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Monthly Archives: October 2022

मातृशक्ति की आराधना का पर्व : मातर

छत्तीसगढ़ राज्य कृषि प्रधान राज्य है। कार्तिक मास के लगते ही खेतों में लहलहाती और सोने सी दमकती धान की बालियां लोक जनजीवन में असीम ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है। पावन पर्व दीपावली में जैसे दीप घर आंगन में जलाए जाते हैं। वैसे ही खुशियों और समृद्धि के …

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भारतीय संस्कृति में गोमय का महत्व

छत्तीसगढ़ में दीपावली पर गौमय से आंगन लीपने की परम्परा है, माना जाता है कि गोबर से लिपे पुते घर आंगन में लक्ष्मी का आगमन होता है। गाय को गौधन कहा जाता है तथा उसके मूत्र, गोबर, घी, दूध, दही को पंचगव्य कहा गया है। गाय के पंच गव्य से …

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छत्तीसगढ़ का पांच दिवसीय देवारी तिहार

महकती बगिया है यहां के प्रत्येक त्योहारों का अपना अलग ही महत्व है। बारहों महीने मनाए जाने वाले स्थानीय लोक पर्व तीज त्योहारों के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर पूरे देश भर में मनाएं जाने वाले प्रमुख त्योहारों जैसे रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, दशहरा, होली आदि को भी यहां उत्साह पूर्वक मनाया जाता …

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शिव-पार्वती के विवाह का मंगलगान छत्तीसगढ़ी गौरा गीत

जनजातीय धार्मिक मान्यताओं में महादेव का प्रमुख स्थान है। प्रायः अधिकांश वनवासी जातियों की उत्पत्ति की मूल कथा में माता पार्वती एवं भगवान शंकर का वर्णन मिलता है। वे अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना अपने-अपने ढंग से करते हैं। ‘गौरा उत्सव’ गोंड जाति का एक प्रमुख पर्व है। ‘गौरा’ का …

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जनजातीय कथाओं की लोक दृष्टि

जनजातीय कथा साहित्य की दृष्टि से देखें तो वनवासियों का व्यावहारिक जीवन सदैव से विद्यमान है। वनवासी जंगलों में रहकर अपना जीवन पूर्वजों की धरोहर को समेटने में समय लगा देते हैं। प्रकृति के नाना रूपों में दृश्यों के खुले वातावरण में जीवन व्यतीत करने के कारण लोक संस्कृति के …

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नारी मनोव्यथा की अभिव्यक्ति सुआ गीत

छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का हिस्सा है सुआ गीत। यह छत्तीसगढ़ प्रदेश की गोंड जाति की स्त्रियों का प्रमुख नृत्य-गीत है लेकिन अन्य जाति के महिलाएं भी इसमें सम्मिलित होकर नृत्य करती हैं। जिसे सामूहिक रुप से किया जाता है। यह मुख्यतः महिलाओं के मनोभावों सुख-दुख आदि की अभिव्यक्ति का …

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बागबाहरा कलां की तीन देवियाँ

हमारे देश भारत एवं विदेशों में भी आदि शक्ति जगतजननी मां जगदंबा शक्तिपीठों में विराजमान हैं। जहाँ उन्हें कई नाम एवं कई रूपों में बारहों महीने पूजा जाता हैं और चैत कुंवार के नवरात्रि में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। जहां श्रद्धालु जन भारी संख्या में मनोकामना पूर्ति हेतु …

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कवर्धा राज का दशहरा उत्सव

हमारा देश सनातन काल से सौर, गाणपत्य, शैव, वैष्णव, शाक्त आदि पंच धार्मिक परम्पराओं का वाहक रहा है। यहाँ पर्वों एवं त्यौहारों की कोई कमी नहीं है, सप्ताह के प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होते हैं। विक्रम संवत की प्रत्येक तिथियाँ भी अपनी विशिष्टता लिए हुए हैं। …

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तरेंगा राज की महामाई

दाऊ कल्याण सिंह की नगरी एवं तरेंगा राज शिवनाथ नदी के तट पर राजधानी रायपुर से 70 किलोमीटर एवं बिलासपुर से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव मां महामाया की नगरी के नाम से प्रसिद्ध है, मान्यता के अनुसार मां महामाया का मंदिर  प्राचीन है, मंदिर के …

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अज्ञात पंचसागर शक्तिपीठ

आदि शक्ति मां के 51 शक्ति पीठ कहे गए हैं। पुराणों में माता के शक्तिपीठों का नाम दिये गये हैं उनमें से दो शक्तिपीठ अज्ञात कहें गये हैं। ‘पंचसागर शक्तिपीठ’ छत्तीसगढ़ में विद्यमान हैं। पौराणिक आख्यानों के अनुसार पंचसागर शक्तिपीठ का जो वर्णन मिलता है वैसा ही स्वरूप छत्तीसगढ़ के …

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