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शिव मंदिर देवखूंट का पुरातात्विक विश्लेषण

ग्राम देवखूंट 20॰ 19’ उत्तरी अक्षांस तथा 81॰ 87’ पूर्वी देशांतर पर, धमतरी-सिहावा मार्ग पर ग्राम बिरगुड़ी के आगे टेमनीपारा नामक बाजार मोहल्ले से बायें तरफ लगभग 10 किलोमीटर दूरी पर जंगली तथा कच्चे रास्ते में दुधावा बाँध के ऊपर, बाँध की तलहटी में स्थित है जो वर्तमान में धमतरी …

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एक अकेला पार्थ खडा है, भारत वर्ष बचाने को।

एक अकेला पार्थ खडा है, भारत वर्ष बचाने को। सभी विपक्षी साथ खड़े हैं, केवल उसे हराने को।। भ्रष्ट दुशासन सूर्पनखा ने, माया जाल बिछाया है। भ्रष्टाचारी जितने कुनबे, सबने हाथ मिलाया है।। समर भयंकर होने वाला, आज दिखाई देता है। राष्ट्र धर्म का क्रंदन चारों ओर सुनाई देता है।। …

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पौराणिक आस्था का मेला शिवरीनारायण

आदिकाल से छत्तीसगढ अंचल धार्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। यहां अनेक राजवंशों के साथ विविध आयामी संस्कृतियां पल्लवित व पुष्पित हुई हैं। यह पावन भूमि रामायणकालीन घटनाओं से भी जुड़ी हुई है। यही कारण है कि छत्तीसगढ में शैव, वैष्णव, जैन एवं बौध्द धर्मों का समन्वय रहा है। वैष्णव …

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छत्तीसगढ़ में शिवोपासना की परंपरा

छत्तीसगढ़ वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों का विकास केंद्र रहा है। यहां प्राप्त मंदिरों, देवालयों और उनके भग्नावशेषों से ज्ञात होता है कि यहां वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध, जैन धर्म एवं संस्कृतियों का प्रभाव रहा है। शैवधर्म का छत्तीसगढ़ में व्यापक प्रभाव परिलक्षित होता है। जिसका प्रमाण …

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बस राम लिखूं

रघुकुल गौरव, अवध सिया के, दशरथ कोशला राम लिखूं। या रावण हंता, दुष्ट दलंता, लंका विजई सम्मान लिखूं। है अनुज दुलारे भरत भाल, जिन पर मैं अपना स्वास लिखू।है अनुज दुलारे लखन लाल, जिन पर मैं अपना विश्वास लिखूं। ये सम्मानित राघव रघु कुल, ना काम क्रोध मद लोभ लिखूं।केवट …

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चितावरी देवी मंदिर धोबनी का स्थापत्य शिल्प

धोबनी ग्राम रायपुर-बिलासपुर राजमार्ग पर दामाखेड़ा ग्राम से बायें तरफ लगभग 2 कि.मी. दूरी पर स्थित है। रायपुर से धोबनी की कुल दूरी लगभग 57 कि.मी. है। (इस ग्राम में वर्ष 2003 तक स्थानीय बाजार तथा पशु मेला रविवार को भरता था जो वर्तमान में किरवई नामक ग्राम के उत्तर …

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कलचुरिकालीन जगन्नाथ मंदिर खल्लारी

महासमुंद जिलार्न्तगत, महासमुंद तहसील मुख्यालय से खल्लारी 22 किमी. दूरी पर बागबाहरा मार्ग पर एवं रायपुर से 77 कि.मी. दूरी पर 20॰53’ उत्तरी अक्षांस तथा 82॰15’ पूर्वी देक्षांस पर स्थित है। रायपुर-वाल्टेयर रेल लाइन में भीमखोज रेलवे स्टेशन से 2 कि.मी. बायें तरफ पहाड़ी की तलहटी में खल्लारी स्थित है। …

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छत्तीसगढ़ की खड़िया जनजाति की जीवन शैली

खड़िया जाति भारत मे सर्वाधिक उड़ीसा, झारखंड के बाद छत्तीसगढ़ में पाई जाती है। जनगणना के अनुसार छतीसगढ़ में खड़िया 49032 है, जिसमें रायगढ़, फरसाबहार, जशपुर के बाद महासमुन्द जिले में इनकी आबादी अधिक है। बागबाहरा के जंगल क्षेत्र व बसना विकास खण्ड में भी इनकी बसाहट है। खड़िया जाति …

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विजयी भारत के प्रेरणास्रोत : छत्रपति शिवाजी महाराज

पूरे उत्तर भारत में मुगलों का शासन था। औरंगजेब जैसा राजा दिल्ली के तख्त पर था। दक्षिण में निजामशाही थी। हिन्दू धर्म खतरे में था। छोटे-बड़े हिन्दू राजा, सेनापति जो अपना पराक्रम, शौर्य मुगलों के लिए खर्च करते थे। ऐसे समय पर 15 वर्षीय बालक शिवाजी सामान्य परिवारों के अपने …

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प्राचीन सभ्यता का संवाहक श्री संगम तीर्थ राजिम

सृष्टि के प्रारंभ में विंध्याचल के दक्षिण का भू-भाग सबसे पहले अस्तित्व में आया। मानव सभ्यता के उदगम का यही स्थान बना। वैज्ञानिक मतों के अनुसार सिहावा पर्वत (शुक्तिमत) जो ‘बस्तर क्रेटॉन’ के अंतर्गत है, यह आद्य महाकल्प में निर्मित चट्टानों से बना है। जिस की औसत आयु 300 करोड़ …

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