Home / nohukum123 (page 78)

nohukum123

चंद्र कलाओं पर आधारित हिन्दू त्यौहार : छेरछेरा पुन्नी विशेष

सूर्य और ग्रह मंडल से मिलकर सौरमण्डल बना है। जिसका मुखिया सूर्य है। सूर्य को ‘सर्वति साक्षी भूतम’ (सब कुछ देखने वाला) कहा गया है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य भगवान हर क्रियाकलाप के साक्षी हैं। भारतीय ज्योतिष में नव ग्रह हैं- सूर्य, चंद्र, बुद्ध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, …

Read More »

धरती और परिवेश को ऊर्जात्मक पहचान देता संग्रह – रात पहाही अंजोरी आही

छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह ‘‘रात पहाही अंजोरी आही’’ कवि डाॅ. पीसीलाल यादव छत्तीसगढ़ी के अत्यंत प्रतिभाशाली कवि हैं। प्रतिभाशाली कवि कहना ही काफी नहीं ‘अत्यंत’ भी लगाना पड़ता है। मैं तो छत्तीसगढ़ी के पूरे ही परिवेश से परिचित हूं, डाॅ. पीसीलाल यादव जी से मेरा परिचय डेढ़ दशक से है-कह सकता …

Read More »

भगवान राजीव लोचन एवं भक्तिन राजिम माता : विशेष आलेख

राजिम दक्षिण कोसल का सबसे बड़ा सनातन तीर्थस्थल के रूप में चिन्हित रहा है क्योंकि यह नगर तीन नदियों उत्पलेश्वर (चित्रोत्पला) (सिहावा से राजिम तक महानदी) प्रेतोद्धारिणी (पैरी) एवं सुन्दराभूति (सोंधुर) के तट पर बसा है। प्रेतोद्धारिणी की महत्ता महाभारत काल से पितृकर्म के लिए प्रतिष्ठित, चिन्हित रही है जिसका …

Read More »

लोकगीतों में राम और रामायण के पात्र

लोगों के कंठ में लोकगीत समाहित रहते है, जो साहित्य की एक विधा है। हर एक भाषा के अपने लोकगीत है जो ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं द्वारा विशेष अवसर पर गाये जाते है। जिसका अपना एक विशेष महत्व होता है, श्रीराम ऐसे महान विभुति है जिनके व्यक्तितव से सारा संसार …

Read More »

जानिए कहाँ शबरी ने भगवान राम को बेर खिलाए थे

जिसका मन सुंदर हो, उसे सारी दुनिया सुंदर नजर आती है। मन से सभी तरह के भेद मिट जाते है। ईश्वर की बनाई सारी रचना खूबसूरत जान पड़ती है। ऐसे ही भगवान राम हैं, उनके दर्शनों के लिए व्याकुलता से प्रतीक्षा करती शबरी से राम जी की भेंट का वर्णन …

Read More »

प्राचीन नगर मल्हार का पुरातत्व

प्राचीन नगर मल्हार छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में अक्षांक्ष 21 90 उत्तर तथा देशांतर 82 20 पूर्व में 32 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। बिलासपुर से रायगढ़ जाने वाली सड़क पर 18 किमी दूर मस्तूरी है। वहां से मल्हार, 14 कि. मी. दूर है। देऊर मंदिर प्राचीन …

Read More »

बहुआयामी जीवन संदर्भों के रचनाकार: नारायण लाल परमार

01 जनवरी, परमार जी के जन्मदिन पर केन्द्रित लेख कवि एक शब्द जरूर है, किन्तु कवि होने का अर्थ हर युग में एक नहीं रहा है। यह केवल कालगत सत्य नहीं है। एक ही समय में भी, विभिन्न परिस्थितियों वाले देशों में कवि होने का अर्थ बदल जाता है। कभी-कभी …

Read More »

ह्रदय से अत्यंत ही भावुक लेकिन तेजस्वी नेता थे अटल बिहारी वाजपेयी : अशोक बजाज

भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है. हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं. पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं. कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है. यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है, यह तर्पण …

Read More »

जन-जागरण तथा सामाजिक क्रांति के अग्रदूत : पंडित सुन्दरलाल शर्मा

छत्तीसगढ़ केवल एक जनजातीय क्षेत्र ही नहीं है। यह एक ऐसा वैचारिक केन्द्र भी रहा है,जहाँ से एक सामाजिक परिवर्तन का सूत्रपात हुआ। शोषित उपेक्षित दलित समाज को मुख्यधारा में जोड़नेे का कार्य जहां से प्रारंभ हुआ, वह छत्तीसगढ़ ही है। इसमें पंडित सुन्दरलाल शर्मा की एक महती भूमिका रही …

Read More »

कलचुरी नरेश कर्णदेव जिन्हें इंडियन नेपोलियन कहा गया

अमरकंटक मेकलसुता रेवा का उद्गम स्थल है, यह पुण्य स्थली प्राचीन काल से ही ॠषि मुनियों की साधना स्थली रही है। वैदिक काल में महर्षि अगस्त्य के नेतृत्व में ‘यदु कबीला’ इस क्षेत्र में आकर बसा. वैदिक ग्रंथों के अनुसार विश्वामित्र के 50 शापित पुत्र भी यहाँ आकर बसे। उसके …

Read More »