२५ दिसम्बर को दुनियाभर में “क्रिसमस” पर्व की धूम रहती है। भारत में भी जगह-जगह क्रिसमस की शुभकामनाओं वाले पोस्टर्स, बैनर, ग्रीटिंग्स का वातावरण बनाया जाता है। किन्तु हे भारत ! क्या तुम्हें स्मरण है कि २५ दिसम्बर, हम भारतीयों के लिए क्या महत्त्व रखता है? इस बात को समझना …
Read More »Yearly Archives: 2022
सामाजिक समरसता का संदेश देने वाले संत गुरु घासीदास
गुरु घासीदास का संपूर्ण जीवन संघर्ष पूर्ण रहा। उस समय देश में सामंती प्रथा व्याप्त थी। पूरा देश अंग्रेजी शासन के अधीन था। जनता शोषित और पीड़ित थी। दलित समाज में विचित्र छटपटाहट थी। विचार अभिव्यक्ति की स्वतंतत्रा तो दूर की बात, लोगों को रोटी-कपड़े के लिए भी संघर्ष करना …
Read More »मिट्टी की गुणवत्ता एवं जैव विविधता का संरक्षण आवश्यक
हमारी धरती धन-धान्य से सदैव भरी रहे अक्षय रहे अक्षय तृतीया का पर्व इन्हीं महत्व को उजागर करता है। छत्तीसगढ़ में अक्ती त्यौहार के साथ खेती किसानी की शुरुआत होती है। किसान अच्छी फसल के लिए धरती माता, बैल, खेती-बाड़ी के औजार और बीजों की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेते …
Read More »भुंजिया जनजाति का चांउर धोनी परब
छत्तीसगढ़ की संस्कृति अद्भुत है। वन्य प्रांतर, नदियों और पहाड़ियों से आच्छादित छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। मैदानी इलाकों में अनेक परंपराएं देखने को मिलती है। वैसे ही सुदूर वनांचल क्षेत्रों में निवासरत जनजातियों की भी अपनी समृद्ध परंपरा और संस्कृति है। छत्तीसगढ़ में निवासरत कई जनजातियों …
Read More »कैसा कलयुग आया
भिखारी छंद में एक भिखारी की याचना कैसा कलयुग आया, घड़ा पाप का भरता। धर्म मर्म बिन समझे, मानुष लड़ता मरता।। लगता भगवन तेरी, माया ने भरमाया। नासमझों ने तेरे , रूपों को ठुकराया।। कल तक वे करते थे, हे प्रभु पूजा तेरी। सहसा कुछ लोगों ने, झट इनकी मति …
Read More »गौवंश का गुरुकुल : दईहान
छत्तीसगढ़ में गौ-पालन की समृद्ध परंपरा रही है। पहले गांवों में प्राय: हर घर में गाय रखी जाती थी और घर में अनिवार्यतः कोठा(गौशाला)भी हुआ करती थी। अब घर से गौशाला गायब है और गौशाला के स्थान पर गाड़ी रखने का शेड बना मिलता है; जहां गाय की जगह मोटरसाइकिल …
Read More »शौर्य और श्रृंगार का लोकनृत्य
कार्तिक एकादशी से छत्तीसगढ़ के गाँवों और नगरों की गलियों में उल्लास और आनंद से सराबोर राउतों की टोलियाँ अपने संग गड़वा बाजा की मनमोहक थाप पर झूमते-नाचते हुए जब निकलती हैं तब समझिये राउत समाज का देवारी पर्व प्रारंभ हो गया है। इस पर्व में राउत नाचा का आयोजन …
Read More »राम वनगमन पथ की रामलीलाओं पर छत्तीसगढ़ का पहला संदर्भ ग्रंथ प्रकाशित
दक्षिण कोसल यानी प्राचीन छत्तीसगढ़ को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का ननिहाल माना जाता है। लोक प्रचलित मान्यता है कि इस अंचल में उनकी माता कौशल्या का मायका रहा है।इस नाते भगवान श्रीराम छत्तीसगढ़ वासियों के भांजे हुए। उनके साथ मामा -भांजा का यह रिश्ता सैकड़ों-हजारों वर्षों से यहाँ के …
Read More »इतिहास एवं पुरातत्व के आईने में महासमुंद
महासमुंद जिला बने 27 माह 25 दिन ही हुए थे कि राज्यों के पुनर्गठन पश्चात 01 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश का 26वां राज्य बना। 06 जुलाई 1998 के पूर्व यह रायपुर जिले का एक तहसील हुआ करता था। 1873-74 में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के अधिकारी जे.डी. बेगलर जब मध्य …
Read More »गौधन अलंकरण एवं शृंगार : सुहई
भारतीय समाज में गोधन अलंकर एवं पूजा की परंपरा है। तदनुरूप राउत जाति के लोग भी गौ पूजा अलंकरण में विश्वास करते है। वृद्ध और युवा पीढ़ी के मध्य विचारों में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन न आने के कारण दोनों पीढ़ियों के द्वारा समान रूप से परंपरागत ढंग से …
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