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Yearly Archives: 2022

जनजातीय कथाओं की लोक दृष्टि

जनजातीय कथा साहित्य की दृष्टि से देखें तो वनवासियों का व्यावहारिक जीवन सदैव से विद्यमान है। वनवासी जंगलों में रहकर अपना जीवन पूर्वजों की धरोहर को समेटने में समय लगा देते हैं। प्रकृति के नाना रूपों में दृश्यों के खुले वातावरण में जीवन व्यतीत करने के कारण लोक संस्कृति के …

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नारी मनोव्यथा की अभिव्यक्ति सुआ गीत

छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का हिस्सा है सुआ गीत। यह छत्तीसगढ़ प्रदेश की गोंड जाति की स्त्रियों का प्रमुख नृत्य-गीत है लेकिन अन्य जाति के महिलाएं भी इसमें सम्मिलित होकर नृत्य करती हैं। जिसे सामूहिक रुप से किया जाता है। यह मुख्यतः महिलाओं के मनोभावों सुख-दुख आदि की अभिव्यक्ति का …

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बागबाहरा कलां की तीन देवियाँ

हमारे देश भारत एवं विदेशों में भी आदि शक्ति जगतजननी मां जगदंबा शक्तिपीठों में विराजमान हैं। जहाँ उन्हें कई नाम एवं कई रूपों में बारहों महीने पूजा जाता हैं और चैत कुंवार के नवरात्रि में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। जहां श्रद्धालु जन भारी संख्या में मनोकामना पूर्ति हेतु …

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कवर्धा राज का दशहरा उत्सव

हमारा देश सनातन काल से सौर, गाणपत्य, शैव, वैष्णव, शाक्त आदि पंच धार्मिक परम्पराओं का वाहक रहा है। यहाँ पर्वों एवं त्यौहारों की कोई कमी नहीं है, सप्ताह के प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होते हैं। विक्रम संवत की प्रत्येक तिथियाँ भी अपनी विशिष्टता लिए हुए हैं। …

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तरेंगा राज की महामाई

दाऊ कल्याण सिंह की नगरी एवं तरेंगा राज शिवनाथ नदी के तट पर राजधानी रायपुर से 70 किलोमीटर एवं बिलासपुर से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव मां महामाया की नगरी के नाम से प्रसिद्ध है, मान्यता के अनुसार मां महामाया का मंदिर  प्राचीन है, मंदिर के …

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अज्ञात पंचसागर शक्तिपीठ

आदि शक्ति मां के 51 शक्ति पीठ कहे गए हैं। पुराणों में माता के शक्तिपीठों का नाम दिये गये हैं उनमें से दो शक्तिपीठ अज्ञात कहें गये हैं। ‘पंचसागर शक्तिपीठ’ छत्तीसगढ़ में विद्यमान हैं। पौराणिक आख्यानों के अनुसार पंचसागर शक्तिपीठ का जो वर्णन मिलता है वैसा ही स्वरूप छत्तीसगढ़ के …

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बेटी की पीड़ा

हाय विधाता इस जगती में, तुमने अधम बनाये क्यों?नरभक्षी दुष्टों के अंतस, कुत्सित काम जगाये क्यों ? उन अंधों के तो नजरों में, केवल भोग्या नारी है।उन मूर्खों को कौन बताये,बेटी सबसे न्यारी है।। नारी के ही किसी उदर से, जन्म उन्होंने पाया है ।और कलंकित कर नारी को, माँ …

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छत्तीसगढ़ में पर्यटन के विविध आयाम

जानिए पर्यटन के चार आधार, सुरक्षा, साधन, आवास आहार। भारतीय गणराज्य का नवनिर्मित प्रदेश छत्तीसगढ़ है तथा इससे पूर्व यह मध्यप्रदेश का भाग था। प्रकृति ने इस भू-भाग को अपने हाथों से दुलार देकर संवारा है। जब हम भमण करते है तो ज्ञात होता है कि प्रकृति की लाडली संतान …

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जीवन का सुख

पं. दीनदयाल उपाध्याय द्वारा संघ शिक्षा वर्ग, बौद्धिक वर्ग मैसूर, मई 19, 1967 को दिया गया व्याख्यान प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सुख की भावना लेकर चलता है। मानव ही नहीं, तो प्राणिमात्र सुख के लिए लालयित है। दुःख को टालना और सुख को प्राप्त करना, यह एक उसकी स्वाभाविक …

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मझवार वनवासियों में होती है पितर छंटनी

भारत में पितृ पूजन एवं तर्पण की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है, विभिन्न ग्रथों में इस पर विस्तार से लिखा भी गया है और पितृ (पितरों) के तर्पण की जानकारी मिलती है। सनातन समाज में अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक पितृपक्ष मनाया …

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