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शोध आलेख

इस विभाग में विभिन्न विषयक शोध को स्थान दिया गया है।

अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलाने वाले अद्भुत योद्धा : चन्द्र शेखर आज़ाद

महान क्राँतिकारी चन्द्रशेखर आजाद एक ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे कि उन्होंने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध भारत के संपूर्ण क्राँतिकारी आँदोलन कारियों को एकजुट किया तथा बंगाल से पंजाब तक अंग्रेजी शासन की जड़ें हिला दीं। उनका जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के अंतर्गत ग्राम …

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सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय : गुरु पूर्णिमा विशेष

“गु अँधियारी जानिये, रु कहिये परकाश। मिटि अज्ञाने ज्ञान दे, गुरु नाम है तास।” कबीरदास ने गुरु के अर्थ और उनके बारे में अंनत लिखा है । यहाँ तक की सभी महापुरुषों ने गुरु को दुर्लभ मनुष्य जीवन की अत्यंत अनिवार्य कड़ी बताया है। कबीर कहते है-“गुरु गोविंद दाऊ खड़े …

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सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के प्रणेता : दुर्दम्य महारथी श्रीयुत मंगल पांडे

(19 जुलाई महा महारथी श्रीयुत मंगल पांडे की जयंती पर सादर समर्पित) ———–भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास लेखन का सबसे दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह रहा कि बरतानिया सरकार के विरुद्ध जितने भी सशस्त्र स्वतंत्रता संग्राम हुए, उनको विद्रोह, गदर, लूट, डकैती और आतंकवाद की संज्ञा दे दी गई और …

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रामचरित मानस में वर्णित ॠषि – मुनि एवं उनके आश्रम

भारत सदैव से ऋषि मुनियों की तपो भूमि रहा है, उनके द्वारा विभिन्न ग्रंथों की रचना की गई। उन्होंने ही हिमालय के प्रथम अक्षर से हि एवं इंदु को मिला कर भारत को हिंदुस्तान नाम दिया। हिन्दू धर्म ग्रंथों के दो भाग श्रुति और स्मृति हैं। श्रुति सबसे बड़ा ग्रन्थ …

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सुख – समृद्धि, उर्वरता, और सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी : दशम महाविद्या माँ कमला

(गुप्त नवरात्र के दशम महाविद्या माँ कमला देवी पर सादर समर्पित) माँ कमला देवी दस महाविद्याओं में से अंतिम हैं। देवी कमला को कमलात्मिका के नाम से भी जाना जाता है और वे समृद्धि की देवी हैं। धन और सौंदर्य की देवी के रूप में, उनकी पूजा उनकी शक्ति के …

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13 जुलाई 1660 सुप्रसिद्ध यौद्धा बाजी प्रभुजी देशपाँडे का बलिदान

अंतिम श्वाँस तक युद्ध करके शिवाजी महाराज सुरक्षित विशालगढ़ पहुँचाया दासत्व की लंबी अंधेरी रात के बाद भी यदि आज भारतीय सँस्कृति का दीप प्रज्वलित है तो इसके पीछे उन वीरों का बलिदान हैं जिन्होंने अंतिम श्वाँस तक संघर्ष करके इसकी ज्योति ठंडी नहीं होने दी । ऐसे ही बलिदानी …

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नारी शक्ति की अपरिमितता का द्योतक हैं, कालजयी वीरांगना रानी दुर्गावती

(24 जून को 460 वें बलिदान दिवस के पूर्ण होने, तदनुसार 461वें बलिदान दिवस पर सादर समर्पित) *गोंडवाना साम्राज्य का स्वर्ण युग *————– रानी दुर्गावती ने लगभग 16 वर्ष शासन किया और यही काल गोंडवाना साम्राज्य का स्वर्ण युग था।गोंडवाना साम्राज्य राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक,कला एवं साहित्य के क्षेत्र …

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देहि शिवा वर मोहि इहै, शुभ करमन ते कबहू न टरौं

गुरु गोविंद सिंह सिर्फ़ सिख समुदाय के ही नहीं, सारी मानवता के चहेते हैं। उनकी दूरदर्शिता अकल्पनीय है, उन्होंने भविष्य को देखते हुए श्री ग्रंथ साहिब को गुरु मानने की आज्ञा दी तथा खालसा पंथ की स्थापना की। आज्ञा भयी अकाल की, तभे चलायो पंथ। सब सिखन को हुकम है, …

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चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर : कबीर जयंती विशेष

कबीर पंथ के चौदहवे आचार्य पंथ श्री गृन्धमुनिनाम साहब ने अपने ग्रंथ ‘सद्गुरु कबीर ज्ञान पयोनिधि’ की प्रस्तावना में लिखा है,- “संसार के लोग राख के ढेर पर ही पैर रखकर चलते हैं- जलती आग पर नहीं, किन्तु जो इसके ठीक विपरीत होते हैं, आग पर चलकर अग्नि परीक्षा देते …

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चर्च की सत्ता के विरुद्ध उलगुलान के नायक बिरसा मुंडा

अमर क्रान्तिकारी बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 छोटा नागपुर कहे जाने वाले क्षेत्र में हुआ था। यह क्षेत्र अब झारखंड में है। उनकी माता सुगना देवी और पिता करमी मुंडा का गाँव झारखंड प्रांत के रांची जिले में पड़ता है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम साल्वा में हुई।अंग्रेजी शिक्षा …

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