नित वाणी में तेज भरो माँ!
एक नहीं, नौ माताओं की, मुझको अद्भुत शक्ति मिले ।
नित वाणी में तेज भरो माँ, मुझको नव-अभिव्यक्ति मिले।।
‘शैलपुत्री’ औ ‘ब्रह्मचारिणी’, ‘चंद्रघटा’ का वंदन है।
‘कुष्मुण्डा’, ‘स्कन्दमात’ औ ‘कात्यायनी’ शुभदर्शन है।
‘कालरात्रि’, ओ ‘महागौरी’ तू, ‘सिद्धिदात्री’ की भक्ति मिले।।
एक नहीं नौ माताओं की, मुझको अद्भुत शक्ति मिले ।
केवल भक्ति नहीं चाहिए, मानवता का ज्ञान धरूँ।
सद्कर्मो की जोत जलाऊँ, जन-जन का कल्यान करूँ।
उसकी सेवा में जीवन हो, जो भी वंचित व्यक्ति मिले।
एक नहीं नौ माताओं की, मुझको अद्भुत शक्ति मिले ।
कदम-कदम पर असुर बढ़ गए, नारी में देवी उतरे।
दुष्टो का संहार करो माँ, पापी-मन कुछ तो सुधरे।
ऐसा मनुज बना माते,सद्कर्मो में आसक्ति मिले।।
एक नहीं नौ माताओं की, मुझको अद्भुत शक्ति मिले।
बल, बुद्धि, वैभव भी पाएं, स्वस्थ रहे तन-मन माते ,
पल-पल हो मंगलमय सबका, बने शुद्ध जीवन माते।
गढ़ूं एक सुन्दर दुनिया माँ, वही एक अनुरक्ति मिले।।
एक नहीं नौ माताओं की, मुझको अद्भुत शक्ति मिले।।
सप्ताह के कवि