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Yearly Archives: 2022

राष्ट्ररक्षा का भाव ही वनवासी समाज का मूल स्वभाव

“यदि मेरे पास शक्ति है तथा मैं इसका प्रयोग कर सकता हूँ तो मुझे धर्म-परिवर्तन को रोकना चाहिए। हिंदू परिवारों में मिशनरी के आगमन का अर्थ वेशभूषा, तौर-तरीके, भाषा, खान-पान में परिवर्तन के कारण परिवार का विघटन है।” -गांधीजी ‘हरिजन’, 5 नवम्बर 1935 स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव अर्थात 75 वीं …

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धर्म-संस्कृति रक्षक भगवान बिरसा मुंडा

जनजातीय अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर को को झारखंड के जनजाति दम्पति सुगना और करमी के घर हुआ था। मुंडा समाज को जल, जमीन, जंगल का हक दिलाने के लिए संघर्ष करते-करते मात्र 25 वर्ष की आयु में लोगों ने उनको भगवान …

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जनजातीय काव्य में वन जीवन की अभिव्यक्ति

किसी भी देश या प्रदेश के जनजातीय कविता को समझने के लिए उस देश की उस प्रदेश की लोक संस्कृति को जानना बहुत जरूरी होता है। हमारी संस्कृति अपनी भाषाओं और उपभाषाओं में बिखरी हुई है। हर राज्य की जनजातीय कविता भाषा और संस्कृति के आधार पर निहित है। यहां …

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मनुष्य की पहचान उसके अच्छे गुणों से : गुरु नानक देव

कार्तिक पूर्णिमा गुरु नानक जयंती विशेष सिक्ख धर्म के संस्थापक आदि गुरु नानक देव जी मानवीय कल्याण के प्रबल पक्षधर थे। जिन्होंने समकालीन सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक परिस्थितियों की विसंगतियों, विडम्बनाओं, विषमताओं धार्मिक आडम्बरों , कर्मकांडों, अंधविश्वासों तथा जातीय अहंकार के विरुद्ध लोक चेतना जागृत की तथा इसके साथ ही …

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आरोग्य का पर्व आंवला नवमी

प्रकृति के साथ मानव का जुड़ाव जन्मजात है, वह किसी न किसी रुप में प्रकृति के साथ जुड़ा रहना चाहता है। हिन्दू धार्मिक मान्यताएँ प्रकृति के साथ जुड़ी हुई हैं। सनातन धर्म प्रकृति के अनुरुप आचरण करना एवं जीना सिखाता है। प्रकृति के अनुरुप जीवन यापन करने के लिए आयुर्वेद …

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छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य : कितना पुराना है इतिहास?

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस एक नवम्बर 2022 पर विशेष भारत के प्रत्येक राज्य और वहाँ के प्रत्येक अंचल की अपनी भाषाएँ, अपनी बोलियाँ, अपना साहित्य, अपना संगीत और अपनी संस्कृति होती है । ये रंग -बिरंगी विविधताएँ ही भारत की राष्ट्रीय पहचान है, जो इस देश को एकता के मज़बूत …

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मातृशक्ति की आराधना का पर्व : मातर

छत्तीसगढ़ राज्य कृषि प्रधान राज्य है। कार्तिक मास के लगते ही खेतों में लहलहाती और सोने सी दमकती धान की बालियां लोक जनजीवन में असीम ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है। पावन पर्व दीपावली में जैसे दीप घर आंगन में जलाए जाते हैं। वैसे ही खुशियों और समृद्धि के …

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भारतीय संस्कृति में गोमय का महत्व

छत्तीसगढ़ में दीपावली पर गौमय से आंगन लीपने की परम्परा है, माना जाता है कि गोबर से लिपे पुते घर आंगन में लक्ष्मी का आगमन होता है। गाय को गौधन कहा जाता है तथा उसके मूत्र, गोबर, घी, दूध, दही को पंचगव्य कहा गया है। गाय के पंच गव्य से …

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छत्तीसगढ़ का पांच दिवसीय देवारी तिहार

महकती बगिया है यहां के प्रत्येक त्योहारों का अपना अलग ही महत्व है। बारहों महीने मनाए जाने वाले स्थानीय लोक पर्व तीज त्योहारों के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर पूरे देश भर में मनाएं जाने वाले प्रमुख त्योहारों जैसे रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, दशहरा, होली आदि को भी यहां उत्साह पूर्वक मनाया जाता …

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शिव-पार्वती के विवाह का मंगलगान छत्तीसगढ़ी गौरा गीत

जनजातीय धार्मिक मान्यताओं में महादेव का प्रमुख स्थान है। प्रायः अधिकांश वनवासी जातियों की उत्पत्ति की मूल कथा में माता पार्वती एवं भगवान शंकर का वर्णन मिलता है। वे अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना अपने-अपने ढंग से करते हैं। ‘गौरा उत्सव’ गोंड जाति का एक प्रमुख पर्व है। ‘गौरा’ का …

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