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Tag Archives: श्री रमेश शर्मा

अस्सी वर्ष की आयु में क्रांति की कमान संभालने वाले बाबू कुंअर सिंह

26 अप्रैल 1858 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी बाबू कुँअर सिंह का बलिदान भारतीय स्वाधीनता संग्राम में ऐसे असंख्य बलिदानी हुये जिन्होंने न अपने परिवार की चिंता की न आयु बाधा बनी। वे भारत की स्वाधीनता के लिये न्यौछावर हो गये। ऐसे ही बलिदानी थे बाबू कुँअर सिंह, जिन्होंने हाथ में बंदूक …

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वनवासी युवाओं को संगठित कर सशस्त्र संघर्ष करने वाले तेलंगा खड़िया का बलिदान

23 अप्रैल 1880 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी तेलंगा खड़िया का बलिदान भारत पर आक्रमण चाहे सल्तनतकाल काल का रहा हो अथवा अंग्रेजीकाल का। वन्य अंचलों ने कभी दासत्व को स्वीकार नहीं किया और स्वाधीनता केलिए सदैव संघर्ष किया और बलिदान हुये। ऐसे ही संघर्ष के नायक हैं तेलंगा खड़िया जिन्होंने वनवासी …

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षड्यंत्रकारी नासिक कलेक्टर को गोली मारने वाले तीन क्रांतिकारी

19 अप्रैल 1910 : तीन महान क्राँतिकारियों अनंत लक्ष्मण कान्हेरे, विनायक नारायण देशपाँडे और कृष्ण गोपाल कर्वे का बलिदान भारतीय स्वाधीनता संघर्ष में अनंत वीरों का बलिदान हुआ है। कुछ के तो नाम तक नहीं मिलते और जिनके नाम मिलते हैं उनका विवरण नहीं मिलता। नासिक में ऐसे ही क्राँतिकारियों …

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पन्द्रह माह तक क्राँति को जीवन्त रखने वाले क्राँतिकारी तात्या टोपे

18 अप्रैल 1859 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी तात्या टोपे का बलिदान सुप्रसिद्ध बलिदानी तात्या टोपे संसार के उन विरले सेनानायकों में से एक हैं जिन्होंने न केवल एक विशाल क्रान्ति को संचालित किया अपितु क्राँति के समस्त नायकों का बलिदान हो जाने के बाद अपनी अकेली दम पर लगभग एक वर्ष …

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मंगल पाण्डेय के स्वाभिमान की चिंगारी क्राँति का दावानल बनी

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में 1857 की क्रान्ति को सब जानते हैं। यह एक ऐसा सशस्त्र संघर्ष था जो पूरे देश में एक साथ हुआ। इसमें सैनिकों और स्वाभिमान सम्पन्न रियासतों ने हिस्सा लिया। असंख्य प्राणों की आहूतियाँ हुईं थी। इस संघर्ष का सूत्रपात करने वाले स्वाभिमानी सिपाही मंगल पाण्डेय थे। …

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स्वाभिमान और आर्य संस्कृति की रक्षा के लिये महाशय राजपाल का बलिदान

6 अप्रैल 1929 : महाशय राजपाल का बलिदान दासता के दिनों में भारतीय अस्मिता पर चौतरफा हमला हुआ है। आक्रांताओं ने केवल सत्ताओं को ही ध्वस्त नहीं किया अपितु भारतीय संस्कृति और साहित्य को भी विकृत करने का प्रयास किया है। एक ओर यदि भारतीय जन स्वाधीनता संघर्ष के लिये …

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आर्य और द्रविड़ संस्कृति अलग-अलग नहीं : डॉ. हरिभाऊ वाकणकर

3 अप्रैल 1988 : सुप्रसिद्ध पुरातत्वविद् वाकणकर पुण्यतिथि डॉक्टर हरिभाऊ वाकणकर की गणना संसार के प्रमुख पुरातत्वविदों में होती है। उन्होंने भारत के विभिन्न वनक्षेत्र के पुरातन जीवन और भोपाल के आसपास लाखों वर्ष पुराने मानव सभ्यता के प्रमाण खोजे। भीम बैठका उन्ही की खोज है। उनके शोध के बाद …

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क्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का बलिदान

सार्वजनिक जीवन या पत्रकारिता में ऐसे नाम विरले हैं जिनका व्यक्तित्व व्यापक है और जो विभिन्न विचारों में समन्वय बिठा कर राष्ट्र और संस्कृति की सेवा में समर्पित रहे हों। ऐसे ही क्राँतिकारी पत्रकार थे गणेश शंकर विद्यार्थी। उन्हे उनके जीवन में और जीवन के बाद भी सब अपना मानते …

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झालावंश की सात पीढ़ियों ने राष्ट्र के लिये प्राण न्यौछावर किये

17 मार्च 1527 : खानवा के युद्ध में अज्जा झाला का बलिदान पिछले डेढ़ हजार वर्षों दुनियाँ के दो सौ देशों के स्वरूप और संस्कृति बदल गई। लेकिन विध्वंस की आँधी और विभाजन की त्रासदी के बीच भी भारत की संस्कृति अक्षुण्ण है। यह उन बलिदानियों के कारण संभव हो …

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गदरपार्टी के संस्थापक : क्रान्तिकारी लाला हरदयाल

4 मार्च 1939 सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी लाला हरदयाल का बलिदान सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी और विचारक लाला हरदयाल की गणना उन विरले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में होती है जिन्होंने केवल भारत ही नहीं अपितु अमेरिका और लंदन में भी अंग्रेजों के अत्याचारों के विरुद्ध जनमत जगाया था। लालाजी को अपने पक्ष में करने …

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