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Monthly Archives: February 2022

बस राम लिखूं

रघुकुल गौरव, अवध सिया के, दशरथ कोशला राम लिखूं। या रावण हंता, दुष्ट दलंता, लंका विजई सम्मान लिखूं। है अनुज दुलारे भरत भाल, जिन पर मैं अपना स्वास लिखू।है अनुज दुलारे लखन लाल, जिन पर मैं अपना विश्वास लिखूं। ये सम्मानित राघव रघु कुल, ना काम क्रोध मद लोभ लिखूं।केवट …

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चितावरी देवी मंदिर धोबनी का स्थापत्य शिल्प

धोबनी ग्राम रायपुर-बिलासपुर राजमार्ग पर दामाखेड़ा ग्राम से बायें तरफ लगभग 2 कि.मी. दूरी पर स्थित है। रायपुर से धोबनी की कुल दूरी लगभग 57 कि.मी. है। (इस ग्राम में वर्ष 2003 तक स्थानीय बाजार तथा पशु मेला रविवार को भरता था जो वर्तमान में किरवई नामक ग्राम के उत्तर …

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कलचुरिकालीन जगन्नाथ मंदिर खल्लारी

महासमुंद जिलार्न्तगत, महासमुंद तहसील मुख्यालय से खल्लारी 22 किमी. दूरी पर बागबाहरा मार्ग पर एवं रायपुर से 77 कि.मी. दूरी पर 20॰53’ उत्तरी अक्षांस तथा 82॰15’ पूर्वी देक्षांस पर स्थित है। रायपुर-वाल्टेयर रेल लाइन में भीमखोज रेलवे स्टेशन से 2 कि.मी. बायें तरफ पहाड़ी की तलहटी में खल्लारी स्थित है। …

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छत्तीसगढ़ की खड़िया जनजाति की जीवन शैली

खड़िया जाति भारत मे सर्वाधिक उड़ीसा, झारखंड के बाद छत्तीसगढ़ में पाई जाती है। जनगणना के अनुसार छतीसगढ़ में खड़िया 49032 है, जिसमें रायगढ़, फरसाबहार, जशपुर के बाद महासमुन्द जिले में इनकी आबादी अधिक है। बागबाहरा के जंगल क्षेत्र व बसना विकास खण्ड में भी इनकी बसाहट है। खड़िया जाति …

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विजयी भारत के प्रेरणास्रोत : छत्रपति शिवाजी महाराज

पूरे उत्तर भारत में मुगलों का शासन था। औरंगजेब जैसा राजा दिल्ली के तख्त पर था। दक्षिण में निजामशाही थी। हिन्दू धर्म खतरे में था। छोटे-बड़े हिन्दू राजा, सेनापति जो अपना पराक्रम, शौर्य मुगलों के लिए खर्च करते थे। ऐसे समय पर 15 वर्षीय बालक शिवाजी सामान्य परिवारों के अपने …

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प्राचीन सभ्यता का संवाहक श्री संगम तीर्थ राजिम

सृष्टि के प्रारंभ में विंध्याचल के दक्षिण का भू-भाग सबसे पहले अस्तित्व में आया। मानव सभ्यता के उदगम का यही स्थान बना। वैज्ञानिक मतों के अनुसार सिहावा पर्वत (शुक्तिमत) जो ‘बस्तर क्रेटॉन’ के अंतर्गत है, यह आद्य महाकल्प में निर्मित चट्टानों से बना है। जिस की औसत आयु 300 करोड़ …

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समग्र सृष्टि के रचयिता देव शिल्पी विश्वकर्मा

माघ सुदी त्रयोदशी विश्वकर्मा जयंती पर विशेष आलेख सृजन एवं निर्माण का के देवता भगवान विश्वकर्मा है, इसके साथ ॠग्वेद के मंत्र दृष्टा ॠषि भगवान विश्वकर्मा भी हैं। ऋग्वेद मे विश्वकर्मा सुक्त के नाम से 11 ऋचाऐं लिखी हुई है। जिनके प्रत्येक मन्त्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता …

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मैं कोसल का सौम्य पथिक

मैं चित्रोत्पला सा सरल तरल, हूँ तन मन  को सिंचित करता।मैं श्रृंगी पावन, अशेष चिन्ह, आगे बढ़ता ,,,,, राघव गढ़ता। मैं कोसल का सौम्य पथिक, जिन कौशल्या ने राम जना।उस चरित कौसला का आशीष, जिसने जग में  श्रीराम गढ़ा।। माथे पर चंदन ,रघुनंदन, राजीव लोचन, अद्वैत रक्ष।ये चार भाई मात्र …

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बस्तर के भूमकाल विद्रोह के कारण एवं गुण्डाधुर की भूमिका

सत्ता की निरंकुशता और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने में बस्तर के वनवासी कभी पीछे नहीं रहे। हल्बा (डोंगर) विद्रोह, भोपालपट्ट्नम विद्रोह, परलकोट विद्रोह, सन् 1910 का विप्लव आदि इसके दस्तावेजी प्रमाण हैं। सन् 1910 का विप्लव ही बस्तर में भूमकाल विद्रोह के नाम से प्रचारित हुआ। भूमकाल का अर्थ …

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सरगुजा के लोकनृत्य का प्रमुख पात्र “खिसरा”

रंगमंच या नाट्योत्सव भारत की प्राचीन परम्परा है, इसके साथ ही अन्य सभ्यताओं में भी नाटको एवं प्रहसनों का उल्लेख मिलता है। इनका आयोजन मनोरंजनार्थ होता था, नाटकों प्रहसनों के साथ नृत्य का प्रदर्शन हर्ष उल्लास, खुशी को व्यक्त करने के लिए उत्सव रुप में किया जाता था और अद्यतन …

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