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Tag Archives: छत्तीसगढ़

जहाँ विराजी है मलयारिन माई : नवरात्रि विशेष

रायपुर से जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 पर विकास खंड मुख्यालय फरसगांव स्थित है। यहां से लगभग 16 कि. मी. दूर पश्चिम दिशा में पहाड़ियों से घिरा बड़ेडोंगर नामक गांव है, जहां पहले बस्तर की राजधानी हुआ करती थी। ग्राम बड़ेडोंगर के भैंसा दोंद डोंगरी ( महिषा द्वंद्व ) नामक …

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वन डोंगरी में विराजित गरजई माता : नवरात्रि विशेष

प्राचीन काल से छत्तीसगढ़ अपनी शाक्त परम्परा के लिए विख्यात है, यहाँ अधिकांश देवियाँ डोंगरी में विराजित हैं। इस लिए देव स्थलों में मनमोहक नयनाभिराम प्राकृतिक सौंदर्य की भरमार है। यहां का लोक जीवन, गांव, नदी-नाले, जंगल और पहाड़ श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। आस्थावान छत्तीसगढ़ के लोकमानस पर …

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कलचुरी शासकों की कुलदेवी महामाया माई रायपुर : नवरात्रि विशेष

भारत देश के हृदय स्‍थल में स्थित प्राचीन दक्षिण कोसल क्षेत्र जिसे अब छत्‍तीसगढ के नाम से जाना जाता है, इस छत्‍तीसगढ राज्‍य के हृदय स्‍थल में बसे तथा राज्‍य की राजधानी होने का गौरव प्राप्‍त रायपुर शहर वर्तमान ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से ही प्राप्त है । लोकमत …

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करेला भवानी माई : नवरात्रि विशेष

छत्तीसगढ की पावन धरा पर स्थित धार्मिक स्थल डोंगरगढ़ से लगभग 14 कि0मी0 उत्तर दिशा की ओर जाने वाले सडक मार्ग पर, भण्डारपूर नामक ग्राम के समीप स्थित है ग्राम करेला, जिसे भंडारपुर करेला के नाम से भी जाना जाता है। यह ग्राम खैरागढ तहसील व पोस्ट ढारा के अंतर्गत …

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बस्तर की सामूहिक पूजा पद्धति ककसाड़

छत्तीसगढ़ प्रदेश के बस्तर संभाग में जीवन-यापन करने वाली जनजाति देव संस्कृति के पोषक है। वह अपने लोक देवी देवताओं के प्रति अपार श्रद्धा रखता है। उसकी यह भावना उसके कार्य-व्यवहार से परिलक्षित होती है। जनजाति समाज के तीज-त्यौहार देव कार्य सब अपने देवताओं को प्रसन्न करने और प्रकृति के …

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गढ़धनौरा गोबरहीन का विशाल शिवलिंग एवं पुन्नी मेला

महाशिवरात्रि पर्व पर त्रेतायुग के नायक भगवान श्रीराम के वनवास काल स्थल एवं 5वीं-6वीं शताब्दी के प्राचीन प्रसिद्ध शिवधाम गढधनौरा गोबरहीन में मेला लगता है। श्रद्धालु शिवभक्तों, प्रकृति से प्रेम करने वाले प्रकृति प्रेमियों एवं सभ्यता संस्कृति इतिहास में अभिरूचि रखने वाले जिज्ञासुओं की भारी भीड़ के चलते यंहा पर …

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महर्षि महेश योगी की जन्म भूमि पाण्डुका

छत्तीसगढ़ की पावन धरा अनेक संतों एवं महापुरूषों की जन्म स्थली रही है। उन्हीं में से एक दिव्यात्मा महर्षि महेश योगी जी हैं। इनका जन्म पवित्र राजिम नगरी से कुछ दूरी पर स्थित पाण्डुका ग्राम में 12 जनवरी सन् 1918 को एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। जहां पर …

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जैव जगत एवं पुरातत्व का सजीव संग्रहालय : बार नवापारा अभयारण्य

छत्तीसगढ़ के अन्यान्य वनांचलों की ही भांति बारनवापारा को भी एक रहस्यपूर्ण, अलग-थलग, सजीव व सतत् सृजनशील तथा बेदाग हरापन लिए बीहड़ वन क्षेत्र के रूप में सहृदय दर्शक सहज अनुभव करता है। जिस वन्य परिवेश के प्रत्यक्षानुभव प्राप्त करने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर से बारनवापारा की यात्रा …

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छत्तीसगढ़ के भरतपुर तहसील की शैलोत्कीर्ण गुफ़ाएं

छत्तीसगढ़ के उत्तर पश्चिम सीमांत भाग में स्थित कोरिया जिले का भरतपुर तहसील प्राकृतिक सौदंर्य, पुरातत्वीय धरोहर एवं जनजातीय/सांस्कृतिक विविधताओं से परिपूर्ण भू-भाग है। जन मानस में यह भू-भाग राम के वनगमन मार्ग तथा महाभारत कालीन दंतकथाओं से जुड़ा हुआ है। नवीन सर्वेक्षण से इस क्षेत्र से प्रागैतिहासिक काल के …

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मल्लालपत्तन (मल्हार) की स्थापत्य कला

मल्हार छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले में 21090’ उत्तरी अक्षांस तथा 82020’ पूर्वी देशांतर में स्थित है। मल्हार बिलासपुर से मस्तूरी होते हुये लगभग 32 कि.मी. दूरी पर पक्के सड़क मार्ग पर स्थित हैं कल्चुरि शासक पृथ्वीदेव द्वितीय के कल्चुरि संवत् 915 (1163 ई.) का शिलालेख जो कि मल्हार से …

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