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पर्यटन

आध्यात्म और पर्यटन का संगम गिरौदपुरी का मेला

नवगठित बलौदाबाजार भाटापारा जिलान्तर्गत बलौदाबाजार से 45 कि मी पर जोंक नदी के किनारे गिरौदपुरी स्थित है। गिरौदपुरी जाने के लिए रायपुर से सड़क मार्ग से कटगी से और गिधौरी से बरपाली होकर जाने का रास्ता है। यहाँ सतनाम पंथ के गुरु घासीदास की जन्मस्थल है और जोंक नदी के …

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लखनेश्वर दर्शन करि कंचन होत शरीर : शिवरात्रि विशेष

यात्रा संस्मरण खरौद, महानदी के किनारे बिलासपुर से 64 कि. मी., जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय से 55 कि. मी., कोरबा से 105 कि. मी., राजधानी रायपुर से बलौदाबाजार होकर 120 कि. मी. और रायगढ़ से सारंगढ़ होकर 108 कि. मी. और शिवरीनारायण से मात्र 02 कि. मी. की दूरी पर बसा …

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कुदरत का नजारा, धाँस की जलधारा

नदी-कछार, जंगल-पहार, खेत-खार, पशु-पक्षी यानी कि प्रकृति ने मेरे बालमन को सदैव अपनी ओर आकर्षित किया है। 40 वर्षों तक पढ़ते-पढ़ाते स्कूल में बच्चों के बीच रहा। सेवा-निवृत्ति के बाद आज भी मेरे अंतस मे बाल स्वभाव नित हिलोरें लेता है। बच्चों को देखकर मन स्मृतियों में खो जाता है। …

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छत्तीसगढ़ अंचल में साहसिक पर्यटन

27 सितम्बर विश्व पर्यटन दिवस विशेष आलेख पर्यटन की दृष्टि से देखें तो छत्तीसगढ़ बहुत समृद्ध है। यहाँ पर्यटन के वे सभी आयाम दिखाई देते हैं जो एक पर्यटक ढूंढता है। नदी-पहाड़, गुफ़ाएं, प्राकृतिक वन, वन्य पशु पक्षी, प्राचीन स्मारक एवं इतिहास, खान पान विविधताओं से भरा हुआ है। मानसून …

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बीहड़ वन में गुफ़ा निवासिनी सुंदरा दाई

सनातन संस्कृति में देवी – देवताओं की पूजा -अर्चना का इतिहास आदि काल से ही रहा है। भारत की संस्कृति विश्व में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। भारत वर्ष में अलग -अलग जगहों पर मंदिरों में विराजी आदि देवी शक्तियों की गाथाएं और जन श्रुतियाँ जनमानस के साथ आस्था और विश्वास …

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नरोधी नर्मदा जहाँ झिरिया से बुलबुलों में निकलता है जल

लोक गाँवों में बसता है। इसलिए लोक जीवन में सरसता है। निरसता उससे कोसों दूर रहती है। लोक की इस सरसता का प्रमुख कारण, प्रकृति से उसका जुड़ाव है। लोक प्रकृति की पूजा करता है। आज भी गाँवों में जल को वह चाहे नदी हो, या तालाब का, किसी झरने …

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चित्रोत्पला गंगा की सांस्कृतिक विरासत

मानव सभ्यता का उद्भव और संस्कृति का प्रारंभिक विकास नदी के किनारे ही हुआ है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में नदियों का विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति में ये जीवनदायिनी मां की तरह पूजनीय हैं। यहां सदियों से स्नान के समय पांच नदियों के नामों का उच्चारण तथा जल …

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रमणीय बुजबुजी एवं नथेला दाई

प्रकृति बड़ी उदार है। प्रकृति के सारे उपादान लोक हित के लिए हैं। नदी जल देती है। सूरज और चांँद प्रकाश देते हैं। पेड़ फूल, फल और जीवन वायु देते हैं। प्रकृति का कण-ंउचयकण लोक हितकारी है। इसलिए प्रकृति और पर्यावरण को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। परन्तु अपने कर्तव्यों …

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अज्ञात पंचसागर शक्तिपीठ

आदि शक्ति मां के 51 शक्ति पीठ कहे गए हैं। पुराणों में माता के शक्तिपीठों का नाम दिये गये हैं उनमें से दो शक्तिपीठ अज्ञात कहें गये हैं। ‘पंचसागर शक्तिपीठ’ छत्तीसगढ़ में विद्यमान हैं। पौराणिक आख्यानों के अनुसार पंचसागर शक्तिपीठ का जो वर्णन मिलता है वैसा ही स्वरूप छत्तीसगढ़ के …

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छत्तीसगढ़ में पर्यटन के विविध आयाम

जानिए पर्यटन के चार आधार, सुरक्षा, साधन, आवास आहार। भारतीय गणराज्य का नवनिर्मित प्रदेश छत्तीसगढ़ है तथा इससे पूर्व यह मध्यप्रदेश का भाग था। प्रकृति ने इस भू-भाग को अपने हाथों से दुलार देकर संवारा है। जब हम भमण करते है तो ज्ञात होता है कि प्रकृति की लाडली संतान …

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