Home / संस्कृति / पौराणिक संस्कृति (page 3)

पौराणिक संस्कृति

लोक वाद्य नगाड़ा और होली

छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति में वाद्य यंत्रों का विशेष महत्व है. इन्ही में से नगाड़ा एक ऐसा वाद्ययंत्र जो आज भी छत्तीसगढ़ के विभिन्न आयोजनों में दिखाई देता है. भले ही इसका चलन कम हुआ है, लेकिन आज भी इसकी जगह अन्य वाद्ययंत्र नहीं ले पाया है. जब इसकी आवाज …

Read More »

खेलत अवधपुरी में फाग, रघुवर जनक लली

होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। भारतीय संस्कृति का अनूठा संगम उनकी त्योहारों और पर्वो में दिखाई देता है। इन पर्वो में न जात होती है न पात, राजा और रंक सभी एक होकर इन त्योहारों को मनाते हैं। सारी कटुता को भूलकर अनुराग भरे माधुर्य से इसे मनाते …

Read More »

सामाजिक समरसता एवं भक्ति की अनुपम प्रतीक देवी शबरी

फाल्गुन कृष्ण पक्ष सप्तमी : शबरी माता जयंती भक्त शिरोमणि शबरी वनवासी भील समाज से थी। फिर भी मातंग ऋषि के गुरु आश्रम की उत्तराधिकारी बनी। रामजी ने उनके जूठे बेर खाये। यह कथा भारतीय समाज की उस आदर्श परंपरा का उदाहरण है कि व्यक्ति को पद, स्थान और सम्मान …

Read More »

सूर्य उपासना से मानसिक एवं शारीरिक समृद्धि : सूर्य सप्तमी

सूर्य सप्तमी विशेष आलेख आज सूर्य सप्तमी है, इसे अचला सप्तमी, भानु सप्तमी या रथ सप्तमी भी कहा जाता है। सनातन मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव का जन्म हुआ था। सनातन धर्म में माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। यह …

Read More »

देवी सरस्वती की आराधना का पर्व : वसंत पंचमी

वसंत पंचमी ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती की आराधना का पर्व है। इस दिन मां सरस्वती की उपासना बहुत फलदायी होती है, इसी कारण विद्यालयों और विद्यार्थियों के बीच इस तिथि को लेकर बहुत उत्साह रहता है। इस दिन विविध मंत्रों से सरस्वती वंदना की जाती है। इस दिन …

Read More »

राम से बड़ा राम का नाम

छत्तीसगढ़ प्राकृतिक वैभव से परिपूर्ण, वैविध्यपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना तथा अपने गौरवपूर्ण अतीत को गर्भ में समाए हुआ है। प्राचीन काल में यह दंडकारण्य, महाकान्तार, महाकोसल और दक्षिण कोसल कहलाता था। दक्षिण जाने का मार्ग यहीं से गुजरता था इसलिए इसे दक्षिणापथ भी कहा गया ऐसा विश्वास किया जाता …

Read More »

सामाजिक समरसता के आदर्श प्रतीक श्रीराम

भगवान राम लोक के आदर्श हैं तथा लोक के कण-कण में समाहित हैं, उन्हें समाज के आदर्श पुरुष के रुप में जाना जाता है इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। उनके चरित्र में सामाजिक समरसता परिलक्षित होती है, वे समाज के प्रत्येक अंग को लेकर साथ चलते हैं तथा …

Read More »

जहाँ श्रीराम जानकी मंदिर में रावण का पहरा है

छत्तीसगढ़ के नवगठित मुंगेली जिले की पश्चिमी सीमा पर टेसुवा नाला के तट पर स्थित सेतगंगा में एक अद्वितीय श्रीराम जानकी मंदिर है, जिसकी तीन विशेषताएं हैं। पहला, यहां नर्मदा कुंड है। दूसरा, यहां के मंदिर की दीवारों में मिथुन मूर्तियां हैं और तीसरा, मंदिर के द्वार पर रावण की …

Read More »

राम सीय सिर सेंदुर देहीं : विवाह पंचमी

मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष पंचमी श्री राम जानकी विवाह दिवस विशेष वैदिक धर्म में मानव जीवन को चार आश्रमों (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास आश्रम) में विभाजित किया गया है। वैदिक ग्रंथ कहते हैं कि मनुष्य जब जन्म लेता है तब से वह देव, ऋषि एवं पितृ का ऋणी होता …

Read More »

गोधन की आराधना का पर्व गोवर्धन पूजा

त्यौहारों का भारतीय लोकजीवन में अत्यधिक महत्व है, उत्सवधर्मिता जनमानस में कूट कूट कर भरी है। आज गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और …

Read More »