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इतिहास

इतिहास विभाग में वैदिक साहित्य में इतिहास, पौराणिक इतिहास, जनजातीय कथाओं में इतिहास, रामायण, महाभारत एवं जैन-बौद्ध ग्रंभों में इतिहास, भारतीय राजवंशो का इतिहास, विदेशी आक्रमणकारियों (मुगल एवं अंग्रेज) का इतिहास, स्वात्रंत्येतर इतिहास, बस्तर भूमकाल विद्रोह, नक्सल इतिहास, घुमक्कड़ परिव्राजक ॠषि मुनि तथा आदिम बसाहटों के इतिहास को स्थान दिया गया है।

अस्सी वर्ष की आयु में क्रांति की कमान संभालने वाले बाबू कुंअर सिंह

26 अप्रैल 1858 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी बाबू कुँअर सिंह का बलिदान भारतीय स्वाधीनता संग्राम में ऐसे असंख्य बलिदानी हुये जिन्होंने न अपने परिवार की चिंता की न आयु बाधा बनी। वे भारत की स्वाधीनता के लिये न्यौछावर हो गये। ऐसे ही बलिदानी थे बाबू कुँअर सिंह, जिन्होंने हाथ में बंदूक …

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वनवासी युवाओं को संगठित कर सशस्त्र संघर्ष करने वाले तेलंगा खड़िया का बलिदान

23 अप्रैल 1880 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी तेलंगा खड़िया का बलिदान भारत पर आक्रमण चाहे सल्तनतकाल काल का रहा हो अथवा अंग्रेजीकाल का। वन्य अंचलों ने कभी दासत्व को स्वीकार नहीं किया और स्वाधीनता केलिए सदैव संघर्ष किया और बलिदान हुये। ऐसे ही संघर्ष के नायक हैं तेलंगा खड़िया जिन्होंने वनवासी …

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संसार को अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले भगवान महावीर

जैन ग्रन्थों के अनुसार समय समय पर धर्म तीर्थ के प्रवर्तन के लिए तीर्थंकरों का जन्म होता है, जो सभी जीवों को आत्मिक सुख प्राप्ति का उपाय बताते है। तीर्थंकरों की संख्या चौबीस ही कही गयी है। भगवान महावीर 24वें तीर्थंकर हुए हैं। उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील …

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षड्यंत्रकारी नासिक कलेक्टर को गोली मारने वाले तीन क्रांतिकारी

19 अप्रैल 1910 : तीन महान क्राँतिकारियों अनंत लक्ष्मण कान्हेरे, विनायक नारायण देशपाँडे और कृष्ण गोपाल कर्वे का बलिदान भारतीय स्वाधीनता संघर्ष में अनंत वीरों का बलिदान हुआ है। कुछ के तो नाम तक नहीं मिलते और जिनके नाम मिलते हैं उनका विवरण नहीं मिलता। नासिक में ऐसे ही क्राँतिकारियों …

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पन्द्रह माह तक क्राँति को जीवन्त रखने वाले क्राँतिकारी तात्या टोपे

18 अप्रैल 1859 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी तात्या टोपे का बलिदान सुप्रसिद्ध बलिदानी तात्या टोपे संसार के उन विरले सेनानायकों में से एक हैं जिन्होंने न केवल एक विशाल क्रान्ति को संचालित किया अपितु क्राँति के समस्त नायकों का बलिदान हो जाने के बाद अपनी अकेली दम पर लगभग एक वर्ष …

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भाषा के प्रति बाबा साहेब का राष्ट्रीय दृष्टिकोण

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के लिए भाषा का प्रश्न भी राष्ट्रीय महत्व का था। उनकी मातृभाषा मराठी थी। अपनी मातृभाषा पर उनका जितना अधिकार था, वैसा ही अधिकार अंग्रेजी पर भी था। इसके अलावा बाबा साहेब संस्कृत, हिंदी, पर्शियन, पाली, गुजराती, जर्मन, फारसी और फ्रेंच भाषाओं के भी विद्वान …

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डॉ. भीमराव अंबेडकर का भारतीय राजनीति में उत्थान और योगदान

महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में मंडनगढ से पांच मील की दूरी पर आंबवडे नामक देहात है। भीमराव अंबेडकर घराने का मूल गांव यही था। इस घर आने का कुल नाम सकपाल था। कुलदेवी की पालकी रखने का सम्मान इस महार घराने का था। महार जाति मजबूत कद काठी, जोरदार आवाज …

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धर्म एवं आस्था का केन्द्र माँ बमलेश्वरी

छत्तीसगढ़ प्रदेश के राजनांदगांव जिलान्तर्गत दक्षिण पूर्वी मध्य रेल्वे के स्टेशन और रायपुर नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में महाराष्ट्र प्रांत से लगा सीमांत तहसील मुख्यालय डोंगरगढ़ हैं। ब्रिटिश शासन काल में यह एक जमींदारी थी। प्राचीन काल से विमला देवी यहां की अधिष्ठात्री है जो आज बमलेश्वरी देवी के नाम से …

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सनातनी हिंदुओं को आक्रांताओं से बचाने भगवान झूलेलाल का अवतरण

चैत्र शुक्ल द्वितीया – जन्म दिन पर विशेष संवत दस सौ सात मंझारा । चैत्र शुक्ल द्वितिया के वारा ॥ ग्राम नसरपुर सिंध प्रदेशा । प्रभु अवतरे हरे जन क्लेशा ॥ भारत के प्राचीन काल में सिंध प्रांत को भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता था क्योंकि सिंध प्रांत को …

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भारत की सांस्कृतिक सेना के शिल्पी डॉ. हेडगेवार

परम वैभवशाली भारत माता का पाथेय है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आ सिंधु-सिंधु पर्यन्ता, यस्य भारत भूमिका। पितृभू- पुण्यभूभुश्चेव सा वै हिंदू रीति स्मृता॥ इस श्लोक के अनुसार “भारत के वह सभी लोग हिंदू हैं जो इस देश को पितृभूमि-पुण्यभूमि मानते हैं” वीर दामोदर सावरकर के इस दर्शन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक …

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