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Tag Archives: जगदलपुर

सरोवरों-तालाबों की प्राचीन संस्कृति एवं समृद्ध परम्परा : छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में तालाबों के साथ अनेक किंवदंतियां जुड़ी हुई है और इनके नामकरण में धार्मिक, ऐतिहासिक तथा सामाजिक बोध होते हैं। प्रदेश की जीवन दायिनी सरोवर लोक कथाओं तथा लोक मंगल से जुड़े हुए हैं। यहा तालाबों की बहुलता के पृष्ठभूमि में प्राकृतिक भू-संरचना, उष्ण-कटिबंधीय जलवायु नगर और ग्रामों का …

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कोसल के कलचुरियों से बस्तर के सम्बन्ध

बस्तर रियासत पर रतनपुर के कलचुरि शासन के प्रभाव से सम्बन्धित कई तरह की कहानियाँ चलन में है; अत: थोडी बात कलचुरियों की। लगभग दसवी शताब्दी में त्रिपुरी से आ कर कलचुरियों की एक शाखा नें दक्षिण कोसल पर विजय हासिल की तथा कलिंगराज (1000-1020 ई.) नें अपनी सत्ता स्थापित …

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तेलीन सत्ती माई : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

देवी देवताओं के प्रति गहरी आस्था और अटल विश्वास के कारण आदिम जनजीवन में देवी देवताओं का विशिष्ट स्थान है। बस्तर में इन देवी देवताओं का एक अलौकिक साम्राज्य है और इस अलौकिक साम्राज्य की राजा हैं देवी माँ भंगाराम माई। बस्तर का प्रवेश द्वार बार मोड़ों वाली केशकाल घाटी …

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प्रकृति की अनुपम भेंट कांगेर वैली एवं उसकी अद्भुत गुफ़ाएं

कांगेर वैली राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ प्रदेश के बस्तर जिले के जिला मुख्यालय जगदलपुर में स्थित है। राष्ट्रीय उद्यान को कांगेर नदी से अपना नाम मिलता है, जो उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व दिशा में केंद्र से बहती है। वर्ष 1982 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत राष्ट्रीय उद्यान अधिसूचित किया …

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भगवान जगन्नाथ मंदिर और भव्य रथयात्रा

ओडिशा राज्य के तटवर्ती क्षेत्र में स्थित जगन्नाथ मंदिर हिन्दुओं का प्राचीन एवं प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। हिन्दुओं की धार्मिक आस्था एवं कामना रहती है जीवन में एक बार भगवान जगन्नाथ के दर्शन अवश्य करें क्योंकि इसे चार धामों में से एक माना जाता है। वैष्णव परम्परा का यह मंदिर …

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छत्तीसगढ़ में संग्रहालय : अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस विशेष

‘संग्रह’ न केवल मनुष्य वरन अनेक जीवों की आदिम प्रवृत्ति है। इस जैविक प्रवृत्ति का उदय कदाचित् जीवितता के लिये हुआ हो, किन्तु अन्य जीव-जन्तुओं की संचयी प्रवृत्ति जीवन की मूलभूत आवश्यकता ‘भोजन-वस्त्र-आवास’ के इर्द-गिर्द केन्द्रित रही जबकि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ उसकी संचयी-वृत्ति ने अनेक महत्वपूर्ण आयामों …

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बस्तर का नवाखाई त्यौहार एवं परम्परा

बस्तर अंचल के खेतीहर किसान उदार प्रकृति के प्रति सदैव कृतज्ञ रही है। उनकी संस्कृति में प्रकृति से उपजे उपादानों के लिए, नयी फसल के आने पर उसे ग्रहण करने से पूर्व समारोह पूर्वक कृतज्ञता अर्पण करता है। वैसे तो बस्तर अंचल में बारहों मास प्रकृति से प्राप्त किसी न …

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