आदिकाल से छत्तीसगढ़ अंचल धार्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। यहाँ अनेक राजवंशों के साथ विविध आयामी संस्कृतियाँ पल्लवित एवं पुष्पित हुई। यह पावन भूमि रामायणकालीन घटनाओं से जुड़ी हुई है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में शैव, वैष्णव, जैन, बौद्ध एवं शाक्त पंथों का समन्वय रहा है। वैष्णव पंथ …
Read More »Monthly Archives: December 2021
बाबासाहेब के निर्वाणकाल की व्यथा : पुण्यतिथि विशेष
कबीर तहां न जाइए, जहाँ सिद्ध को गाँव, स्वामी कहे न बैठना, फिर फिर पूछे नांव। इष्ट मिले अरु मन मिले मिले सकल रस रीति, कहैं कबीर तहां जाइए, जंह संतान की प्रीति। बाबासाहेब अम्बेडकर के कांग्रेस से जुड़ाव को कबीर के इन दोहों के माध्यम से पुर्णतः प्रकट किया …
Read More »मुक्त मुल्क हो गद्दारों से
राजनीति के गलियारे में, निंदा की लगती झड़ियाँ।आतंकी पोषित हैं किनके, जुड़ी हुई किनसे कड़ियाँ।।बंद करो घड़ियाली आँसू, सत्ता का लालच छोड़ो।बिखर रही है व्यर्थं यहाँ पर, गुँथी एकता की लड़ियाँ।। वह जुनून अब रहा नहीं क्यों, देश प्रेम का भाव नहीं।पनप रही कट्टरता केवल, लिए साथ अलगाव वहीं।।स्वर्ग धरा …
Read More »हाथी किला एवं रतनपुर के प्राचीन स्थल
बिलासपुर-कोरबा मुख्यमार्ग पर 25 किमी की दूरी पर प्राचीन नगर रतनपुर स्थित है। पौराणिक ग्रंथ महाभारत, जैमिनी पुराण आदि में इसे राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। त्रिपुरी के कलचुरियों ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक शासन किया। इसे चतुर्युगी नगरी भी कहा जाता है, जिसका तात्पर्य है …
Read More »दक्षिण कोसल के प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्र
प्रागैतिहासिक काल के मानव संस्कृति का अध्ययन एक रोचक विषय है। छत्तीसगढ़ अंचल में प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्रों की विस्तृत श्रृंखला ज्ञात है। पुरातत्व की एक विधा चित्रित शैलाश्रयों का अध्ययन है। चित्रित शैलाश्रयों के चित्रों के अध्ययन से विगत युग की मानव संस्कृति, उस काल के पर्यावरण एवं प्रकृति …
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