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Tag Archives: नवरात्रि

लोक आस्था का केन्द्र : तपेश्वरी माता

दक्षिण बस्तर दन्तेवाड़ा जिले का ग्राम समलूर यद्यपि दूरस्थ वनांचल में बसा है, किन्तु लगभग एक हजार वर्ष पुराना भव्य शिव मंदिर के कारण इस गाँव की पहचान पुरातात्विक स्थल के रुप में हो चुकी है। शिव मंदिर को केन्द्र संरक्षित धरोहर घोषित किया गया है, तत्सम्बंधी सूचना पटल मंदिर …

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अटूट श्रद्धा एवं भक्ति का केन्द्र : माँ मड़वारानी

माँ मड़वारानी का प्रसिद्ध मंदिर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से लगभग 29 कि.मी.की दूरी पर खरहरी गाँव मे पहाड़ी के ऊपर गहरी खाई के समीप कलमी पेड़ के नीचे स्थित है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर के निकट एक दूसरे कलमी पेड़ में मीठे पानी का स्रोत था जो …

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नित वाणी में तेज भरो माँ!

नित वाणी में तेज भरो माँ! एक नहीं, नौ माताओं की, मुझको अद्भुत शक्ति मिले ।नित वाणी में तेज भरो माँ, मुझको नव-अभिव्यक्ति मिले।। ‘शैलपुत्री’ औ ‘ब्रह्मचारिणी’, ‘चंद्रघटा’ का वंदन है।‘कुष्मुण्डा’, ‘स्कन्दमात’ औ ‘कात्यायनी’ शुभदर्शन है। ‘कालरात्रि’, ओ ‘महागौरी’ तू, ‘सिद्धिदात्री’ की भक्ति मिले।।एक नहीं नौ माताओं की, मुझको अद्भुत …

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मोटियारी घाट की बंजारी माता : नवरात्रि विशेष

ग्राम्य जीवन जीने वाला लोक मानस बड़ा सीधा, सरल, सहज, भोला भाला, उदार और आस्थावान होता है। प्रकृति का हर उपदान उसके लिए देवता है। प्रकृति के कण–कण में देवत्व की अनुभूति करता है। इसलिए लोक समाज के इर्द–गिर्द देवी–देवताओं के स्थल बहुतायत रूप से मिलते है। यह भी देखा …

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लोक देवी रामपुरहीन डोंडराही माता

लखनपुर उदयपुर ब्लाक मुख्यालय की सरहद पर बिलासपुर मुख्य मार्ग पर स्थित ग्राम जेजगा मे अंचल की आराध्य देवी माता रामपुरहीन सिद्ध पीठ के रूप में विराजमान है। ऐसी मान्यता है कि यहां से कोई भी श्रद्धालु-भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। माता रामपुरहीन को अनेकों नाम जैसे डोंडराही अर्थात (अल्हड …

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सरगुजा अंचल की आराध्य देवी माँ गढ़वतिया माई : नवरात्रि विशेष

भारत के हृदय स्थल मध्यप्रदेश के दक्षिणपूर्व भाग में छत्तीसगढ़ राज्य स्थित है। यह राज्य प्राचीन काल से गौरव का प्रतीक बना हुआ है। छत्तीसगढ़ के उत्तरांचल में आदिवासी बहुल संभाग सरगुजा है। यहाँ की प्राकृतिक सौम्यता, हरियाली, ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थल, लोकजीवन की झांकी, सांस्कृतिक परंपराएं, रीति-रिवाज, पर्वत, पठार, …

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नायक बनजारों की देवी बंजारी माता

नवा राजधानी अटल नगर से लगभग 5 किलोमीटर एवं अभनपुर से 11 किमी की दूरी पर बंजारी ग्राम स्थित है। इस छोटे से ग्राम में लगभग 45 घर हैं, इन 45 घरों में राजपुत, धुव्र जनजाति, पैनका एवं राऊत लोग निवास करते हैं। कुर्रु और बंजारी इन दोनों गांव की …

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सतबहनिया में से एक सियादेवी : नवरात्रि विशेष

सियादेई बालोद जिले का प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थल है। नवरात्रि में यहाँ दर्शनार्थी श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, वैसे तो आस पास के क्षेत्र से बारहों महीने यहाँ पर्यटक एवं श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं, परन्तु नवरात्रि पर्व पर बड़ी संख्या में आराधक पहुंचते हैं। यह स्थान बालोद जिला मुख्यालय …

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काकतीय वंश की कुलदेवी मां दंतेश्वरी

बस्तर का दंतेवाड़ा जहां विराजमान है काकतीय राजवंश की कुलदेवी मां दंतेश्वरी। डकनी, शंखनी और धनकिनी नदी संगम तट पर माता का मंदिर अपनी पारंपरिक शैली में बना है वनवासियों की आराध्या दंतेश्वरी माई के दरबार से बस्तर के हर तीज-त्यौहार और उत्सव प्रारंभ होते हैं। अपनी समृद्ध वास्तु कला, …

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जहाँ विराजी है मलयारिन माई : नवरात्रि विशेष

रायपुर से जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 पर विकास खंड मुख्यालय फरसगांव स्थित है। यहां से लगभग 16 कि. मी. दूर पश्चिम दिशा में पहाड़ियों से घिरा बड़ेडोंगर नामक गांव है, जहां पहले बस्तर की राजधानी हुआ करती थी। ग्राम बड़ेडोंगर के भैंसा दोंद डोंगरी ( महिषा द्वंद्व ) नामक …

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