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Tag Archives: स्वराज करुण

प्राचीन काल से अद्यतन सेवारत : नर्स दिवस विशेष

प्राचीन काल से परिचारक या परिचारिकाओं की सेवा लेने का चलन हमें प्रतिमा शिल्प एवं अन्य स्थानों में दिखाई देता है। देवी-देवताओं, राजा-महाराजाओं एवं तत्कालीन विशिष्ट नागरिक इनकी सेवा लेते थे। ये परिचारक और परिचारिकाएं प्राचीन काल में मंदिरों, देवालयों की भित्ति में अपना स्थान पाते रहे हैं। वर्तमान में …

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इशारों की भाषा है ग़ज़ल : पद्मश्री मदन चौहान से एक साक्षात्कार

ग़ज़ल इशारों की भाषा है। सूफ़ी नज़्मों और ग़ज़लों में भी इशारों-इशारों में रूहानी प्रेम के जरिए ईश्वर तक पहुँचने की बात होती है। सूफ़ी एक स्वभाव का नाम है। सूफ़ी रचनाओं का सार भी यही है कि ईश्वरीय प्रेम के लिए धरती पर इंसान और इंसान के बीच परस्पर …

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सभ्यता एवं लोक संस्कृति संवाहक चित्रोत्पला गंगा महानदी

नदियाँ हमारी धरती को प्रकृति की सबसे बड़ी सौगात हैं। जरा सोचिए! एक नदी के कितने नाम हो सकते हैं? छत्तीसगढ़ और ओड़िशा की जीवन रेखा 885 किलोमीटर की महानदी के भी कई नाम हैं। इसकी महिमा अपरम्पार है। इसके किनारों पर इसका उद्गम वह नहीं है, जिसे आम तौर …

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दक्षिण कोसल का पारम्परिक भित्ति चित्र सुलो कुठी

मानव मन की अभिव्यक्ति का एक प्राचीन माध्यम भित्ति चित्र हैं, जो आदि मानव की गुफ़ा कंदराओं से लेकर वर्तमान में गांव की भित्तियों में पाये जाते हैं। इन भित्ति चित्रों में तत्कालीन मानव की दैनिक चर्या एवं सामाजिक अवस्था का चित्रण दिखाई देता है। वर्तमान में भित्ति में देवी-देवताओं …

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दक्षिण कोसल में लघु पत्रिका आंदोलन : एक वो भी ज़माना था !

आधुनिक हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा में लघु पत्रिका आंदोलन का भी एक नया पड़ाव आया था। देश के हिन्दी जगत में मुख्य धारा की पत्रिकाओं से इतर यह एक अलग तरह की साहित्यिक धारा थी ।  भारतीय इतिहास में दक्षिण कोसल के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ में इस नयी …

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छत्तीसगढ़ का कथक नृत्य का रायगढ़ घराना

साहित्य ,कला और संस्कृति के क्षेत्र में दक्षिण कोसल यानी वर्तमान छत्तीसगढ़ प्राचीन काल से ही अत्यंत समृद्ध रहा है । भरत मुनि के नाट्य शास्त्र में वर्णित गुहा नाट्य शाला का वर्णन है, पुराविद मानते हैं कि सरगुजा के रामगढ़ की पर्वतीय गुफा स्थित सीता बेंगरा विश्व की प्राचीनतम …

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बस्तर का नवाखाई त्यौहार एवं परम्परा

बस्तर अंचल के खेतीहर किसान उदार प्रकृति के प्रति सदैव कृतज्ञ रही है। उनकी संस्कृति में प्रकृति से उपजे उपादानों के लिए, नयी फसल के आने पर उसे ग्रहण करने से पूर्व समारोह पूर्वक कृतज्ञता अर्पण करता है। वैसे तो बस्तर अंचल में बारहों मास प्रकृति से प्राप्त किसी न …

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छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन को गति देने में निर्णायक भूमिका निभाने वाले डॉ .खूबचन्द बघेल

क्या लोग थे वो ,जिन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी जनता के नाम कर दी और जो आजीवन आम जनता के हितों के लिए संघर्ष करते रहे ,जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी का एक -एक पल देश और समाज की सेवा में लगा दिया ,जिन्होंने अपने संघर्षों से इतिहास बनाया और जिनका जीवन ही …

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धरती के गर्भ से अनावृत हो रहा है प्राचीन नगर

राजा-रानी की कहानियाँ लोक का एक अंग है, दादी-नानी की कहानियों में भी राजा-रानी होते थे। जब किसी स्थल का पुरातात्विक उत्खनन प्रारंभ होता है। राजा-रानी एक बार फ़िर जीवित हो जाते हैं। कहीं राजा की मोतियों की माला मिलती है तो कहीं रानी का बाजूबंद और मुंदरी। फ़िर प्रमाण …

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दक्षिण कोसल का केदारनाथ शिवालय

केदारनाथ के नाम से ही स्पष्ट है कि यह एक शिवालय है, जो छत्तीसगढ़ के जिला मुख्यालय रायगढ़ से ओड़िशा के जिला मुख्यालय बरगढ़ जाने वाले रास्ते में तहसील मुख्यालय अम्बाभोना में मुख्य सड़क के किनारे स्थित है। पश्चिम ओड़िशा का यह इलाका कभी दक्षिण कोसल (छत्तीसगढ़) में समाहित था। …

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