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शोध आलेख

इस विभाग में विभिन्न विषयक शोध को स्थान दिया गया है।

रामायण साहित्यों में विज्ञान 

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ राम की पुरातन एवं सनातन ऐतिहासिकता के साथ-साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की स्थापना भी हो जाएगी। अब विभिन्न रामायणों में दर्ज उस विज्ञान की वैज्ञानिकताओं को भी मान्यता देने की आवश्यकता है, जिन्हें वामपंथी पूर्वाग्रहों के चलते वैज्ञानिक एवं बुद्धिजीवी न केवल नकारते रहे …

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छत्तीसगढ़ी लोक में गणित

गणित से मानव का अत्यन्त निकट संबंध है। वह गणित के बिना एक पग भी चल नहीं सकता। पल-पल में उसे गणित का सहारा लेना पड़ता है। साँसों का चलना, हृदय का धड़कना, नाड़ी की गति, ये सब नियत हैं और इसमें गणित भी है। यदि मानव की शारीरिक क्रियाओं …

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जिनकी रगों में दौड़ती थी भारतभक्ति की लहरें : भगिनी निवेदिता

स्वामी विवेकानन्द ने भगिनी निवेदिता से कहा था कि ‘भविष्य की भारत-संतानों के लिए तुम एकाधार में जननी, सेविका और सखा बन जाओ।’ अपने गुरुदेव के इस निर्देश का उन्होंने अक्षरश: पालन किया था। भारत की लज्जा और गर्व निवेदिता की व्यक्तिगत लज्जा और गर्व बन गये थे। किसी भी …

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शाक्त धर्म एवं महिषासुरमर्दिनी की प्रतिमाएं : छत्तीसगढ़

भारतवर्ष में मातृदेवी एवं शक्ति के रूप में देवी पूजन की परम्पराएं प्रचलित रही हैं। भारतीय संस्कृति की धार्मिक पृष्ठभूमि में शाक्त धर्म का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। सृष्टि के उद्भव से लेकर वर्तमान काल तक के संपूर्ण विकास में शक्ति पूजा का योगदान दिखाई देता है। नारी शक्ति को …

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गांधी ने पहचानी थी भारत की पुरानी पूँजी

भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा की शक्ति को समाप्त किए बिना अंग्रेज पूरे देश को चिरकाल तक अपना गुलाम नहीं बना सकते थे, यही आशय भारत में एक सर्वेक्षण के बाद लॉर्ड मैकॉले के ब्रिटिश संसद में दिए गए भाषण में था। भारत अपने प्राचीन ज्ञान परंपरा और विरासत पर …

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दक्षिण कोसल के शिल्प एवं शिल्पकार : विश्वकर्मा पूजा विशेष

शिल्पकारों ने कलचुरियों के यहाँ भी निर्माण कार्य किया, उनकी उपस्थिति तत्कालीन अभिलेखों में दिखाई देती है। द्वितीय पृथ्वीदेव के रतनपुर में प्राप्त शिलालेख संवत 915 में उत्कीर्ण है ” यह मनोज्ञा और खूब रस वाली प्रशस्ति रुचिर अक्षरों में धनपति नामक कृती और शिल्पज्ञ ईश्वर ने उत्कीर्ण की। उपरोक्त …

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दक्षिण कोसल की संस्कृति में पैली-काठा का महत्व

दक्षिण कोसल (छत्तीसगढ़) प्रांत प्राचीनकाल से दो बातों के लिए प्रसिद्ध है, पहला धान की खेती और दूसरा माता कौसल्या की जन्मभूमि याने भगवान राम की ननिहाल। यहाँ का कृषक धान एवं राम, दोनों से जुड़ा हुआ है। यहाँ धान की खेती प्रचूर मात्रा में होती है, इसके साथ ही …

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प्रकृति की अनुपम भेंट कांगेर वैली एवं उसकी अद्भुत गुफ़ाएं

कांगेर वैली राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ प्रदेश के बस्तर जिले के जिला मुख्यालय जगदलपुर में स्थित है। राष्ट्रीय उद्यान को कांगेर नदी से अपना नाम मिलता है, जो उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व दिशा में केंद्र से बहती है। वर्ष 1982 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत राष्ट्रीय उद्यान अधिसूचित किया …

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बरहाझरिया के शैलाश्रय और उसके शैलचित्र

कोरबा जिला 20°01′ उत्तरी अक्षांश और 82°07′ पूर्वी देशांतर पर बसा है। इसका गठन 25 मई 1998 को हुआ, उसके पहले यह बिलासपुर जिले का ही एक भाग था। यहाँ का क्षेत्रफल 712000 हेक्टेयर है। जिले में चैतुरगढ़ का किला, तुमान का शिव मंदिर और पाली का शिव मंदिर भारत …

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छत्तीसगढ़ में संग्रहालय : अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस विशेष

‘संग्रह’ न केवल मनुष्य वरन अनेक जीवों की आदिम प्रवृत्ति है। इस जैविक प्रवृत्ति का उदय कदाचित् जीवितता के लिये हुआ हो, किन्तु अन्य जीव-जन्तुओं की संचयी प्रवृत्ति जीवन की मूलभूत आवश्यकता ‘भोजन-वस्त्र-आवास’ के इर्द-गिर्द केन्द्रित रही जबकि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ उसकी संचयी-वृत्ति ने अनेक महत्वपूर्ण आयामों …

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