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Tag Archives: केशकाल

जानिए भंगाराम देवी हैं या देवता? 

बस्तर अंचल के कोंडागाँव जिले में रायपुर-जगदलपुर राजमार्ग पर कोंडागाँव से लगभग 52 किलोमीटर पहले या जगदलपुर की ओर से चलें तो जगदलपुर-रायपुर राजमार्ग पर जगदलपुर से 129 किलोमीटर दूर केसकाल नामक गाँव है। इसी गाँव के एक मोहल्ले सुरडोंगर से हो कर जाते हैं एक पहाड़ी की ओर जहाँ …

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आदिमानवों की शरणस्थली हितापुंगार घुमर

बस्तर अपनी जनजातीय संस्कृति एवं प्राकृतिक सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध है । बस्तर का प्रवेश द्वार केसकाल ही बस्तर की जनजातीय कला एवं संस्कृति, धरोहर के रूप में अनेक प्राचीन भग्नावशेष, कल-कल छल-छल करते झरने एवं जलप्रपात बस्तर की प्राकृतिक एवं पुरातात्विक वैभव का आभास करा देता है। केसकाल में …

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कोडाखड़का घुमर का अनछुआ सौंदर्य एवं शैलचित्र

बस्तर अपनी नैसर्गिक सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध है। केशकाल को बस्तर का प्रवेश द्वार कहा जाता है, यहीं से बस्तर की प्राकृतिक सुन्दरता अपनी झलक दिखा जाती है। बारह मोड़ों वाली घाटी, ऊँचे-ऊँचे साल के वृक्ष, टाटमारी, नलाझर, मांझिनगढ़ और कुएमारी जैसे अनेक मारी (पठार) हैं। मारी में अनेक शैलचित्र, …

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माँझीनगढ़ के शैलचित्र एवं गढ़मावली देवी जातरा

भारतीय ग्राम्य एवं वन संस्कृति अद्भुत है, जहाँ विभिन्न प्रकार की मान्यताएं, देवी-देवता, प्राचीन स्थल एवं जीवनोपयोगी जानकारियाँ मिलती हैं। सरल एवं सहज जीवन के साथ प्राकृतिक वातावरण शहरी मनुष्य को सहज ही आकर्षित करता है। ऐसा ही एक स्थल छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिला मुख्यालय से 60 कि.मी.की दूरी पर …

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केशकाल के प्राचीन शिवालय : सावन विशेष

छत्तीसगढ़ अंचल में सरगुजा से लेकर बस्तर प्राचीन शिवलिंग पाये जाते हैं। यह वही दण्डकारण्य का क्षेत्र है जो भगवान राम की लीला स्थली रही है तथा बस्तर में उत्तर से लेकर दक्षिण तक प्राचीन शिवालयों के भग्नावशेष पाए जाते हैं। श्रावण मास में बस्तर की हरियाली देखते ही बनती …

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एक ऐसा स्थान जहाँ के पत्थर बोलते हैं

भारत में बहुत सारे स्थान ऐसे हैं जहाँ बोलते हुए पत्थर पाये जाते हैं, पत्थरों पर आघात करने से धातु जैसी ध्वनि निकलती है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा का ठिनठिनी पखना हो या कर्णाटक के हम्पी का विट्ठल मंदिर या महानवमी डिबा के पास का हाथी। इन पर चोट करने से …

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आदिमानवों द्वारा निर्मित गुहा शैलचित्र : लहूहाता बस्तर

जंगल में गुजरते हुए पहाड़ की चढ़ाई, ऊपर पठारी भाग में चौरस मैदान और चौरस मैदान के नीचे सभी ओर गहरी खाई, मैदान से खाई के बीच बेतरतीब पत्थरों की दीवार। दीवार में प्राकृतिक रुप से बने अनेक गुफानुमा स्थान। 8-10 वर्ग कि.मी. का पठारी क्षेत्र पूर्णतः वीरान किन्तु चारों …

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गढ़धनौरा गोबरहीन का विशाल शिवलिंग एवं पुन्नी मेला

महाशिवरात्रि पर्व पर त्रेतायुग के नायक भगवान श्रीराम के वनवास काल स्थल एवं 5वीं-6वीं शताब्दी के प्राचीन प्रसिद्ध शिवधाम गढधनौरा गोबरहीन में मेला लगता है। श्रद्धालु शिवभक्तों, प्रकृति से प्रेम करने वाले प्रकृति प्रेमियों एवं सभ्यता संस्कृति इतिहास में अभिरूचि रखने वाले जिज्ञासुओं की भारी भीड़ के चलते यंहा पर …

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जानी अनजानी कथा केशकाल की

छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर अंचल को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाला रास्ता केशकाल की घाटी से गुजरता है एक तरह से यह घाटी वहाँ की जीवन-रेखा है। यह घाटी अपनी घुमावदार सड़क और प्राकृतिक सुंदरता के लिये जानी जाती है। प्रस्तुत है उसी घाटी की सड़क की छोटी …

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केशकाल का भव्य झरना : उमरादाह

प्रकृति की अपार खूबसूरती से भरा बस्तर संभाग अपने अकूत प्राकृतिक सौंदर्य और खनिज संपदा के लिए जाना जाता है। इसी क्रम में अविभाजित बस्तर जिले से मुक्त होकर बने नवीन जिले कोंडागांव में पर्यटन की अपार संभावनाएं है, जिसका सिरमौर केशकाल विकासखंड है। विगत एक दो वर्षों में चर्चा …

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