ऐसा कौन अभागा है, जिसे गायन, वादन, नृत्य दर्शन एवं संगीत श्रवण न रुचता होगा। प्रकृति में चहूं ओर संगीत भरा पड़ा है, कहीं शुन्यता नहीं है। इसी संगीत से मनुष्य ने भी स्वयं को जोड़ा एवं विभिन्न ध्वनियों के लिए वाद्य निर्मित किए एवं स्वयं को उसकी लय-ताल में …
Read More »बस्तर के जनजातीय समाज में नारी का स्थान एवं योगदान
आज जब समाज, साहित्य, सिनेमा में सर्वत्र नारी विमर्श जारी है, उनकी अस्मिता, उनके अधिकार और संरक्षण के लिये मनन-चिन्तन किया जा रहा है। ऐसे समय में बस्तर का सबसे बड़ा वनवासी समाज शान्त है। जैसे यह विषय उसका है ही नहीं, जैसे उसे इससे कुछ लेना-देना ही नहीं है, …
Read More »भोजन में निहित है मनुष्य के स्वास्थ्य का राज
धरती के किसी भी प्राणी को जीवन संचालन के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है एवं प्राण संचालन की उर्जा भोजन से प्राप्त होती है। मनुष्य भी चौरासी लाख योनियों में एक विवेकशील प्राणी माना गया है, इसे भी उर्जा के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। अन्य सभी प्राणियों …
Read More »छत्तीसगढ़ी लोक में रचा बसा रथदूज का त्यौहार
प्रकृति ने बड़ी उदारता के साथ छत्तीसगढ़ की धरती को अपना प्राकृतिक सौन्दर्य प्रदान कर इसे अग्रगण्य बनाया है। हरितिमा के गीत गाते जंगल, उन्नत शिखर लिए पहाड़, लहरों के स्वर में लोरी गाती नदियॉं श्लोक और ऋचाएँ गुनगुनाती चिड़ियाँ, स्वर्णिम आभा लिए लहराते धान के खेत, क्या कुछ नहीं …
Read More »सरगुजा अंचल में गंगा दशहरा
भारत धार्मिक आस्था वाला देश है। यहां के रहवासी पेड़-पौधों, पत्थरों और धातुओें में ही नहीं बल्कि नदियों में भी देवी देवताओं के दर्शन करते हैं। भारत में गंगा, गोदावरी, यमुना, सरस्वती, कावेरी, ब्रम्हपुत्र आदि महत्वपूर्ण नदियाँ हैं, जिन्हें प्राणदायनी माना जाता है। भारतीय जीवन और संस्कृति में नदियों का …
Read More »अद्वितीय वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई : पुण्यतिथि विशेष
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम हिन्दुस्तान की अद्वितीय वीरांगना के रूप में लिया जाता है। उनकी महत्ता का प्रमाण यही है कि सन् 1943 में जब नेता जी सुभाषचंद बोस ने सिंगापुर में आजाद हिंद फौज में स्त्रियों की एक रेजीमेंट बनाई तो उसका नाम ‘‘रानी झांसी रेजीमेंट’’ रखा …
Read More »भारतीय प्राचीन साहित्य में पर्यावरण संरक्षण का महत्व
प्रकृति और मानव का अटूट संबंध सृष्टि के निर्माण के साथ ही चला आ रहा है। धरती सदैव ही समस्त जीव-जन्तुओं का भरण-पोषण करने वाली रही है। ‘क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा, पंच रचित अति अधम सरीरा ।’ इन पाँच तत्वों से सृष्टि की संरचना हुई है। बिना प्रकृति के …
Read More »सामाजिक संदर्भ में लोक गाथा दसमत कैना
छत्तीसगढ़ के गाथा- गीत “दसमत कैना” में उड़ीसा के अन्त्यज समाज और छत्तीसगढ़ के द्विज समाज की तत्कालीन सामाजिक व्यवस्थाएँ स्पष्ट रूप से देखने में आती हैं। गाथा से जुड़े सामाजिक सन्दर्भों का बिन्दुवार वर्णन निम्नानुसार है – सामूहिकता, सहकारिता और व्यवसाय – नौ लाख ओड़िया लोगों का एक साथ …
Read More »देश विदेश के डाक टिकटों में राम
रामायण महाकाव्य केवल भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में पसन्द की जाती है, सूरीनाम, फिजी, गुयाना, मॉरीशस, वेस्टइंडीज आदि देशों के प्रवासियों ने रामायण को अपने हृदय में बसाया है। बहुत से एशियाई देशों में रामायण को अपनी भाषा में अनुवादित कर अपने धार्मिक ग्रन्थ के रूप में …
Read More »रामायण साहित्यों में विज्ञान
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ राम की पुरातन एवं सनातन ऐतिहासिकता के साथ-साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की स्थापना भी हो जाएगी। अब विभिन्न रामायणों में दर्ज उस विज्ञान की वैज्ञानिकताओं को भी मान्यता देने की आवश्यकता है, जिन्हें वामपंथी पूर्वाग्रहों के चलते वैज्ञानिक एवं बुद्धिजीवी न केवल नकारते रहे …
Read More »