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अस्सी वर्ष की आयु में क्रांति की कमान संभालने वाले बाबू कुंअर सिंह

26 अप्रैल 1858 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी बाबू कुँअर सिंह का बलिदान भारतीय स्वाधीनता संग्राम में ऐसे असंख्य बलिदानी हुये जिन्होंने न अपने परिवार की चिंता की न आयु बाधा बनी। वे भारत की स्वाधीनता के लिये न्यौछावर हो गये। ऐसे ही बलिदानी थे बाबू कुँअर सिंह, जिन्होंने हाथ में बंदूक …

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पन्द्रह माह तक क्राँति को जीवन्त रखने वाले क्राँतिकारी तात्या टोपे

18 अप्रैल 1859 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी तात्या टोपे का बलिदान सुप्रसिद्ध बलिदानी तात्या टोपे संसार के उन विरले सेनानायकों में से एक हैं जिन्होंने न केवल एक विशाल क्रान्ति को संचालित किया अपितु क्राँति के समस्त नायकों का बलिदान हो जाने के बाद अपनी अकेली दम पर लगभग एक वर्ष …

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भाषा के प्रति बाबा साहेब का राष्ट्रीय दृष्टिकोण

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के लिए भाषा का प्रश्न भी राष्ट्रीय महत्व का था। उनकी मातृभाषा मराठी थी। अपनी मातृभाषा पर उनका जितना अधिकार था, वैसा ही अधिकार अंग्रेजी पर भी था। इसके अलावा बाबा साहेब संस्कृत, हिंदी, पर्शियन, पाली, गुजराती, जर्मन, फारसी और फ्रेंच भाषाओं के भी विद्वान …

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स्वाभिमान और आर्य संस्कृति की रक्षा के लिये महाशय राजपाल का बलिदान

6 अप्रैल 1929 : महाशय राजपाल का बलिदान दासता के दिनों में भारतीय अस्मिता पर चौतरफा हमला हुआ है। आक्रांताओं ने केवल सत्ताओं को ही ध्वस्त नहीं किया अपितु भारतीय संस्कृति और साहित्य को भी विकृत करने का प्रयास किया है। एक ओर यदि भारतीय जन स्वाधीनता संघर्ष के लिये …

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स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी शीतला माता

शीतला सप्तमी विशेष आलेख किसी भी राज्य की पहचान उसकी भाषा, वेषभूषा एवं संस्कृति होती है। संस्कृति लोकपर्वों में दिखाई देती है। लोकपर्व संस्कृति का एक आयाम हैं। लोकपर्वों में अंतर्निहीत तत्व होते हैं, जिनके कारण लोकपर्व मनाए जाते हैं। संस्कृति की धारा अविरल बहती है परन्तु इसके पार्श्व में …

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समग्र क्रांति के अग्रदूत : महर्षि दयानंद सरस्वती

स्वामी दयानंद सरस्वती की आज जयंती है। स्वामी दयानंद आर्य समाज के संस्थापक, आधुनिक भारत के महान चिंतक, समाज-सुधारक और देशभक्त थे। स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात के टंकारा में हुआ था। मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण उनका नाम मूलशंकर रखा गया। स्वामी …

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सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी गोपीनाथ साहा का बलिदान

1 मार्च 1924 : चार्ल्स ट्रेगार्ट को मौत के घाट उतारने का प्रयास पराधीनता के दिनों में कुछ अंग्रेज अधिकारी ऐसे थे जो अपने क्रूरतम मानसिकता के चलते भारतीय स्वाधीनता सेनानियों से अमानवीयता की सीमा भी पार जाते थे। बंगाल में पदस्थ ऐसा ही अधिकारी चार्ल्स ट्रेगार्ट था। जिसे मौत …

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राष्ट्र और समाज को सारा जीवन देने वाले भारत रत्न नाना जी देशमुख

27 फरवरी 2010 में सुप्रसिद्ध राष्ट्रसेवी भारत रत्न नानाजी देशमुख की पुण्यतिथि हजार वर्ष की दासता के अंधकार के बीच यदि आज राष्ट्र और संस्कृति का वट वृक्ष पुनः पनप रहा है तो इसके पीछे उन असंख्य तपस्वियों का जीवन है जिन्होंने अपना कुछ न सोचा। जो सोचा वह राष्ट्र …

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पत्रकार पंडित रामदहिन ओझा का बलिदान

18 फरवरी 1931 : लेखन के साथ सक्रिय आँदोलन में भागीदारी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अनेक बलिदानी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने लेखन से जनमत जगाया, युवकों को क्राँति के लिये संगठित किया और स्वयं विभिन्न आँदोलनों में सीधी सहभागिता की और बलिदान हुये । सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित …

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क्राँतिकारी पत्रकार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कुमाऊँ केशरी बद्रीदत्त पांडेय

15 फरवरी 1882 को जन्मे बद्रीदत्त पांडेय का पूरा जीवन राष्ट्र और संस्कृति रक्षा को समर्पित जिस प्रकार प्रातःकालीन सूर्योदय के लिये करोड़ो पलों की उत्सर्ग होता है उसी प्रकार भारत राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिये भी करोड़ो जीवन के बलिदान हुये हैं । कुछ नाम सामने आ रहे हैं …

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