भारत में प्राचीन काल से ही साधु-संतों, महात्माओं का विशेष महत्व रहा है। साधु संत समाज के पथ-प्रदर्शक माने जाते रहे हैं, जो अपने ज्ञान और साधना के माध्यम से हमेशा ही समाज का कल्याण करते आए हैं। आज भी हमें किसी कुंभ मेले या तीर्थ स्थलों पर कई साधु …
Read More »धर्मसम्राट स्वामी करपात्री महाराज
गौरक्षा का ऐतिहसिक आँदोलन इन्हीं नेतृत्व में हुआ धर्म सम्राट करपात्रीजी महाराज एक महान सन्त, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उनका पूरा जीवन भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की प्रतिष्ठापना और स्वत्व जागरण के लिये समर्पित रहा। इतिहास प्रसिद्ध गौरक्षा आँदोलन उन्हीं के आव्हान पर हुआ था। वे उतना ही भोजन ग्रहण करते …
Read More »राजिमधाम की अधिष्ठात्री देवी माता राजिम
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित राजिम नगर को प्राचीन काल में पद्मावतीपुरी और कमल क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। ईसवी सन की चौथी-पांचवीं सदी में हैहयवंशी राजा जगतपाल के काल में तैलिक वंश की दिव्य नारी पद्मावती के पुण्य स्मरण में नगर का नाम पद्मावतीपुरी पड़ा था। …
Read More »प्रखर राष्ट्रवादी स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती
23 दिसंबर 1926 स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस एडवोकेट मुंशीराम से स्वामी श्रद्धानंद तक जीवन यात्रा विश्व के प्रत्येक व्यक्ति के लिए बेहद प्रेरणादायी है। स्वामी श्रद्धानंद उन बिरले महापुरुषों में से एक थे जिनका जन्म ऊंचे कुल में हुआ किन्तु बुरी लतों के कारण प्रारंभिक जीवन बहुत ही निकृष्ट किस्म …
Read More »छत्तीसगढ़ के प्रकाशमान संत बाबा गुरु घासीदास
बाबा गुरु घासीदास जयंती 18 दिसम्बर विशेष आलेख छत्तीसगढ़ पुरातन काल से धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु रहा है। एक ओर जहां छत्तीसगढ़ प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक और भौतिक संपदाओं को अपने गर्भ में समेटकर अग्रणी है, वहीं दूसरी ओर संत-महात्माओं की या तो जन्म स्थली …
Read More »ऐश्वर्य की महादेवी महानदी
मानव सभ्यता का उद्भव और संस्कृति का प्रारंभिक विकास नदी के किनारे ही हुआ है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में नदियों का विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति में ये जीवनदायिनी मां की तरह पूजनीय हैं। यहां सदियों से स्नान के समय पांच नदियों के नामों का उच्चारण तथा जल …
Read More »छत्तीसगढ़ के प्रमुख शक्ति स्थल
छत्तीसगढ़ में देवियां ग्रामदेवी और कुलदेवी के रूप में पूजित हुई। विभिन्न स्थानों में देवियां या तो समलेश्वरी या महामाया देवी के रूप में प्रतिष्ठित होकर पूजित हो रही हैं। राजा-महाराजा, जमींदार और मालगुजार भी शक्ति उपासक हुआ करते थे। वे अपनी राजधानी में देवियों को ‘‘कुलदेवी’’ के रूप में …
Read More »छत्तीसगढ़ी काव्य में जन जागरण
साहित्य समाज का पहरुआ होता है। चाहे वह गीत, कविता, कहानी, निबंंध, नाटक या किसी अन्य साहित्यिक विधा में क्यों न हो। वह तो युगबोध का प्रतीक होता है। कवि वर्तमान को गाता है लेकिन वह भविष्य का दृष्टा होता है। साहित्य जो भी कहता है निरपेक्ष भाव से कहता …
Read More »ऐसे क्रांतिकारी जिनका निर्जीव शरीर समुद्र में फेक दिया गया
क्राँतिकारी महावीर सिंह राठौर का जन्म दिवस 16 सितम्बर विशेष जेल की प्रताड़ना से हुआ था बलिदान कोई कल्पना कर सकता है ऐसे मानसिक दृढ़ संकल्प की कि पुलिस की हजार प्रताड़नाओं के बाद भले प्राण चले जायें पर संकल्प टस से मस न हो। ऐसे ही संकल्पवान क्राँतिकारी थे …
Read More »धर्म और विज्ञान एक-दूसरे के पूरक : डॉ राधाकृष्णन
किसी भी देश को महान बनाने के लिए माता-पिता और शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।माता को प्रथम गुरु एवं परिवार को प्रथम पाठशाला कहा जाता है। माँ हमें दया, करुणा, आदर, क्षमा, परोपकार सहयोग, समानता आदि सभी मानवीय गुणों का भाव देती है। जिस प्रकार माता पिता शरीर का …
Read More »