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Monthly Archives: May 2019

दक्षिण कोसल का केदारनाथ शिवालय

केदारनाथ के नाम से ही स्पष्ट है कि यह एक शिवालय है, जो छत्तीसगढ़ के जिला मुख्यालय रायगढ़ से ओड़िशा के जिला मुख्यालय बरगढ़ जाने वाले रास्ते में तहसील मुख्यालय अम्बाभोना में मुख्य सड़क के किनारे स्थित है। पश्चिम ओड़िशा का यह इलाका कभी दक्षिण कोसल (छत्तीसगढ़) में समाहित था। …

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छत्तीगढ़ अंचल की प्राचीन प्रतिमाओं का केश अलंकरण

छत्तीसगढ़ अंचल के पुरास्मारकों की प्रतिमाओं में विभिन्न तरह के केश अलंकरण दिखाई देते हैं। मंदिरों की भित्तियों में स्थापित प्रतिमाओं में कालखंड के अनुरुप स्त्री-पुरुष का केश अलंकरण दिखाई देता है। उत्त्खनन में केश संवारने के साधन प्राप्त होते हैं, जिनमें डमरु (बलौदाबाजार) से प्राप्त हाथी दांत का कंघा …

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नारायणपुर का प्राचीन शिवालय

नारायणपुर का प्राचीन मंदिर अपनी मैथुन प्रतिमाओं के लिए प्रसिद्ध है। कसडोल सिरपुर मार्ग पर ग्राम ठाकुरदिया से 8 किमी की दूरी पर नारायणपुर ग्राम में यह 11 वीं शताब्दी का मंदिर स्थित है। यह पूर्वाभिमुखी मंदिर महानदी के समीप स्थित है। इसका निर्माण बलुआ पत्थरों से हुआ है। शिवालय …

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प्रसिद्ध मिजारू, किकाजारू, इवाजारू नामक बुद्धिमान बंदर

बुरा मत कहो, बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो की उक्ति को परिभाषित करते हुए तीन बंदर गांधी जी के कहलाते हैं। सहज बोल-चाल में गांधी जी के बंदर कह दिए जाते हैं। प्रश्न यह आता है कि गांधी जी के बंदरों के नाम से प्रसिद्ध वे तीन बंदर किसके …

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ऐसा स्थान जहाँ जंगली भालू का कुनबा पीने आता है शीतल पेय

मनुष्य के पास वह कला है, जिससे उसने बड़े से बड़े एवं हिंसक पशुओं को भी पालतु बना लिया। पालतु बनाकर उसे अपनी जीविका से भी जोड़ लिया। परन्तु हम एक ऐसे हिंसक प्राणी का जिक्र कर रहे हैं जो अपनी बसाहट में रहने के साथ हिंसक प्रवृत्ति को भूलकर …

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दण्डकारण्य स्थित वह स्थल जहाँ मान्यता है कि वनवास काल में भगवान राम पहुंचे थे

छत्तीसगढ़ अंचल की प्राकृतिक सुंदरता का कोई सानी नहीं है। नदी, पर्वत, झरने, गुफ़ाएं-कंदराएं, वन्य प्राणी आदि के हम स्वयं को प्रकृति के समीप पाते हैं। अंचल के सरगुजा क्षेत्र पर प्रकृति की विशेष अनुकम्पा है, चारों तरफ़ हरितिमा के बीच प्राचीन स्थलों के साथ रमणीय वातावरण मनुष्य को मोहित …

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अक्ति तिहार : प्राचीन परम्पराएं, मान्यताएं एवं ठाकुर देव पूजा

बैगा आदिवासियों द्वारा अक्ति पूजा : फ़ोटो गोपी सोनी अक्षय का अर्थ है, कभी न मिटने वाला, कभी न खत्म होने वाला। इसलिए इस दिन जो भी कार्य किया जाता है वह फ़लदाई होता है। इस दिन को इतना पवित्र माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन कोई भी …

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जानिए कौन सा स्थान है जहाँ सीता जी ने लिखना सीखा था?

शंख लिपि प्राचीन लिपि है, माना जाता है कि इसका उद्भव ब्राह्मी लिपि के साथ ही हुआ, यह भारत के कई प्राचीन स्थलों में दिखाई देती है। इसके वर्णों की आकृति शंख जैसे होने के कारण इसे शंख लिपि कहा गया। इसके साथ ही विडम्बना यह है कि इसे पढ़ा …

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जानिए बस्तर के आदिवासी समाज में क्या और क्यों होता है खटला फ़िराना

धर्म भीरू मानव एक ऐसे समाज का निर्माण करता है, जहाँ अच्छे और बुरे कर्म के साथ स्वर्ग-नर्क की अवधारणा है। अच्छे कर्म के लिये अच्छा फल चाहे उसे देर से प्राप्त होता हो। किन्तु बुरे कर्म का बुरा फल उसे तत्काल प्राप्त हो जाता है, यही उसके समाज की …

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