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शोध आलेख

इस विभाग में विभिन्न विषयक शोध को स्थान दिया गया है।

मातृशक्ति की आराधना का पर्व : मातर

छत्तीसगढ़ राज्य कृषि प्रधान राज्य है। कार्तिक मास के लगते ही खेतों में लहलहाती और सोने सी दमकती धान की बालियां लोक जनजीवन में असीम ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है। पावन पर्व दीपावली में जैसे दीप घर आंगन में जलाए जाते हैं। वैसे ही खुशियों और समृद्धि के …

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छत्तीसगढ़ में पर्यटन के विविध आयाम

जानिए पर्यटन के चार आधार, सुरक्षा, साधन, आवास आहार। भारतीय गणराज्य का नवनिर्मित प्रदेश छत्तीसगढ़ है तथा इससे पूर्व यह मध्यप्रदेश का भाग था। प्रकृति ने इस भू-भाग को अपने हाथों से दुलार देकर संवारा है। जब हम भमण करते है तो ज्ञात होता है कि प्रकृति की लाडली संतान …

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हिन्दी को समृद्ध करती लोकभाषाएँ

भाषा भावों और विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम होती है। हिंदी एक प्रवाहमान, सशक्त भाषा है। हिंदी पहले साधारण बोलचाल की भाषा से धीरे-धीरे विकसित हो कर सम्पर्क एवं साहित्य की भाषा बनी। सम्पर्क भाषा बनने में स्थानीय क्षेत्रीय बोलियों का बड़ा योगदान होता है, इन बोलियों के बहुतेरे शब्द …

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नागों का उद्भव एवं प्राचीन सभ्यताओं पर प्रभाव

नागपंचमी विशेष आलेख प्राचीनकाल में नागों की सत्ता पूरी दुनिया पर थी, जिसके प्रमाण हमें आज भी मिलते हैं। भूगोल की शायद ऐसी कोई संस्कृति या सभ्यता न हो जहाँ नागों का वर्चस्व या प्रभाव न दिखाई देता हो। चाहे भारतीय संस्कृति/सभ्यता हो, चाहे माया सभ्यता हो चाहे मिश्र की …

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भारत के इतिहास से छेड़छाड़ : सत्य शोधन की आवश्यकता

काव्य मीमांसा में राजशेखर ने एक मत देते हुए कहा है कि- “इतिहास पुराणाभ्यां चक्षुर्भ्यामिव सत्कविः. विवेकांजनशुद्धाभ्यां सूक्ष्मप्यर्थमीक्षते !”अर्थात इतिहास लेखन में जितनी दक्षता और सतर्कता अपेक्षित होती है संभवतया उतनी अन्य विधाओं में प्रायः नही होती।” मेरे विचार में यह इतिहास के बारे में शत प्रतिशत सही वक्तव्य है …

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मिशनरियों के विरुद्ध उलगुलान के नायक बिरसा मुंडा

इतिहास में ऐसे नायक बिरले ही होते हैं जो समाज उद्धार के लिए जन्म लेते हैं तथा समाज को अंधेरे से उजाले की ओर लेकर आते हुए तमसो मा गमय की सुक्ति को चरितार्थ करते हैं। अंग्रेजों के संरक्षण में ईसाईयों द्वारा मचाये गये धर्म परिवर्तन अंधेरे को दूर करने …

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स्वातंत्र्य समर और गोपाल कृष्ण गोखले : जयंती विशेष

गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 को रत्नागिरी जिले के गुहालक तालुका के कोटलक ग्रामवासी चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी फिर भी इनके लिए अंग्रेजी शिक्षा की व्यवस्था की गई ताकि गोपाल कृष्ण गोखले ब्रिटिश शासन में क्लर्क की …

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नाट्यशास्त्र एवं लोकनाट्य रामलीला

रंगमंच दिवस विशेष आलेख भारत में नाटकों का प्रचार, अभिनय कला और रंग मंच का वैदिक काल से ही निर्माण हो चुका था। भरतमुनि के नाट्यशास्त्र से प्रमाण मिलता है। संस्कृत रंगमंच अपनी चरम सीमा में था। नाटक दृश्य एवं श्रव्य काव्य का रूप है जो दर्शकों को आनंदानुभूति कराती …

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छत्तीसगढ़ की खड़िया जनजाति की जीवन शैली

खड़िया जाति भारत मे सर्वाधिक उड़ीसा, झारखंड के बाद छत्तीसगढ़ में पाई जाती है। जनगणना के अनुसार छतीसगढ़ में खड़िया 49032 है, जिसमें रायगढ़, फरसाबहार, जशपुर के बाद महासमुन्द जिले में इनकी आबादी अधिक है। बागबाहरा के जंगल क्षेत्र व बसना विकास खण्ड में भी इनकी बसाहट है। खड़िया जाति …

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पारधी जनजाति की शिल्पकला आधारित जीवन शैली

पारधी जनजाति मूल रूप से एक खानाबदोश शिकारी, खाद्य संग्राहक घुमंतू जनजाति है। इनका मुख्य कार्य शिकार करना है। जीविकोपार्जन के लिए पारधी जनजाति के लोग शिकार करते हैं। वर्तमान में शिकार पर प्रतिबंध होने के बाद भी ये तीतर, बटेर, घाघर, खरगोश, सियार, लोमड़ी आदि का चोरी छुपे शिकार …

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