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पौराणिक संस्कृति

आषाढ़ी पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाने का रहस्य

गुरु पूर्णिमा अर्थात अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर की और यात्रा और व्यक्ति से लेकर राष्ट्र तक स्वाभिमान जाग्रत कराने वाले परम् प्रेरक के लिये नमन् दिवस। जो हमें अपने आत्मवोध, आत्मज्ञान और आत्म गौरव का भान कराकर हमारी क्षमता के अनुरूप जीवन यात्रा का मार्गदर्शन …

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देवशयनी एकादशी का पौराणिक एवं सामाजिक महत्व

जीवन में योग, ध्यान व धारणा का बहुत महत्व है, क्योंकि इससे सुप्त शक्तियों का नवजागरण एवं अक्षय ऊर्जा का संचय होता है। इसका प्रतिपादन हरिशयनी एकादशी से भली-भांति होता है, जब भगवान विष्णु स्वयं चार महीने के लिए योगनिद्रा का आश्रय ले ध्यान धारण करते हैं। भारतवर्ष में गृहस्थों …

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छत्तीसगढ़ अंचल का प्रमुख पर्व रथयात्रा

छत्तीसगढ़ में भगवान जगन्नाथ का प्रभाव सदियों से रहा है, यह प्रभाव इतना है कि छत्तीसगढ़ के प्रयाग एवं त्रिवेणी तीर्थ राजिम की दर्शन यात्रा बिना जगन्नाथ पुरी तीर्थ की यात्रा अधूरी मानी जाती है। मान्यतानुसार जगन्नाथ पुरी की यात्रा के पश्चात राजिम तीर्थ की यात्रा करना आवश्यक समझा जाता …

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राम की दक्षिणापथ यात्रा में दक्षिण कोसल

आर्य संस्कृति के दक्षिण में प्रसार के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम की भूमिका सर्वोपरि है। ऋग्वेद में विंध्याचल के आगे क्षेत्रों का कोई उल्लेख नहीं मिलता विंध्य पर्वत से ही उत्तर व दक्षिण भारत को विभाजित किया गया है। राम ने अपने चौदह वर्ष के वनवासी जीवन में दक्षिण क्षेत्र …

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नवसस्येष्टि यज्ञ :पौराणिक ऐतिहासिक संदर्भ

भारत पर्वोत्सव की परम्परा अत्यन्त प्राचीन रही है फिर चाहे वह कोई भी त्यौहार क्यो न हो, हमारी उत्सवधर्मी संस्कृति में इसकी न केवल सदीर्घ परम्परा मौजुद है वरन् कई-कई प्रचलित रीतियों के साथ-साथ लोकमान्यताओं, अध्यात्मिक चेतना एवं धार्मिर्क आस्थाओं के बीज भी विद्यमान है। ऋतुराज वसंत की पूर्णाहुति पर …

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छत्तीसगढ़ का पांच दिवसीय देवारी तिहार

महकती बगिया है यहां के प्रत्येक त्योहारों का अपना अलग ही महत्व है। बारहों महीने मनाए जाने वाले स्थानीय लोक पर्व तीज त्योहारों के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर पूरे देश भर में मनाएं जाने वाले प्रमुख त्योहारों जैसे रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, दशहरा, होली आदि को भी यहां उत्साह पूर्वक मनाया जाता …

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शिव-पार्वती के विवाह का मंगलगान छत्तीसगढ़ी गौरा गीत

जनजातीय धार्मिक मान्यताओं में महादेव का प्रमुख स्थान है। प्रायः अधिकांश वनवासी जातियों की उत्पत्ति की मूल कथा में माता पार्वती एवं भगवान शंकर का वर्णन मिलता है। वे अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना अपने-अपने ढंग से करते हैं। ‘गौरा उत्सव’ गोंड जाति का एक प्रमुख पर्व है। ‘गौरा’ का …

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छत्तीसगढ़ में चौमासा

जेठ की भीषण तपन के बाद जब बरसात की पहली फ़ुहार पड़ती है तब छत्तीसगढ़ अंचल में किसान अपने खेतों की अकरस (पहली) जुताई प्रारंभ कर देता है। इस पहली वर्षा से खेतों में खर पतवार उग आती है तब वर्षा से नरम हुई जमीन पर किसान हल चलाता है …

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विश्व कल्याणकारी सनातन धर्म प्रवर्तक आदि शंकराचार्य

आठ वर्ष की आयु में दक्षिण से निकले और नर्मदा तट के ओमकारेश्वर में गुरु गोविंदपाद के आश्रम पर जा पहुंचे। जहां समाधिस्थ गुरु ने पूछा, “बालक! तुम कौन हो”? बालक शंकर ने उत्तर दिया,” स्वामी! मैं ना तो मैं पृथ्वी हूं, ना जल हूं ना अग्नि, ना वायु, ना …

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अक्षय तृतीया का सामाजिक महत्व एवं व्यापकता

अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय या नाश ना हो। हिन्दू पंचाग के अनुसार बारह मासों की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि शुभ मानी जाती है, परंतु वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि स्वयं सिद्ध मुहूर्त में होने के कारण हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है। ऋतु परिवर्तन काल …

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