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इतिहास

इतिहास विभाग में वैदिक साहित्य में इतिहास, पौराणिक इतिहास, जनजातीय कथाओं में इतिहास, रामायण, महाभारत एवं जैन-बौद्ध ग्रंभों में इतिहास, भारतीय राजवंशो का इतिहास, विदेशी आक्रमणकारियों (मुगल एवं अंग्रेज) का इतिहास, स्वात्रंत्येतर इतिहास, बस्तर भूमकाल विद्रोह, नक्सल इतिहास, घुमक्कड़ परिव्राजक ॠषि मुनि तथा आदिम बसाहटों के इतिहास को स्थान दिया गया है।

अपनी धरती अपना राज का नारा देने वाले महान क्रांतिकारी भगवान बिरसा मुंडा

भारत के महान क्रांतिकारी हिंदू संस्कृति धर्म रक्षक बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को खूंटी जिले के अडकी प्रखंड के उलिहातु गाँव में हुआ था। उस समय ईसाई स्कूल में प्रवेश लेने के लिए इसाई धर्म अपनाना जरुरी हुआ करता था। तो बिरसा का धर्म परिवर्तन कर उनका …

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स्वदेशी और स्वाधीनता आँदोलन को गति देने वालों में अग्रणी विपिन चंद्र पाल

स्वतंत्रता आँदोलन के अग्रणी नेताओं में “लाल, बाल, पाल” के रूप “त्रिदेव” के नाम आते हैं जिन्होंने सबसे पहले पूर्ण स्वतंत्रता और पूर्ण स्वदेशी का नारा लगाया था। विपिनचंद्र पाल इन “त्रिदेव” में से एक थे और अन्य दो लाला लाजपतराय एवं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक थे। इन्हीं त्रिदेव ने …

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ऐश्वर्य की महादेवी महानदी

मानव सभ्यता का उद्भव और संस्कृति का प्रारंभिक विकास नदी के किनारे ही हुआ है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में नदियों का विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति में ये जीवनदायिनी मां की तरह पूजनीय हैं। यहां सदियों से स्नान के समय पांच नदियों के नामों का उच्चारण तथा जल …

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काले पानी की सजा काट भगतसिंह राजगुरु जैसे क्राँतिकारी तैयार करने वाले भाई परमानंद

4 नवम्बर 1870 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी भाई परमानन्द का जन्म दिवस विशेष सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी भाई परमानन्द का जन्म 4 नवम्बर 1870 को झेलम जिले के करियाला गाँव में हुआ। यह क्षेत्र अब पाकिस्तान मे है। भाई जी के परिवार की पृष्ठभूमि राष्ट्र और संस्कृति के लिये बलिदान की रही है। …

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समरस, स्वत्व, साँस्कृतिक और सशक्त राष्ट्र स्वरूप के पक्षधर थे सरदार वल्लभ भाई पटेल

31 अक्टुबर आधुनिक भारत शिल्पी सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म दिवस विशेष सरदार वल्लभ भाई पटेल उन विरले महानायकों में से हैं जिन्होंने स्वतंत्रता के लिये तो संघर्ष किया ही साथ ही भारतीय नागरिकों के स्वत्व और स्वाभिमान और नागरिक अधिकार के लिये भी संघर्ष किया। इसका उदाहरण खेड़ा …

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संसार का पहला महाकाव्य रचने वाले महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकि का जन्म शरद पूर्णिमा को हुआ था। वे भारत की उन विरली विभूतियों में से एक हैं, जिन्हें हर समाज अपना पूर्वज मानता है। ब्राह्मण समाज ऋषि पुत्र मानता है तो भील वनवासी समाज उन्हें अपना पूर्वज मानते हैं, दलित वर्ग में तो वाल्मीकि समाज की गणना होती …

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तेरह वर्ष की आयु से चला गिरफ्तारी और रिहाई का सिलसिला : क्राँतिकारी मन्मन्थनाथ गुप्त

26 अक्टूबर 2000 सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी और लेखक मन्मन्थनाथ गुप्त पुण्यतिथि विशेष सुप्रसिद्ध साहित्यकार और क्राँतिकारी मन्मन्थनाथ गुप्त ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जिनकी गिरफ्तारियाँ तीनों कार्यों में हुई। क्राँति के प्रचार में, क्राँति में सहभागिता में और साहित्य रचना में भी। उनकी पहली गिरफ्तारी तेरह वर्ष की आयु में हुई …

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गौरक्षा के लिये 166 दिन अनशन कर देश में जाग्रति उत्पन्न की : संत रामचंद्र वीर

12 अक्टूबर 1909 सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और संत रामचंद्र वीर का जन्म दिवस स्वामी रामचंद्र वीर एक ऐसे संत और राष्ट्रीय संस्कृति के लिये समर्पित विभूति थे जिन्होंने दासत्व काल में जहाँ स्वतंत्रता के लिये संघर्ष किया तो स्वतंत्रता के बाद स्वत्व, स्वाभिमान और सांस्कृतिक मूल्यों की प्रतिष्ठापना के …

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राष्ट्र जागरण और गौरक्षा के लिये समर्पित जीवन : संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी

9 अक्टूबर 1885 सुप्रसिद्ध संत और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रभुदत्त ब्रह्मचारी का जन्म दिवस भारतीय स्वतंत्रता के लिये जितना संघर्ष प्रत्यक्ष आँदोलन के लिये हुआ उससे कहीं अधिक उस अप्रत्यक्ष संघर्ष में जीवन समर्पित हुये जिन्होंने स्वाधीनता आँदोलन में तो भाग लिया ही साथ ही भारतीय संस्कृति के मानविन्दुओं और …

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छत्तीसगढ़ में रामानंद सम्प्रदाय के मठ एवं महंत

शिवरीनारायण में चतुर्भुजी विष्णु मूर्तियों और मंदिरों की अधिकता के कारण यह क्षेत्र प्राचीन काल से श्री पुरूषोत्तम और श्री नारायण क्षेत्र के रूप में विख्यात था। जगन्नाथ पुरी के भगवान जगन्नाथ को शिवरीनारायण से ही पुरी ले जाने का उल्लेख उड़िया कवि सरलादास ने चौदहवीं शताब्दी में किया था। …

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