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Tag Archives: स्वराज करुण

राम वनगमन पथ की रामलीलाओं पर छत्तीसगढ़ का पहला संदर्भ ग्रंथ प्रकाशित

दक्षिण कोसल यानी प्राचीन छत्तीसगढ़ को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का ननिहाल माना जाता है। लोक प्रचलित मान्यता है कि इस अंचल में उनकी माता कौशल्या का मायका रहा है।इस नाते भगवान श्रीराम छत्तीसगढ़ वासियों के भांजे हुए। उनके साथ मामा -भांजा का यह रिश्ता सैकड़ों-हजारों वर्षों से यहाँ के …

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छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य : कितना पुराना है इतिहास?

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस एक नवम्बर 2022 पर विशेष भारत के प्रत्येक राज्य और वहाँ के प्रत्येक अंचल की अपनी भाषाएँ, अपनी बोलियाँ, अपना साहित्य, अपना संगीत और अपनी संस्कृति होती है । ये रंग -बिरंगी विविधताएँ ही भारत की राष्ट्रीय पहचान है, जो इस देश को एकता के मज़बूत …

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छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ साहित्यकार

एक हजार साल से भी पुराना है छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य का इतिहास भारत के प्रत्येक राज्य और वहाँ के प्रत्येक अंचल की अपनी भाषाएँ, अपनी बोलियाँ, अपना साहित्य, अपना संगीत और अपनी संस्कृति होती है। ये रंग -बिरंगी विविधताएँ ही भारत की राष्ट्रीय पहचान है, जो इस देश को …

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छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के युग प्रवर्तक साहित्यकार पण्डित माधवराव सप्रे

सच्चाई की धार पर चलने वाली पत्रकारिता का रास्ता हमेशा से ही काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। देश और समाज की भलाई के लिए उच्च आदर्शो के साथ किसी पत्र – पत्रिका के सम्पादन और प्रकाशन में कितनी दिक्कतें आती हैं, इसे पण्डित माधवराव सप्रे जैसे मनीषी पत्रकार की संघर्षपूर्ण जीवन …

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महा मानव महात्मा गाँधी और छत्तीसगढ़ : पुण्यतिथि विशेष

महात्मा गांधी विश्व के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत रहेंगे। उन्होंने देश के ऐतिहासिक स्वतंत्रता संग्राम को सामाजिक जागरण के अपने रचनात्मक अभियान से भी जोड़ा, जिसमें शराबबन्दी ,अस्पृश्यता निवारण, सर्व धर्म समभाव, सार्वजनिक और व्यक्तिगत स्वच्छता, खादी और ग्रामोद्योग, ग्राम स्वराज, ग्राम स्वावलम्बन, पंचायती राज और बुनियादी शिक्षा जैसे कई …

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ग़ुलामी के बन्धनों में जीना याने स्वयं की ज़िन्दगी को तबाह करना: लाला लाजपत राय

लाला लाजपत राय जयंती विशेष आलेख उन्होंने कहा था -ग़ुलामी के बन्धनों में जीना याने स्वयं की ज़िन्दगी को तबाह करना है। लेकिन यह भी सच है कि आज़ादी भले ही हमें प्यारी हो, पर उसे पाने का रास्ता हमेशा कठिन चुनौतियों से भरा होता है। – अपने इन्हीं विचारों …

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छत्तीसगढ़ी के प्रथम नाटक के रचयिता : पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय

छत्तीसगढ़ के मनीषी साहित्यकारों में बहुमुखी प्रतिभा के धनी पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय का नाम प्रथम पंक्ति में अमिट अक्षरों में अंकित है। हिंदी और छत्तीसगढ़ी साहित्य को उनके अवदान का उल्लेख किए बिना प्रदेश का साहित्यिक इतिहास अपूर्ण ही माना जाएगा। कवि, कहानीकार, इतिहासकार और पुरातत्वविद तो वह थे …

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पुसौर के धातु शिल्पकार एवं बर्तन उद्योग

किसी ज़माने में राजे -महाराजे भले ही सोने -चाँदी के बर्तनों में भोजन करते रहे हों, लेकिन उस दौर में सामान्य प्रजा के घरों में काँसे और पीतल के बर्तनों का ही प्रचलन था। आधुनिक युग में भी अधिकांश भारतीय घरों में काँसे और पीतल के बर्तनों की खनक लम्बे …

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छत्तीसगढ़ के लोक-देवता पर पहला उपन्यास : देवी करिया धुरवा

दुनिया के अधिकांश ऐसे देशों में जहाँ गाँवों की बहुलता है और खेती बहुतायत से होती है, जहाँ नदियों, पहाड़ों और हरे -भरे वनों का प्राकृतिक सौन्दर्य है, ग्राम देवताओं और ग्राम देवियों की पूजा-अर्चना वहाँ की एक प्रमुख सांस्कृतिक विशेषता मानी जाती है। सूर्य, चन्द्रमा, आकाश, अग्नि, वायु, जल …

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राजभाषा के 72 साल : आज भी वही सवाल?

हमारे अनेक विद्वान साहित्यकारों और महान नेताओं ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में महिमामण्डित किया है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय एकता की भाषा भी कहा है। उनके विचारों से हम सहमत भी हैं। हमने 15 अगस्त 2021 को अपनी आजादी के 74 साल पूरे कर लिए और हिन्दी को राजभाषा …

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