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Tag Archives: नौदेवियाँ

बागबाहरा कलां की तीन देवियाँ

हमारे देश भारत एवं विदेशों में भी आदि शक्ति जगतजननी मां जगदंबा शक्तिपीठों में विराजमान हैं। जहाँ उन्हें कई नाम एवं कई रूपों में बारहों महीने पूजा जाता हैं और चैत कुंवार के नवरात्रि में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। जहां श्रद्धालु जन भारी संख्या में मनोकामना पूर्ति हेतु …

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अज्ञात पंचसागर शक्तिपीठ

आदि शक्ति मां के 51 शक्ति पीठ कहे गए हैं। पुराणों में माता के शक्तिपीठों का नाम दिये गये हैं उनमें से दो शक्तिपीठ अज्ञात कहें गये हैं। ‘पंचसागर शक्तिपीठ’ छत्तीसगढ़ में विद्यमान हैं। पौराणिक आख्यानों के अनुसार पंचसागर शक्तिपीठ का जो वर्णन मिलता है वैसा ही स्वरूप छत्तीसगढ़ के …

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चैतुरगढ़ की महामाया माई

कलचुरी राजवंश की माता महिषासुरमर्दिनी चैतुरगढ़ में आज महामाया देवी के नाम से पूजनीय है। परंपरागत परिधान से मंदिर में माता अपने परंपरागत परिधान से सुसज्जित हैं, जो 12 भुजी हैं, जो सदैव वस्त्रों से ढके रहते हैं। पूर्वाभिमुख विराजी माता को सूरज की पहली किरण उनके चरण पखारने को …

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शक्ति तीर्थ डोंगरगढ़ की बमलाई माता

राजनांदगांव से 36 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित डोंगरगढ नगरी धार्मिक विश्वास एवं श्रध्दा का प्रतीक है। डोंगरगढ की पहाड़ी पर स्थित शक्तिरुपा माँ बम्लेश्वरी  देवी का विख्यात मंदिर सभी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां मां बम्लेश्वरी देवी के दो विख्यात मंदिर है। डोंगरगढ की पहाड़ी पर 1600 …

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महानदी तट पर स्थित चंद्रहासिनी देवी

भारत के सम्बन्ध में विद्वानों का मानना है कि सिंधु घाटी की सभ्यता के नागरिक जिन देवताओं की पूजा-अर्चना करते थे वे आगामी वैदिक सभ्यता में पशुपति और रुद्र कहलाएं तथा वे जिस मातृका की उपासना करते थे वे वैदिक सभ्यता में देवी का आरम्भिक रुप बनी। भारतीय इतिहास गवाह …

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बस्तर में शक्ति उपासना की प्राचीन परंपरा

बस्तर प्राचीनकाल में दंडकारण्य कहलाता था। छत्तीसगढ़ के दक्षिण में ”बस्तर“ ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। आदिम युग से अर्वाचीन काल तक बस्तर में अनेक राजवंशों का उत्थान और पतन हुआ। बस्तर के विशाल अंचल को देवी-देवताओं की धरा कहें तो कोई अतिशोक्ति नहीं हैं। बस्तर की देवियां-राज …

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सरई वृक्ष में विराजमान सरई श्रृंगारिणी माता

सरई श्रृंगारिणी माता का मंदिर 22•9’82″उत्तरी अक्षांश और 82•32’9″ पूर्वी देशांतर पर समुद्र तल से लगभग 910 फिट की ऊँचाई पर बलौदा ब्लाक के ग्राम डोंगरी में स्थित है। सरई श्रृंगारिणी डोंगरी में सरई पेड़ में विराजमान है। अंचल के लोगों की सरई श्रृंगारिणी माता के प्रति अपार श्रद्घा और …

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नव संवत्सर एवं चैत्र नवरात्रि का पर्व

विश्व भर में विभिन्न जाति-धर्म सम्प्रदायों के मानने वाले अपनी संस्कृति-सभ्यता अनुसार परंपरागत रूप से भिन्न-भिन्न मासों एवं तिथियों में नववर्ष मनाते हैं। एक जनवरी को जार्जियन केलेंडर के अनुसार नया वर्ष मनाया जाता है। परंतु हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि को नया वर्ष, …

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लोक देवी रामपुरहीन डोंडराही माता

लखनपुर उदयपुर ब्लाक मुख्यालय की सरहद पर बिलासपुर मुख्य मार्ग पर स्थित ग्राम जेजगा मे अंचल की आराध्य देवी माता रामपुरहीन सिद्ध पीठ के रूप में विराजमान है। ऐसी मान्यता है कि यहां से कोई भी श्रद्धालु-भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। माता रामपुरहीन को अनेकों नाम जैसे डोंडराही अर्थात (अल्हड …

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सरगुजा अंचल की आराध्य देवी माँ गढ़वतिया माई : नवरात्रि विशेष

भारत के हृदय स्थल मध्यप्रदेश के दक्षिणपूर्व भाग में छत्तीसगढ़ राज्य स्थित है। यह राज्य प्राचीन काल से गौरव का प्रतीक बना हुआ है। छत्तीसगढ़ के उत्तरांचल में आदिवासी बहुल संभाग सरगुजा है। यहाँ की प्राकृतिक सौम्यता, हरियाली, ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थल, लोकजीवन की झांकी, सांस्कृतिक परंपराएं, रीति-रिवाज, पर्वत, पठार, …

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