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Monthly Archives: December 2021

कला एवं संगीत को समर्पित एशिया महाद्वीप का एकमात्र विश्वविद्यालय

रायपुर से 140 कि.मी. एवं डोंगरगढ से 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित खैरागढ, इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के लिए प्रसिध्द है। स्वाधीनता से पूर्व खैरागढ एक रियासत थी। खैरागढ रियासत की राजकुमारी इंदिरा की स्मृति में स्थापित खैरागढ का इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, एशिया महाद्वीप का इकलौता …

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गद्दारी ही उनकी चौखट

इतनी नफ़रत और कड़वाहट तौबा-तौबा क्यों जीवन से इतनी खटपट तौबा-तौबा दूजे को गाली देना ही दिनचर्या है हरकत कुछ बंदों की अटपट तौबा-तौबा जिस थाली में खाना उसमें छेद करेंगे कुछ बंदे होते हैं संकट तौबा-तौबा किसी भी खूँटे से बंधना हमसे न होगा भैया तुम ही पालो झंझट …

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कला परंपरा की अद्भुत धरोहर : ताला

देवरानी-जेठानी मंदिर ताला हमारे देश के गिने-चुने पुरातत्वीय धरोहरों में से एक है जो भारतीय कला परंपरा के गौरवशाली स्वर्णिम अध्याय में दुर्लभ और विलक्षण कलाकृतिकयों के लिए विख्यात है। छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण पुरातत्वीय स्थलों में ताला का नाम विगत शताब्दी के आठवें दशक से जुड़ा है तभी से यह …

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भारत की नाथ सन्यास परम्परा एवं योगी आदित्यनाथ

भारत में नाथ परम्परा प्राचीन काल से ही विद्यमान है,  नाथ शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है स्वामी तथा जगत के नाथ आदिनाथ (भगवान शंकर) को प्रथम नाथ माना जाता है, इन्हीं से नाथ संप्रदाय का प्रारंभ होता है। इसके पश्चात अन्य नाथ प्रकाशित होते हैं, जिनमें भगवान दत्तात्रेय एवं …

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संघर्षों का वरण करो

देशभक्त हिंदुस्तानी हो, वीरों का अनुसरण करो।सहो नहीं अत्याचारों को, संघर्षों का वरण करो।। वतन-चमन को किया प्रदूषित,जहर उगलते व्यालों ने।गाली की हर सीमा लाँघी,इस युग के शिशुपालों ने।शांत चित्त रह चक्र चलाने, मोहन का अनुसरण करो।संकल्पों की भुजा उठाकर, संघर्षों का वरण करो।। हृदय-मंजूषा गर्व भरा हो,नस-नस में धधके …

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गुरु घासीदास की जन्मस्थली गिरौदपुरी

छत्तीसगढ़ को संत महात्माओं की जन्म स्थली कहा जाता है। यहाँ की शस्य श्यामला पावन भूमि में अनेकों संत महात्माओं का जन्म हुआ। उनमें 18 वीं शताब्दी के महान संत सतनाम सम्प्रदाय के प्रणेता, सामाजिक क्रांति के अग्रदूत गुरु घासीदास का जन्म माघ पूर्णिमा 18 दिसम्बर 1756 को महानदी के …

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दक्षिण कोसल का वन वैभव : उदंती अभयारण्य

उदंती अभयारण्य वर्ष 1984 में 237.5 वर्ग किमी के क्षेत्रफ़ल में स्थापित किया गया है। छत्तीसगढ़ उड़ीसा से लगे रायपुर-देवभोग मार्ग पर स्थित है। समुद्र सतह से इसकी ऊंचाई 320 से 370 मी है। अभयारण्य का तापमान न्यूनतम 7 सेंटीग्रेड से अधिकतम 40 सेंटीग्रेड रहता है। पश्चिम से पूर्व की …

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अन्याय के प्रति लड़ने का संदेश देती है गीता

हिंदू पंचांग  के अनुसार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। बताया जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण के मुख से गीता के उपदेश निकले थे। पूरे विश्व भर में मात्र श्रीमद भगवत गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी …

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कबीरपंथियों के आस्था का केन्द्र दामाखेड़ा

छत्तीसगढ़ में कबीरपंथियों की तीर्थ स्थली दामाखेड़ा, रायपुर बिलासपुर मार्ग पर सिमगा से 10 किमी दूरी पर एक छोटा सा ग्राम है। यह कबीरपंथियों की आस्था का सबसे बड़ा केन्द्र माना जाता है। कबीर साहब के सत्य, ज्ञान तथा मानवतावादी सिद्धांतों पर आधारित दामाखेड़ा में कबीर मठ की स्थापना वर्ष …

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हे मातृभूमे तुमको नमन

हे मातृभूमे! कर रहे, तव अर्चना तुमको नमन।प्रभु कर कमल की हो मनोहर सर्जना तुमको नमन।। अमरावती के देवगण,ले जन्म आते हैं जहाँ।रघुनाथ औ यदुनाथ भी,लीला रचाते हैं यहाँ। वो जीभ गल जाये करे जो भर्त्सना तुमको नमन।हे मातृभूमे! कर रहे तव अर्चना तुमको नमन।। सब ज्ञान औ विज्ञान की,उदगम …

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