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Tag Archives: गरियाबंद

छत्तीसगढ़ों में से एक गढ़ : बिन्द्रानवागढ़

राजाओं के शासन काल में दक्षिण कोसल में बहुत सारी जमीदारियाँ थी। बस्तर से सरगुजा तक अगर दृष्टिपात करें तो लगभग एक सैकड़ा जमीदारियाँ होंगी, जहाँ विभिन्न जाति एवं वर्ग के जमींदार शासन करते थे। वर्तमान में यह सब इतिहास की बातें हो गई परन्तु इनकी कहानियों में रहस्य, रोमांच …

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भुंजिया जनजाति का चांउर धोनी परब

छत्तीसगढ़ की संस्कृति अद्भुत है। वन्य प्रांतर, नदियों और पहाड़ियों से आच्छादित छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। मैदानी इलाकों में अनेक परंपराएं देखने को मिलती है। वैसे ही सुदूर वनांचल क्षेत्रों में निवासरत जनजातियों की भी अपनी समृद्ध परंपरा और संस्कृति है। छत्तीसगढ़ में निवासरत कई जनजातियों …

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कचना धुरवा की अमर प्रेम कहानी

बहुत पुरानी बात है जब बालाघाट लांजीगढ़ रियासत के राजा सिंहलसाय ध्रुव थे। राजा राजा की रानी गागिन अपूर्व सुंदरी थी। लांजीगढ़ पहाड़ी और दुर्गम जंगलों से घिरा था। यहां गेहूं ज्वार और बाजरा की खेती होती थी, भरपूर फसल होने के कारण लांजीगढ़ एक मजबूत रियासत मानी जाती थी। …

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वन डोंगरी में विराजित गरजई माता : नवरात्रि विशेष

प्राचीन काल से छत्तीसगढ़ अपनी शाक्त परम्परा के लिए विख्यात है, यहाँ अधिकांश देवियाँ डोंगरी में विराजित हैं। इस लिए देव स्थलों में मनमोहक नयनाभिराम प्राकृतिक सौंदर्य की भरमार है। यहां का लोक जीवन, गांव, नदी-नाले, जंगल और पहाड़ श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। आस्थावान छत्तीसगढ़ के लोकमानस पर …

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केरापानी की रानी माई : नवरात्रि विशेष

आदिशक्ति जगदंबा भवानी माता भिन्न-भिन्न नाम रूपों में विभिन्न स्थानों पर विराजित हैं। छत्तीसगढ़ में माता की विशेष कृपा है। यहां माता रानी बमलाई, चंद्रहासिनी, महामाया, बिलाई माता, मावली दाई के रूप में भक्तों की पीड़ा हरती है। ऐसा ही करूणामयी एक रूप रानी माता के नाम से विख्यात है। …

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जटियाई माता : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

छत्तीसगढ़ अंचल में अनेक ग्राम्य देवी-देवताओं की उपासना की जाती है, इसके साथ ही यहाँ शाक्त उपासना की सुदृढ़ परम्परा दिखाई देती है। मातृशक्ति के उपासक धान की कोठी छत्तीसगढ़ का एक छोटा सा विकास खंड मुख्यालय है छुरा, जो गरियाबंद जिले में अवस्थित है। छुरा से लगभग 9 किमी …

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निरई माता : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

छत्तीसगढ़ के वनांचल में शैव, वैष्णव, शाक्त पंथों के पूजा स्थल प्रत्येक गांव डोंगर में मिल जाएंगे, परन्तु शाक्त परम्परा से नवरात्रि यहाँ जोर शोर से मनाई जाती है। बस्तर का प्रसिद्ध दशहरा भी शाक्त परम्परा को समर्पित है, यहाँ मावली परघाव होता है और देवी दंतेश्वरी की रथयात्रा दशहरे …

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टेंगनाही माता : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

सनातन काल से भारत राजे-रजवाड़ों की भूमि रही है, राजा भिन्न-भिन्न धर्मों का पालन करते थे तथा उनसे संबंधित देवी-देवताओं के उपासक हुआ करते थे। देश आजाद हुआ, लोकतंत्र की स्थापना हुई, परन्तु देवी-देवताओं की मान्यता आज भी उतनी बनी हुई है, जितनी पूर्व में थी। कुल देवी-देवता के रुप …

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जानिए लाल बंगला का रहस्य क्या है

छत्तीसगढ़ पर प्रकृति ने अपना अपार स्नेह लुटाया है। यहां के नदी, पहाड़, जीव-जंतु, सघन वन्यांचल, जनजातीय परंपराएं और लोक जीवन इस राज्य की सुषमा में चार चांद लगाते हैं। अपनी विशिष्ट जीवनशैली और परंपरा को सहेजने में जनजातीय समूह विशिष्टता है। इनके विशिष्ट रीति-रिवाज और परंपराएं देश और विदेश …

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जानिए ऐसे राजा के विषय में जिसकी शौर्य गाथाओं के साथ प्रेम कहानी सदियों से लोक में प्रचलित है

प्राचीन कथालोक में कई गाथाएं हैं, जो दादी-नानी की कथाओं का विषय रहा करती थी। अंचल में हमें करिया धुरवा, सिंघा धुरवा, कचना घुरुवा आदि कई कथाएं सुनाई देती हैं। ये तत्कालीन दक्षिण कोसल में छोटे राजा हुए हैं, जिनके पराक्रम की कहानियाँ जनमानस में आज भी प्रचलित हैं। यह …

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