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पौराणिक संस्कृति

जीवन की साधना के उत्सव हैं दीपोत्सव के पाँच दिन

भारत का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार दीपावली है। यह पाँच दिवसीय दीपों का उत्सव है। जो कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रियोदशी से आरंभ होकर कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तक चलता है। पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन रूप चतुर्दशी, तीसरे दिन दीपावली, चौथे दिन गोवर्धन पूजन और पाँचवे दिन भाई दूज से इस …

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आदि शक्ति माँ सरई श्रृंगारिणी देवी

तीन दिनों से लगातार बारिश की झड़ी के मध्य अचानक कार्यक्रम बना कि कहीं भ्रमण पर जाया जाए। तभी मुझे सरई श्रृंगार का ध्यान आया, बहुत दिनों से वहां जाने का विचार था परंतु अवसर नहीं मिल पा रहा था, आज बारिश की झड़ी ने यह अवसर हमें दे दिया। …

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ग्रामीण संस्कृति का केन्द्र पीपल चौरा

पीपल का वृक्ष मौन रहकर भी अपने अस्तित्व के साथ गाँव का इतिहास, भूगोल और सम्पूर्ण सामाजिकता को समेटे हुये रहता था। गाँव का इतिहास इस वृक्ष के साथ बनता रहा था। गाँव का भूगोल यहाँ से प्रारम्भ होकर यहीं खत्म होता था, यहाँ की सामाजिकता का यह वृक्ष गवाह …

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पितृ-पक्ष श्राद्ध का वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक रहस्य

हमारी आर्ष संस्कृति ऋषि परंपराओं पर आधारित है और यह ऋषि परंपराएं सनातन होने के साथ-साथ केवल विश्वासों पर आधारित न हो कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर पल्लवित हुई है। हमारे सनातन ऋषियों ने इन परंपराओं को देश, काल, ऋतू के अनुरूप एवं सर्वजन हिताय ही विकसित किया है। इसमे कीड़ी …

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तंत्र की देवी वैनायकी : पौराणिक साहित्यिक संदर्भ में

वैदिक परंपराओं को मानने वालों में सर्वदेवो में अग्रगण्य, प्रथम पूज्य, गौरीनंदन गणेश को बाधाओं को हरने वाले पुरुष देवता के रूप में लोकप्रियता प्राप्त हैं और उनसे सम्बंधित अनेकानेक कथाएँ भी मिलती है जिनसे प्रायः हम सभी परिचित है किंतु दूसरी तरफ भारतीय तंत्र विद्या में गणेश जी के …

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गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन निषेध क्यों?

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। देशभर में धूमधाम से इस दिन गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि आज है। गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है, इस दिन चंद्र दर्शन करना निषेध …

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छत्तीसगढ़ का प्रमुख पर्व : तीजा तिहार

तीजा तिहार छत्तीसगढ़ के मुख्य एंव लोक पर्वों में से एक हैं, पौराणिक मान्यतानुसार यह त्यौहार बड़े हर्षो उल्लास से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। मुख्यत:यह त्यौहार नारी शक्ति को समर्पित है। इसे हरितालिका तीज भी कहा जाता है, छत्तीसगढ़ी भाषा तीजा कहते है। तीजा त्यौहार से पहले अमावश को …

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छत्तीसगढ़ में रासलीला और श्रीकृष्ण के लोक स्वरूप

एक समय था जब नाट्य साहित्य मुख्यतः अभिनय के लिए लिखा जाता था। कालिदास, भवभूति और शुद्रक आदि अनेक नाटककारों की सारी रचनाएं अभिनय सुलभ है। नाटक की सार्थकता उसकी अभिनेयता में है अन्यथा वह साहित्य की एक विशिष्ट लेखन शैली बनकर रह जाती। नाटक वास्तव में लेखक, अभिनेता और …

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संतान की कुशलता की कामना का पर्व : कमरछठ

लोकपर्व-खमरछठ (हलषष्ठी) माताओं का संतान के लिए किया जाने वाला, छत्तीसगढ़ राज्य की अनूठी संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जिसे हर वर्ग, हर जाति मे बहूत ही सद्भाव से मनाया जाता है तथा संतान के सुखी जीवन की कामना की जाती है। हलषष्ठी को हलछठ, कमरछठ या खमरछठ भी …

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लंका पर चढ़ाई करने के लिए श्री रामचंद्र जी ने इस दिन को चुना

श्रावण मास की पूर्णिमा जब चांद अपने पूर्ण यौवन पर होता है तब रक्षा बंधन का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। चाहे बंगाल हो या महाराष्ट्र, मद्रास हो या राजस्थान या मध्यप्रदेश सभी जगह यह त्यौहार बड़ी धूमधाम और पवित्रता के साथ मनाया जाता है। बंगाल में तो …

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