प्राचीन काल से छत्तीसगढ़ अपनी शाक्त परम्परा के लिए विख्यात है, यहाँ अधिकांश देवियाँ डोंगरी में विराजित हैं। इस लिए देव स्थलों में मनमोहक नयनाभिराम प्राकृतिक सौंदर्य की भरमार है। यहां का लोक जीवन, गांव, नदी-नाले, जंगल और पहाड़ श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
आस्थावान छत्तीसगढ़ के लोकमानस पर देवी-देवताओं की विशेष कृपादृष्टि रही है। यहां ऊंचे पहाड़ों पर अनेक देवियों का प्राकट्य हुआ है। ऐसे ही एक देवी मां गरजई का प्राकट्य छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में ग्राम मदनपुर के पास पहाड़ी पर हुआ है। जिला मुख्यालय गरियाबंद से गरजई डोंगरी की दूरी मात्र 17 किमी है। सड़क मार्ग से सुविधा जनक ढंग से माता के दरबार तक पहुंचा जा सकता है।
माता गरजई ऊंची पहाड़ी पर विराजित हैं। माता के मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 400 सीढ़ियों की चढ़ाई चढनी पडती है। बीच में घटवारिन दाई का भी स्थान है। पहाड़ी पर शेर गुफा और माता सोनई रुपई के भी दर्शन लाभ होते है। थोड़ी सी चढ़ाई चढ़ने के बाद पहाड़ी पर माता के मुखमंडल वाली प्रतिमा के दर्शन होते हैं।
माता एक छोटे से मंदिर में विराजित है। पास ही में ठिनठिनी पत्थर है। मान्यता है कि माता गरजई भिन्न-भिन्न अवसर पर क्षेत्र के लोगों को आपदा आने के पूर्व गरज कर सचेत करती है। ठिनठिनी पत्थर को नारियल या पत्थर आदि से ठोकने पर धातु सदृश्य आवाज आती है।
इस पत्थर को आधार मानकर कुछ भक्तगण इसे माता चंद्रघंटा का स्वरूप भी मानते हैं। माता के चमत्कार की घटनाएं भक्तों के मुख से सुनने को मिलती रहती है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि माता गरजई ने पहाड़ी पर कई बार ग्रामीणों को कन्या रूप में दर्शन दिया है।
यहां क्वांर नवरात्र के अवसर पर भव्य मेला लगता है। पहाड़ी के नीचे वाले मार्ग के दोनों ओर भांति-भांति के दुकान सजती है। आस-पास और दूरदराज से आनेवाले भक्तों का यहां तांता लगा रहता है। गर्मी के दिनों में पेयजल संकट और अन्य कारणों के कारण यहां चैत्र नवरात्र में मेले का आयोजन नहीं होता है।
यहां प्रतिवर्ष भक्तों के द्वारा मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। आसपास के गांवों के लोगों के द्वारा समिति गठित किया गया है, जो नवरात्र में कार्यक्रमों का संचालन करती है। यहां का दृश्य क्वांर नवरात्र में अलौकिक होता है। भक्तों की कतार, देवी के मधुर जस गीतों का स्वर मन को प्रफुल्लित कर देता है और यहां का प्राकृतिक सौंदर्य मन की पीड़ा हर लेता है।
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