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ॠषि परम्परा

संसार को अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले भगवान महावीर

जैन ग्रन्थों के अनुसार समय समय पर धर्म तीर्थ के प्रवर्तन के लिए तीर्थंकरों का जन्म होता है, जो सभी जीवों को आत्मिक सुख प्राप्ति का उपाय बताते है। तीर्थंकरों की संख्या चौबीस ही कही गयी है। भगवान महावीर 24वें तीर्थंकर हुए हैं। उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील …

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जीवन काल में शक्ति संजोने का पर्व नवरात्रि

जीवन अच्छी तरह से जीने के लिए, उसके बीच गुजरते हुए ऐसा बहुत कुछ जो अनावश्यक है, आवश्यक सा जान पड़ता है इसीलिए जीने के हर क्षण को उत्सव की तरह जिया जाये तो शक्ति का संचार बना रहता है। संभवतः इसीलिए ऋतुओं के अनुसार बांटी गई भारतीय आध्यात्मिक और …

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शक्ति रुपेण संस्थिता : छत्तीसगढ़ की देवियां

छत्तीसगढ़ में देवियां ग्रामदेवी और कुलदेवी के रूप में पूजित हुई। विभिन्न स्थानों में देवियां या तो समलेश्वरी या महामाया देवी के रूप में प्रतिष्ठित होकर पूजित हो रही हैं। राजा-महाराजाओं, जमींदारों और मालगुजार भी शक्ति उपासक हुआ करते थे। वे अपनी राजधानी में देवियों को ‘‘कुलदेवी’’ के रूप में …

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धर्म एवं आस्था का केन्द्र माँ बमलेश्वरी

छत्तीसगढ़ प्रदेश के राजनांदगांव जिलान्तर्गत दक्षिण पूर्वी मध्य रेल्वे के स्टेशन और रायपुर नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में महाराष्ट्र प्रांत से लगा सीमांत तहसील मुख्यालय डोंगरगढ़ हैं। ब्रिटिश शासन काल में यह एक जमींदारी थी। प्राचीन काल से विमला देवी यहां की अधिष्ठात्री है जो आज बमलेश्वरी देवी के नाम से …

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नव संकल्पों से हो नव वर्ष का स्वागत

विक्रम संवत नव संवत्सर विशेष आलेख भारत व्रत, पर्व व त्योहारों का देश है। यूं तो हम हर दिन को पावन मानते हैं। महापुरुषों के निधन के दिनों पर भी हम शोक व्यक्त करने के स्थान पर उसे पुण्यतिथि के रूप में मनाते हुए कुछ नव-संकल्पों के साथ उनके बताए …

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भौतिक जगत की प्राणशक्ति सूर्य

नव संवत्सर विशेष आलेख सामान्यतः सूर्य को प्रकाश और गर्मी का अक्षुण्ण स्रोत माना जाता है, किन्तु अब वैज्ञानिक यह जान गए हैं कि यदि सूर्य का अस्तित्व समाप्त हो जाए तो पृथ्वी पर विचरण करनेवाले सभी जीव-जन्तु तीन दिन के भीतर ही मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। सूर्य के …

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श्रीराम भक्त स्वामी विवेकानंद

इतिहास साक्षी है कि पुण्यभूमि भारत की गाथा सहस्त्रों वर्षों के कठोर संघर्ष की गौरव गाथा है। इस शांतिप्रिय देश पर निरंतर कुठाराघात होने के कारण यहाँ के जनमानस में घोर निराशा छा गई थी। भारतवासियों का स्वाभिमान सो गया था, यह देश अपना गौरवशाली इतिहास, अपनी महान संस्कृति, अस्तित्व …

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भारतीय संस्कृति के परम आदर्श एवं युग पुरुष श्रीराम

महर्षि अरविन्द कहते हैं कि श्रीराम का अवतार किसी आध्यात्मिक साम्राज्य की स्थापना के लिए नहीं हुआ था। राम परमात्मा थे, जिन्होंने मानवीय मानसिकता के आधार को स्वीकार किया और उसे शोभामय सम्मान दिया। माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर कहते हैं कि संपूर्ण भारतीय समाज के लिए समान आदर्श के रूप में …

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श्रीराम के अनन्य भक्त संत शिरोमणि जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य

प्राचीन काल से ही भारत भूमि महान ऋषि-मुनियों की जननी रही है। गुरु-शिष्य परंपरा से सुशोभित इस धरा पर अनगिनत संत और महापुरुष जन्में, जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन किया। अपने तेज, त्याग और तपस्या से संपूर्ण ब्रह्माण्ड को आलोकित किया। सदियों से ही धर्म भारत की आत्मा रही है। …

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सद्कर्म की प्रेरणा देती है भगवद्गीता

“जब शंकाएं मुझ पर हावी होती हैं, और निराशाएं मुझे घूरती हैं, जब दिगंत में कोई आशा की किरण मुझे नजर नहीं आती, तब मैं गीता की ओर देखता हूं।” – महात्मा गांधी। संसार का सबसे पुराना दर्शन ग्रन्थ है भगवद्गीता। साथ ही साथ विवेक, ज्ञान एवं प्रबोधन के क्षेत्र …

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