अम्बिकापुर की महामाया किस काल की हैं प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है पर यह तो तय है कि महामाया, छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक प्राचीन देवियों में से एक हैं। यह क्षेत्र सधन वनों से आच्छादित था। पूरे क्षेत्र में गोंड़, कोरवा, चेरवा आदि जनजातियां निवास करती थीं। जनजातियों में प्रतीकात्मक देवी-देवताओं …
Read More »निरई माता : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष
छत्तीसगढ़ के वनांचल में शैव, वैष्णव, शाक्त पंथों के पूजा स्थल प्रत्येक गांव डोंगर में मिल जाएंगे, परन्तु शाक्त परम्परा से नवरात्रि यहाँ जोर शोर से मनाई जाती है। बस्तर का प्रसिद्ध दशहरा भी शाक्त परम्परा को समर्पित है, यहाँ मावली परघाव होता है और देवी दंतेश्वरी की रथयात्रा दशहरे …
Read More »टेंगनाही माता : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष
सनातन काल से भारत राजे-रजवाड़ों की भूमि रही है, राजा भिन्न-भिन्न धर्मों का पालन करते थे तथा उनसे संबंधित देवी-देवताओं के उपासक हुआ करते थे। देश आजाद हुआ, लोकतंत्र की स्थापना हुई, परन्तु देवी-देवताओं की मान्यता आज भी उतनी बनी हुई है, जितनी पूर्व में थी। कुल देवी-देवता के रुप …
Read More »यहाँ था खरदूषण का मदिरालय
प्राकृतिक सुन्दरता तो मानो ऊपर वाले ने दिल खोल कर बस्तर में उंडेल दी है। जगह-जगह झरने. घने वन, नदी, पहाड, गुफा, वनफूलों की महक और महुए की गमक लिए इन वनस्थली पर शिवलिंग की उपस्थिति प्रकृति के प्रति उत्सुकता और हमारी आस्था को बढ़ाती ही है । किन्तु बस्तर …
Read More »उद्भट योद्धा एवं सशक्त महिला शासक : रानी दुर्गावती
भारत मे अनेक वीरांगनाएं अवतरित हुई जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। एक प्राकृतिक तथ्य है कि नारी स्वभाव से ही कोमलकांत होने साथ कर्मठ और सहनशील होती है। धैर्य, साहस, आत्मविश्वास से भरी होती हैं इसलिए राष्ट्र निर्माण के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ऐसी …
Read More »गांधी ने पहचानी थी भारत की पुरानी पूँजी
भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा की शक्ति को समाप्त किए बिना अंग्रेज पूरे देश को चिरकाल तक अपना गुलाम नहीं बना सकते थे, यही आशय भारत में एक सर्वेक्षण के बाद लॉर्ड मैकॉले के ब्रिटिश संसद में दिए गए भाषण में था। भारत अपने प्राचीन ज्ञान परंपरा और विरासत पर …
Read More »भारत माता के भक्त – भगत सिंह
(28 सितम्बर, जयन्ती पर विशेष) जागो तो एक बार जागो जागो तो जागे थे भगत सिंह प्यारे असेंबली में लग गए नारे ठप हो गयी सरकार जागो जागो तो . . . इस उत्साहवर्धक गीत के पश्चात् भैया प्रसंग बताने के लिए सामने आए। ‘हमारे बिगड़े दिमागों में बलिदानी विचार …
Read More »पंडित दीनदयाल उपाध्याय : एक युग दृष्टा
आत्मविश्वास,कर्मठता, दृढ़निश्चय, लगन, निष्ठा, त्याग, समाज कल्याण और राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता जैसे शब्द जहाँ बहुतायत श्रेष्ठ व्यक्तित्व के लोगों का मान बढ़ाते हैं, वहीं पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन से जुड़कर इन शब्दों की महत्ता और भी बढ़ जाती है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 …
Read More »छत्तीसगढ़ के कलचुरीकालीन अभिलेखों के परिप्रेक्ष्य में स्थापत्य एवं मूर्तिकला
इतिहास का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि अभिलेख उत्कीर्ण कराने के उद्येश्यों में प्रमुख स्थान धार्मिक निर्माण एवं दान तथा अनुदान का रहा है और संपूर्ण भारतवर्ष से अब तक प्राप्त लगभग पचास प्रतिशत से अधिक अभिलेख जो विभिन्न शासकों, व्यक्तियों एवं संस्थाओं द्वारा जारी किये गये है, …
Read More »दक्षिण कोसल के शिल्प एवं शिल्पकार : विश्वकर्मा पूजा विशेष
शिल्पकारों ने कलचुरियों के यहाँ भी निर्माण कार्य किया, उनकी उपस्थिति तत्कालीन अभिलेखों में दिखाई देती है। द्वितीय पृथ्वीदेव के रतनपुर में प्राप्त शिलालेख संवत 915 में उत्कीर्ण है ” यह मनोज्ञा और खूब रस वाली प्रशस्ति रुचिर अक्षरों में धनपति नामक कृती और शिल्पज्ञ ईश्वर ने उत्कीर्ण की। उपरोक्त …
Read More »