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इतिहास

इतिहास विभाग में वैदिक साहित्य में इतिहास, पौराणिक इतिहास, जनजातीय कथाओं में इतिहास, रामायण, महाभारत एवं जैन-बौद्ध ग्रंभों में इतिहास, भारतीय राजवंशो का इतिहास, विदेशी आक्रमणकारियों (मुगल एवं अंग्रेज) का इतिहास, स्वात्रंत्येतर इतिहास, बस्तर भूमकाल विद्रोह, नक्सल इतिहास, घुमक्कड़ परिव्राजक ॠषि मुनि तथा आदिम बसाहटों के इतिहास को स्थान दिया गया है।

कवर्धा राज का दशहरा उत्सव

हमारा देश सनातन काल से सौर, गाणपत्य, शैव, वैष्णव, शाक्त आदि पंच धार्मिक परम्पराओं का वाहक रहा है। यहाँ पर्वों एवं त्यौहारों की कोई कमी नहीं है, सप्ताह के प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होते हैं। विक्रम संवत की प्रत्येक तिथियाँ भी अपनी विशिष्टता लिए हुए हैं। …

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तरेंगा राज की महामाई

दाऊ कल्याण सिंह की नगरी एवं तरेंगा राज शिवनाथ नदी के तट पर राजधानी रायपुर से 70 किलोमीटर एवं बिलासपुर से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव मां महामाया की नगरी के नाम से प्रसिद्ध है, मान्यता के अनुसार मां महामाया का मंदिर  प्राचीन है, मंदिर के …

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अज्ञात पंचसागर शक्तिपीठ

आदि शक्ति मां के 51 शक्ति पीठ कहे गए हैं। पुराणों में माता के शक्तिपीठों का नाम दिये गये हैं उनमें से दो शक्तिपीठ अज्ञात कहें गये हैं। ‘पंचसागर शक्तिपीठ’ छत्तीसगढ़ में विद्यमान हैं। पौराणिक आख्यानों के अनुसार पंचसागर शक्तिपीठ का जो वर्णन मिलता है वैसा ही स्वरूप छत्तीसगढ़ के …

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जीवन का सुख

पं. दीनदयाल उपाध्याय द्वारा संघ शिक्षा वर्ग, बौद्धिक वर्ग मैसूर, मई 19, 1967 को दिया गया व्याख्यान प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सुख की भावना लेकर चलता है। मानव ही नहीं, तो प्राणिमात्र सुख के लिए लालयित है। दुःख को टालना और सुख को प्राप्त करना, यह एक उसकी स्वाभाविक …

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जानिए भंगाराम देवी हैं या देवता? 

बस्तर अंचल के कोंडागाँव जिले में रायपुर-जगदलपुर राजमार्ग पर कोंडागाँव से लगभग 52 किलोमीटर पहले या जगदलपुर की ओर से चलें तो जगदलपुर-रायपुर राजमार्ग पर जगदलपुर से 129 किलोमीटर दूर केसकाल नामक गाँव है। इसी गाँव के एक मोहल्ले सुरडोंगर से हो कर जाते हैं एक पहाड़ी की ओर जहाँ …

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सनातन विश्व में पर्यावरण क्रांति के अग्रदूत : श्री कृष्ण

श्री कृष्ण जनमाष्टमी विशेष आलेख पर्यावरण संरक्षण की चेतना वैदिक काल से ही प्रचलित है। प्रकृति और मनुष्य सदैव से ही एक दूसरे के पूरक रहे हैं। एक के बिना दूसरे की कल्पना करना बेमानी है। वैदिक काल के ध्येय वाक्य “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की अभिधारणा लिए प्रकृति और मनुष्य …

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प्रथम नहर और बीज विज्ञानी: भगवान हलधर

हल षष्ठी पर विशेष भारतीय धर्म और संस्कृति में बलराम एक हिंदुओं के देवता और भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई के रूप में पहचाने जाते है। जगन्नाथ परंपरा, त्रय देवताओं में से एक के रूप में वह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।उनके अन्य नामो के रूप में बलदेव,बलभद्र,बलदाऊ,बलभद्र, दाऊ, …

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वासंती माटी पर खिले भारत की स्वाधीनता के पुष्प

(आजादी के अमृत महोत्सव पर विशेष आलेख) प्रसिद्ध इतिहासकार ई. एच. कार ने कहा था-“इतिहास वर्तमान काल और भूत काल के बीच एक निरंतर संवाद है। इतिहास का दोहरा काम मनुष्य को अतीत के समाज को समझने और वर्तमान समाज के अपने ज्ञान को बढ़ाने में सक्षम बनाना है।” इतिहासकार …

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याद रखनी चाहिए भारत विभाजन की त्रासदी

विभाजन विभिषिक स्मृति दिवस 14 अगस्त : विशेष आलेख देश का विभाजन एक अमानवीय त्रासदी थी जो अपने साथ भारतवर्ष का दुर्भाग्य भी लेकर आई थी। विश्व इतिहास के किसी दौर में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं है कि आप आजादी के लिए संघर्ष करें, आंदोलन चलाएं और जब आजाद …

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नागों का उद्भव एवं प्राचीन सभ्यताओं पर प्रभाव

नागपंचमी विशेष आलेख प्राचीनकाल में नागों की सत्ता पूरी दुनिया पर थी, जिसके प्रमाण हमें आज भी मिलते हैं। भूगोल की शायद ऐसी कोई संस्कृति या सभ्यता न हो जहाँ नागों का वर्चस्व या प्रभाव न दिखाई देता हो। चाहे भारतीय संस्कृति/सभ्यता हो, चाहे माया सभ्यता हो चाहे मिश्र की …

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