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इतिहास

इतिहास विभाग में वैदिक साहित्य में इतिहास, पौराणिक इतिहास, जनजातीय कथाओं में इतिहास, रामायण, महाभारत एवं जैन-बौद्ध ग्रंभों में इतिहास, भारतीय राजवंशो का इतिहास, विदेशी आक्रमणकारियों (मुगल एवं अंग्रेज) का इतिहास, स्वात्रंत्येतर इतिहास, बस्तर भूमकाल विद्रोह, नक्सल इतिहास, घुमक्कड़ परिव्राजक ॠषि मुनि तथा आदिम बसाहटों के इतिहास को स्थान दिया गया है।

आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि

वाल्मीकि जयंती महान लेखक और महर्षि वाल्मीकि के जन्मदिवस की स्मृति के रूप में मनाई जाती है । महर्षि वाल्मीकि महान हिंदू महाकाव्य रामायण के लेखक होने के साथ-साथ संस्कृत साहित्य के पहले कवि भी हैं। उन्होंने रामायण नामक अद्भुत काव्य ग्रंथ की रचना की। उनके द्वारा लिखित भगवान राम …

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फ़िंगेश्वर राज का भव्य दशहरा उत्सव

विजयादशमी जिसे सामान्यतः दशहरा के नाम से जाना जाता है। असत्य पर सत्य की जीत और पराक्रम का पर्व है। जिसे संपूर्ण भारतवर्ष में अलग-अलग प्रकार से मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा देश भर में प्रसिद्ध है, जो लगभग चार महीने तक चलता है। बस्तर दशहरे के बाद …

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कोरबा की सर्वमंगला माई

कोरबा में हसदेव मंदिर के दाहिने तट पर विराजित माँ सर्वमंगला देवी कोरबा जमींदार परिवार की कुलदेवी है। कोरबा जब कोरवाडीह था, तब यहाँ कोरबा जमींदार के द्वारा राजमहल और सर्वमंगला मंदिर की स्थापना सोलहवीं शताब्दी सन् 1520 ईसवी में दीवान जोगीराय (जोगीदास) जी के द्वारा करवाया गया था। पहले …

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संतान सुख देने वाली देवी रमईपाट

हमारा छत्तीसगढ़, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की ननिहाल, जो अतीत में दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। यहां भगवान श्रीराम से जुड़ी अनेक घटनाएं घटित हुई है। यह पुण्य धरा भगवान श्रीराम से जुड़ी अनेक घटनाओं का साक्षी रही है। कदम कदम पर बिखरी लोकगाथाओं में रामायण से …

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लोक आस्था का केन्द्र : तपेश्वरी माता

दक्षिण बस्तर दन्तेवाड़ा जिले का ग्राम समलूर यद्यपि दूरस्थ वनांचल में बसा है, किन्तु लगभग एक हजार वर्ष पुराना भव्य शिव मंदिर के कारण इस गाँव की पहचान पुरातात्विक स्थल के रुप में हो चुकी है। शिव मंदिर को केन्द्र संरक्षित धरोहर घोषित किया गया है, तत्सम्बंधी सूचना पटल मंदिर …

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अटूट श्रद्धा एवं भक्ति का केन्द्र : माँ मड़वारानी

माँ मड़वारानी का प्रसिद्ध मंदिर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से लगभग 29 कि.मी.की दूरी पर खरहरी गाँव मे पहाड़ी के ऊपर गहरी खाई के समीप कलमी पेड़ के नीचे स्थित है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर के निकट एक दूसरे कलमी पेड़ में मीठे पानी का स्रोत था जो …

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मोटियारी घाट की बंजारी माता : नवरात्रि विशेष

ग्राम्य जीवन जीने वाला लोक मानस बड़ा सीधा, सरल, सहज, भोला भाला, उदार और आस्थावान होता है। प्रकृति का हर उपदान उसके लिए देवता है। प्रकृति के कण–कण में देवत्व की अनुभूति करता है। इसलिए लोक समाज के इर्द–गिर्द देवी–देवताओं के स्थल बहुतायत रूप से मिलते है। यह भी देखा …

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भारत माता के बहादुर लाल : लाल बहादुर शास्त्री

बात वर्ष 1928 की है, एक 24 वर्षीय नवयुवक का विवाह होने जा रहा था। नवयुवक था अत्यंत आदर्शवादी। अपने तत्वों के अनुसार जीवन जीने वाला। समाज में समानता स्थापित हो इसलिए उसने अपना उपनाम का भी त्याग कर दिया था। काशी विद्यापीठ से स्नातक पदवी प्राप्त करने के पश्चात् …

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कोडाखड़का घुमर का अनछुआ सौंदर्य एवं शैलचित्र

बस्तर अपनी नैसर्गिक सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध है। केशकाल को बस्तर का प्रवेश द्वार कहा जाता है, यहीं से बस्तर की प्राकृतिक सुन्दरता अपनी झलक दिखा जाती है। बारह मोड़ों वाली घाटी, ऊँचे-ऊँचे साल के वृक्ष, टाटमारी, नलाझर, मांझिनगढ़ और कुएमारी जैसे अनेक मारी (पठार) हैं। मारी में अनेक शैलचित्र, …

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जानिए ऑपरेशन पोलो क्या है?

भारत देश पर ब्रिटेन के लंबे शोषण, उत्पीड़नपूर्ण औपनिवेशिक शासन से 1947 मे स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद लौह व्यक्तित्व और अदम्य साहस के धनी तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल के अथक प्रयासों से 562 देशी रियासतों मे से अधिकतर का भारत विलय हो गया। जिन्ना जहां एक ओर द्विराष्ट्र …

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