मल्हार छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले में 21090’ उत्तरी अक्षांस तथा 82020’ पूर्वी देशांतर में स्थित है। मल्हार बिलासपुर से मस्तूरी होते हुये लगभग 32 कि.मी. दूरी पर पक्के सड़क मार्ग पर स्थित हैं कल्चुरि शासक पृथ्वीदेव द्वितीय के कल्चुरि संवत् 915 (1163 ई.) का शिलालेख जो कि मल्हार से …
Read More »वसंत पंचमी का धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व
हमारा भारत पर्वों, उत्सवों का देश है, यहाँ साल के बारहों महीनें कोई न कोई उत्सव एवं पर्व मनाए जाते हैं। पृथ्वी का यह एकमात्र ऐसा भू-भाग है, जहाँ वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर और हेमंत नामक छ: ॠतुएं होती हैं। वैसे तो इनमें सभी ॠतुओं का अपना-अपना महत्व है। …
Read More »जनजातीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग : महुआ
आम तौर पर महुआ का नाम आते ही इसका सम्बन्ध शराब से जोड़ दिया जाता है। जबकि यह एक बहुपयोगी वृक्ष है। इस वृक्ष के फल, फूल, पत्ती, लकड़ी, तने की छाल सबका अपना उपयोग है। इस वृक्ष के बहुपयोगी होने के कारण जनजातीय समाज इस वृक्ष को पवित्र मानता …
Read More »बस्तर की मुरिया जनजाति का प्राचीन विश्वविद्यालय घोटुल
इसे बस्तर का दुर्भाग्य ही कहा जाना चाहिये कि इसे जाने-समझे बिना इसकी संस्कृति, विशेषत: इसकी वनवासी संस्कृति, के विषय में जिसके मन में जो आये कह दिया जाता रहा है। गोंड जनजाति, विशेषत: इस जनजाति की मुरिया शाखा, में प्रचलित रहे आये “घोटुल” संस्था के विषय में मानव विज्ञानी …
Read More »रामनामी : जिनकी देह पर अंकित हैं श्री राम जी के हस्ताक्षर
प्राचीन छत्तीसगढ़ (दक्षिण कोसल) प्राचीन काल से ही राम नाम से सराबोर रहा है। छत्तीसगढ़ की जीवन दायनी नदी जिसका पुराणों में नाम चित्रोत्पला रहा है, राजिम स्थित इस नदी के संगम को छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है। महानदी के किनारे स्थित सिहावा, राजिम, सिरपुर, खरौद, शिवरीनारायण, तुरतुरिया आदि …
Read More »हमारी सांस्कृतिक धरोहरें एवं परम्पराएं
मनुष्य की पहचान कही जाने वाली मानव संस्कृति और इसमें रची-बसी कृत कला रूपों की प्रेरणा स्रोत एवं मूल आधार विषयक सवाल पर अध्ययन कर हम पाते है कि आनंद उत्सर्जना के हेतु, सृजित समग्र सृष्टि की मूल स्रोत है प्रकृति, जिसका आधार परम्तत्व माना जाता है। शिक्षा-दीक्षा के द्वारा …
Read More »बस्तर की वनवासी संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग : साजा वृक्ष
बस्तर में निवासरत विभिन्न जाति एवं जनजाति के लोग प्रकृति आधारित जीवन-यापन करते है। ये लोग आदिकाल से प्रकृति के सान्निध्य में रहते हुये उसके साथ जीने की कला स्वमेव ही सीख लिए हैं। यहाँ के रहवासियों का मुख्य व्यवसाय वनोपज, लघुवनोपज संग्रहण कर उसे बेच कर आय कमाना है। …
Read More »छत्तीसगढ़ का एक ऐसा वन्यग्राम जहाँ गांधी जी की पुण्यतिथि को प्रतिवर्ष भरता है मेला
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके विराट व्यक्तित्व के आगे विश्व का बड़े से बड़ा व्यक्ति भी बौना दिखाई देता है। यह एक करिश्माई व्यक्तित्व था जिसने पूरी दुनिया को सत्य और अहिंसा के पथ पर चलने का पाठ …
Read More »छेरिक छेरा छेर बरकतीन छेरछेरा : लोक पर्व छेरछेरा पुन्नी
जीवन में दान का बड़ा महत्व है। चाहे विद्या दान हो या अन्न दान, धनराशि दान हो या पशु दान स्वर्ण या रजत दान। चारों युगों में दान की महिमा का गान हुआ है। दान दाता की शक्ति पर यह निर्भर करता है। दान के संबंध में ये उक्तियाँ लोक …
Read More »छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम 1857 से पूर्व प्रारंभ हुआ : विशेष आलेख
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़वासियों की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता। वर्तमान छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम 1857 से पूर्व प्रारम्भ हो चुका था, तत्कालीन समय में यह जमींदारी क्षेत्र था तथा कलचुरियों, मराठों एवं अंग्रेजों के अधीन रहा। कभी मराठों से स्वतंत्रता पाने के लिए यहाँ …
Read More »