Home / पर्यटन / केशकाल का भव्य झरना : उमरादाह

केशकाल का भव्य झरना : उमरादाह

प्रकृति की अपार खूबसूरती से भरा बस्तर संभाग अपने अकूत प्राकृतिक सौंदर्य और खनिज संपदा के लिए जाना जाता है। इसी क्रम में अविभाजित बस्तर जिले से मुक्त होकर बने नवीन जिले कोंडागांव में पर्यटन की अपार संभावनाएं है, जिसका सिरमौर केशकाल विकासखंड है।

विगत एक दो वर्षों में चर्चा में आए कुवेमारी क्षेत्र मे कई बड़े झरने सामने आये हैं, जिनके दृष्टिगत जिला प्रशासन ने उक्त निर्झरों के समुचित विकास, उन्नयन, प्रबंधन एवं संरक्षण हेतु लिंगो-पथ का निर्माण करने का निर्णय लिया है।

इसी कुवेमारी के नीचे वाले क्षेत्र में ग्राम बटराली से लगभग 19 किलोमीटर दूर ग्राम होनहोड़ होते हुए आगे बढ़ने पर नवीन ग्राम पंचायत उमरादाह आता है, जहां स्थित है उमरादाह जलप्रपात एवं कठनगुंडी गुफा। यह स्थान “ट्रैकिंग” के लिए आदर्श स्थल है।

उमरादाह जलप्रपात

प्रकृति की गोद में बसा उमराडाह ग्राम पूर्णवनाच्छादित ग्राम है, जो होनहेड ग्राम से लगभग 07 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित पर्वत क्षेत्र में स्थित है। उक्त पहुच मार्ग लिंगो पथ के अंतर्गत आता है एवं वर्तमान में कच्चा तथा निर्माणाधीन है। ग्राम में पहुचने पर ग्राम के ठीक बाहर उत्तरी दिशा में आगे बढ़ते हुवे लगभग आधा किलोमीटर 30 डिग्री की सीधी ढलान पर उतरने पर दूर से ही जलप्रपात के गर्जना सुनाई देने लगती है।

एक निश्चित स्थान पर पगडंडी दो भागो में बट जाती है, जहां से लगभग 200 फिट दाहिने आगे बढ़ने पर आता है उमरादाह जलप्रपात। महीन काले डोलेराईट चटानों के बीच सफ़ेद ग्रेनाइट की चटानो पर जब स्थानीय नाला लगभग 100 फिट की ऊँचाई से गिरता है, तो इससे एक अत्यंत नयनाभिराम निर्झर का निर्माण होता है।

जिसके कुछ दूरी पर आगे डोलेराईट एवं सफ़ेद ग्रेनाइट की चट्टानों के बीच छुपकर उक्त प्रपात नीचे उतरते हुए कई छोटी छोटी धाराओं का निर्माण करता हुअ आगे बढ़ता है। इस प्रकार उक्त प्रपात प्रत्यक्ष रूप से लगभग 100 फिट ऊँचा एवं छद्म रूप से लगभग 100 फिट ऊँचा है, जिससे इसकी कुल लम्बाई 200 फिट हो जाती है।

कठनगुंडी गुफा

उपरोक्त विवरण अनुसार जिस स्थान से पगडण्डी दो भागो में बट जाती है, उस स्थान से बाईं पगडण्डी को पकड़कर लगभग 100 फिट नीचे उतरने पर एक छोटी गुफानुमा डोलेराइट की चट्टान (ग्रोटो) है, जिसे ग्रामीण श्रद्धाभाव से कठनगुंडी गुफा के नाम से बुलाते है।

उत्तर बस्तर के महापाषाणकालीन परम्परा के अनुरूप इस गुफा में भी आदिमानवकालीन चित्रकला देखने को मिलती है। गुफा के अन्दर की छत में लाल रंग से कई प्रकार के चित्र निर्मित दृष्टव्य होते है, जिसे देखकर आदिमानवों के समय की तात्कालीन सामाजिक व्यवस्था का ज्ञान होता है।

कहीं पर एक मनुष्य एक चौपाये जानवर के साथ, कहीं पर एक मनुष्य एक नन्हे बालक के साथ, कहीं पर दो मनुष्य हाथ में तलवार और ढाल जैसा कोई शस्त्र पकडे हुए, कहीं-कहीं पर कुछ मनुष्य किसी चौपाये जानवर का शिकार करते देखे जा सकते हैं। इस प्रकार इन शैलचित्रों को पानी डालकर मलने पर भी उनका रंग और आभा काम नही होती है, जो महापाषाणकालीन शैलचित्र कला की श्रेष्टता का द्योतक है।

उक्त दोनों स्थानों का पास-पास में होना इस स्थान को एक अलग पहचान दिलाता है, जिससे यह ग्राम पर्यटन की दृष्टि में अलग पहचान बनाने को आतुर नज़र आता है। ग्रेनाइट और डोलेराईट की चट्टानों में उतरने हेतु यही चट्टानें सीढी की तरह काम आती है।

आधे किलोमीटर की अत्यंत दुर्गम ट्रेक के बाद जब कोई पर्यटक यहाँ पहुचता है तो वह अपनी सारी थकान इसके दर्शन मात्र से भूल जाता है और इस निर्झर के गुणगान में खो जाता है। यह स्थान पूरे एक दिन के पर्यटन का छोटा पैकेज बड़ा धमाका है। इस स्थान तक वर्ष भर पहुंचा जा सकता है, परन्तु मौसमी झरना होने के कारण यहाँ आने का उपयुक्त समय वर्षाकाल एवं शरद ऋतू का प्रारंभ है।

उक्त ग्राम में ग्राम के ठीक बाहर बाईं दिशा में लगभग 100 फिट जाने पर एक वृक्ष के जड़ के ठीक नीचे स्वच्छ जल का प्राकृतिक जल स्रोत है, जिसके जल को समस्त ग्रामवासी पेयजल हेतु उपयोग में लाते हैं। इस स्थान तक पहुचने में भूविज्ञान विशेषज्ञ श्री जितेन्द्र नक्का एवं केशकाल के भास्कर संवाददाता श्री राजा गोयल की सहायता ग्राम के सरपंच श्री पनकाराम कोरोटी जी ने की।

आलेख

श्री जितेन्द्र नक्का
भू-विज्ञानी जगदलपुर, बस्तर (छत्तीसगढ़)

About hukum

Check Also

आध्यात्म और पर्यटन का संगम गिरौदपुरी का मेला

नवगठित बलौदाबाजार भाटापारा जिलान्तर्गत बलौदाबाजार से 45 कि मी पर जोंक नदी के किनारे गिरौदपुरी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *