आज कार्तिक शुक्ल एकादशी है, चार महीने की योग निद्रा के पश्चात भगवान विष्णु जी के जागने का दिन है। हिन्दू परम्पराओं में यह दिन मांगलिक कार्यों का प्रारंभ माना जाता है। इस दिन से विवाहादि का प्रारंभ होता है। इस दिन तुलसी विवाह किया जाता है। दीपावली के …
Read More »पौराणिक देवी-देवताओं की वनवासी पहचान : बस्तर
पुरातन काल से बस्तर एक समृद्ध राज्य रहा है, यहाँ नलवंश, गंगवंश, नागवंश एवं काकतीय वंश के शासकों ने राज किया है। इन राजवंशों की अनेक स्मृतियाँ (पुरावशेष) अंचल में बिखरे पड़ी हैं। ग्राम अड़ेंगा में नलयुगीन राजाओं के काल में प्रचलित 32 स्वर्ण मुद्राएं प्राप्त हुई थी। नलवंशी राजाओं …
Read More »जानि सरद रितु खंजन आए
ईश्वर की बनाई सृष्टि भी अजब-गजब है, ईश्वर का बनाया प्रज्ञावान प्राणी मानव आज तक इसे बूझ नहीं पाया है। इस सृष्टि में सुक्ष्म से सुक्ष्म जीवों से लेकर विशालकाय प्राणी तक पाये जाते हैं, जिनमें जलचर, नभचर, थलचर एवं उभयचर हैं। नभचर प्राणियों में पक्षियों का अद्भुत संसार है …
Read More »जानिए क्या लिखा है सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर से प्राप्त प्राचीन शिलालेख में
राजधानी रायपुर से 82 किमी की दूरी पर प्राचीन नगर राजधानी सिरपुर स्थित है। वर्तमान सिरपुर ग्राम प्राचीन राजधानी श्रीपुर के भग्नावशेषों पर, भग्नावशेषों से बसा हुआ है। ग्राम के घरों की भित्तियाँ एवं नींव प्राचीन नगर की स्थापत्य सामग्री से निर्मित हैं, जो ग्राम भ्रमण करते हुए हमें दिखाई …
Read More »ऐसा जिनालय जहाँ स्थापित हैं तीन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं
छत्तीसगढ अंचल में जैन धर्मावलंबियों का निवास प्राचीन काल से ही रहा है। अनेक स्थानों पर जैन मंदिर एवं उत्खनन में तीर्थंकरों की प्रतिमाएं प्राप्त होती हैं। सरगुजा के रामगढ़ की गुफ़ा जोगीमाड़ा के भित्ति चित्रों से लेकर बस्तर तक इनकी उपस्थिति दर्ज होती है। चित्र में दिखाया गया मंदिर रायपुर …
Read More »जानिए वाल्मिकी आश्रम एवं लवकुश की जन्मभूमि तुरतुरिया का रहस्य
मोहदा रिसोर्ट से तुरतुरिया की दूरी 22 किमी और रायपुर से पटेवा-रवान-रायतुम होते हुए लगभग 118 किमी है। रायतुम के बाद यहाँ तक कच्ची सड़क है। शायद अभयारण्य में पक्की सड़क बनाने की अनुमति नहीं है। बाईक से सपाटे से चलते हुए ठंडी हवाओं के झोंकों के बीचे वन के …
Read More »जानिए असिपुत्री किसे कहा जाता है
छुरी मनुष्य के दैनिक जीवन का हिस्सा है, सभ्यता के विकास में पाषाण से निर्मित छूरी से प्रारंभ हुआ सफ़र अन्य कठोर वस्तुओं से निर्माण के पश्चात धातुओं की खोज के साथ आगे बढ़ता है। उत्खनन में पाषाण से लेकर ताम्र, लौह एवं अन्य धातुओं की छूरियां प्राप्त होती हैं। …
Read More »दंतेश्वरी मंदिर की प्राचीन प्रतिमा में सौंदर्य प्रसाधन पेटिका
बस्तर राजवंश की कुलदेवी दंतेश्वरी मंदिर का निर्माण चौदहवीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में काकतीयों के 2 शिलालेख भी स्थापित हैं। इस मंदिर में एक प्रतिमा है जिसमें दो स्त्रियों को दिखाया गया है। जिसमें एक के हाथ में पेटिका (पर्स) तथा दूसरी स्त्री के हाथ में “बिजणा” …
Read More »जानिये छत्तीसगढ़ के वन अभयारण्यों एवं उद्यानों को
वन्य पर्यटको एवं प्रकृति प्रेमियों के लिए छत्तीसगढ़ स्वर्ग से कम नहीं है। राज्य का लगभग 44 फ़ीसदी भू-भाग वनों से अच्छादित है। यहाँ विभिन्न तरह की वन सम्पदा के साथ जैविक विविधता भी दिखाई देती है। यहाँ भरपूर वन संपदा एवं वन्यप्राणि है। वन्य प्राणियों एवं वनों की रक्षा …
Read More »देखिए ऐसा प्राचीन शिवलिंग जिसमें एक लाख छिद्र हैं
तपोभूमि छत्तीसगढ़ को महाजनपद काल में दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। रामायण में वर्णित यह दण्डकारण्य प्रदेश अपने सघन वनों, सरल एवं सहज निवासियों, वन्य प्राणियों की आदर्श निवास स्थली, खनिजों एवं सुरम्य प्राकृतिक वातावरण के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ तीर्थों की भी कमी नहीं है। …
Read More »