोकमत …

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