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Tag Archives: पुरातत्व

आर्य और द्रविड़ संस्कृति अलग-अलग नहीं : डॉ. हरिभाऊ वाकणकर

3 अप्रैल 1988 : सुप्रसिद्ध पुरातत्वविद् वाकणकर पुण्यतिथि डॉक्टर हरिभाऊ वाकणकर की गणना संसार के प्रमुख पुरातत्वविदों में होती है। उन्होंने भारत के विभिन्न वनक्षेत्र के पुरातन जीवन और भोपाल के आसपास लाखों वर्ष पुराने मानव सभ्यता के प्रमाण खोजे। भीम बैठका उन्ही की खोज है। उनके शोध के बाद …

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प्राचीन धरोहरें भारतीय शिल्पकला का अनुपम उदाहरण

17 सितम्बर भगवान विश्वकर्मा पूजा विशेष आलेख आज 17 सितम्बर भगवान विश्वकर्मा को स्मरण करने का दिन है, शासकीय तौर पर उनकी पूजा के लिए नियत तिथि है। इस दिन संसार के सभी निर्माण के कर्मी भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करके अपने निर्माण कार्य में कुशलता की कामना करते …

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छत्तीसगढ़ों में से एक गढ़ : बिन्द्रानवागढ़

राजाओं के शासन काल में दक्षिण कोसल में बहुत सारी जमीदारियाँ थी। बस्तर से सरगुजा तक अगर दृष्टिपात करें तो लगभग एक सैकड़ा जमीदारियाँ होंगी, जहाँ विभिन्न जाति एवं वर्ग के जमींदार शासन करते थे। वर्तमान में यह सब इतिहास की बातें हो गई परन्तु इनकी कहानियों में रहस्य, रोमांच …

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भरतपुर, जिला कोरिया की पुरासंपदा

छत्तीसगढ के उत्तर पश्चिम सीमांत भाग में स्थित कोरिया जिले का भरतपुर तहसील प्राकृतिक सौदंर्य, पुरातत्वीय धरोहर एवं जनजातीय/सांस्कृतिक विविधताओं से परिपूर्ण भू-भाग है। जन मानस में यह भू-भाग राम के वनगमन मार्ग तथा महाभारत कालीन दंतकथाओं से जुड़ा हुआ है। नवीन सर्वेक्षण से इस क्षेत्र से प्रागैतिहासिक काल के …

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चैतुरगढ़ की महामाया माई

कलचुरी राजवंश की माता महिषासुरमर्दिनी चैतुरगढ़ में आज महामाया देवी के नाम से पूजनीय है। परंपरागत परिधान से मंदिर में माता अपने परंपरागत परिधान से सुसज्जित हैं, जो 12 भुजी हैं, जो सदैव वस्त्रों से ढके रहते हैं। पूर्वाभिमुख विराजी माता को सूरज की पहली किरण उनके चरण पखारने को …

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रहस्यमयी साधना स्थली को समेटे हुए देवरानी जेठानी मंदिर

शैव और शक्ति साधना का प्राचीनतम मंदिर है देवरानी जेठानी, जहां शैव तंत्र और शाक्त साधना का रहस्यमय स्वरूप एकाकार दिखता है। शिव की दस महाविद्या देवियों में से तारा देवी और धूमावती देवी इन मंदिरों में प्रतिष्ठापित रही हैं। मंदिर अपने आप में अदभुत, अनूठी मूर्तियों के साथ रहस्यमय …

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शिव मंदिर देवखूंट का पुरातात्विक विश्लेषण

ग्राम देवखूंट 20॰ 19’ उत्तरी अक्षांस तथा 81॰ 87’ पूर्वी देशांतर पर, धमतरी-सिहावा मार्ग पर ग्राम बिरगुड़ी के आगे टेमनीपारा नामक बाजार मोहल्ले से बायें तरफ लगभग 10 किलोमीटर दूरी पर जंगली तथा कच्चे रास्ते में दुधावा बाँध के ऊपर, बाँध की तलहटी में स्थित है जो वर्तमान में धमतरी …

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चितावरी देवी मंदिर धोबनी का स्थापत्य शिल्प

धोबनी ग्राम रायपुर-बिलासपुर राजमार्ग पर दामाखेड़ा ग्राम से बायें तरफ लगभग 2 कि.मी. दूरी पर स्थित है। रायपुर से धोबनी की कुल दूरी लगभग 57 कि.मी. है। (इस ग्राम में वर्ष 2003 तक स्थानीय बाजार तथा पशु मेला रविवार को भरता था जो वर्तमान में किरवई नामक ग्राम के उत्तर …

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प्राचीन सभ्यता का संवाहक श्री संगम तीर्थ राजिम

सृष्टि के प्रारंभ में विंध्याचल के दक्षिण का भू-भाग सबसे पहले अस्तित्व में आया। मानव सभ्यता के उदगम का यही स्थान बना। वैज्ञानिक मतों के अनुसार सिहावा पर्वत (शुक्तिमत) जो ‘बस्तर क्रेटॉन’ के अंतर्गत है, यह आद्य महाकल्प में निर्मित चट्टानों से बना है। जिस की औसत आयु 300 करोड़ …

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कला परंपरा की अद्भुत धरोहर : ताला

देवरानी-जेठानी मंदिर ताला हमारे देश के गिने-चुने पुरातत्वीय धरोहरों में से एक है जो भारतीय कला परंपरा के गौरवशाली स्वर्णिम अध्याय में दुर्लभ और विलक्षण कलाकृतिकयों के लिए विख्यात है। छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण पुरातत्वीय स्थलों में ताला का नाम विगत शताब्दी के आठवें दशक से जुड़ा है तभी से यह …

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