Home / Tag Archives: ललित शर्मा (page 8)

Tag Archives: ललित शर्मा

रामनामी : जिनकी देह पर अंकित हैं श्री राम जी के हस्ताक्षर

प्राचीन छत्तीसगढ़ (दक्षिण कोसल) प्राचीन काल से ही राम नाम से सराबोर रहा है। छत्तीसगढ़ की जीवन दायनी नदी जिसका पुराणों में नाम चित्रोत्पला रहा है, राजिम स्थित इस नदी के संगम को छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है। महानदी के किनारे स्थित सिहावा, राजिम, सिरपुर, खरौद, शिवरीनारायण, तुरतुरिया आदि …

Read More »

महानदी उद्गम एवं कर्णेश्वर महादेव मंदिर

पुरातात्विक खजाने से समृद्ध छत्तीसगढ में हम जिस स्थान पर जाते हैं, वहां कुछ न कुछ पुरातात्विक सामग्री प्राप्त होती है तथा प्राचीन विरासत के एक नए अध्याय से परिचय होता है। रायपुर से धमतरी होते हुए 140 किलो मीटर पर नगरी-सिहावा है, यहां रामायण कालीन सप्त ॠषियों के प्रसिद्ध …

Read More »

वाल्मीकि आश्रम तुरतुरिया की मान्यता एवं प्रतिमाएं

प्राचीन दंडकवन ॠषि मुनियों की तप स्थली रहा है, रामायण में दण्डकारण्य के बहुत सारे ॠषि मुनियों का जिक्र आता है। दंडकारण्य की तत्कालीन भौगौलिक स्थिति के विषय में विद्वानों की भिन्न भिन्न राय है, परन्तु यह तो तय है कि प्राचीन दक्षिण कोसल दंडकारण्य का ही हिस्सा रहा है। …

Read More »

विराट नगर का शिवालय एवं मूर्ति शिल्प

प्राचीन विराट नगर आज का सोहागपुर है, यह वही सोहागपुर है, जहाँ नानक टेकरी भी है, कहते हैं कि गुरु नानक देव के चरण यहाँ पर पड़े थे फ़िर यहाँ से कबीर चौरा अमरकंटक पहुंचे, जहाँ कबीर दास एवं गुरु नानक की भेंट की जनश्रुति सुनाई देती है। यहाँ अन्य …

Read More »

अंधेरे में प्रकाश की किरण: सिरती लिंगी

सनातन की जड़ें बहुत गहरी हैं, ईसाईयों का तथाकथित प्रेम का संदेश एवं औरंगजेबी तलवारें भी इसे नहीं उखाड़ पाई। सदियों की नाकामी के बाद भी इनके प्रयास निरंतर जारी हैं। ऐसे में कोई व्यक्ति इनके सामने सीना तान कर चट्टान की तरह खड़ा हो जाए तो चर्चा का विषय …

Read More »

काया कल्प करने वाली औषधि : आंवला

मनुष्य का स्वास्थ्य प्रकृति के साथ जुड़ा हुआ है, प्रकृति हमें विभिन्न चमत्कारिक औषधियाँ प्रदान करती हैं तथा व्याधि होने पर मनुष्य औषधियों का सेवन कर स्वास्थ्य को प्राप्त करता है। ऐसी ही एक महाऔषधि है आंवला, आमलकी। आमलकी यानी आंवला को शास्त्रों में उसी प्रकार श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है …

Read More »

राष्ट्र की उन्नति में गौधन का विशेष योगदान : गोपाष्टमी विशेष

गाय विश्व की माता है (गावो विश्वस्य मातर:), वैदिक काल से ही गाय पूजनीया मानी जाती रही है। गाय भावनात्मक या धार्मिक कारणों से पूजनीया नहीं है, अपितु इसे मानव समाज की अनिवार्य आवश्यकता के कारण पूज्या माना गया है। गोउत्पाद की चर्चा वेदों में की गई है। परवर्ती काल …

Read More »

विश्व में सूर्योपासना की प्राचीन परम्परा

मानव ने धरती पर जन्म लेकर सबसे पहले नभ में चमकते हुए गोले सूर्य को देखा। धीरे-धीरे उसने सूर्य के महत्व समझा और उसका उपासक हो गया। सूर्य ही ब्रह्माण्ड की धूरी है। जिसने अपने आकर्षण में सभी ग्रहों एवं उपग्रहों को बांध रखा है। इसका व्यवहार किसी परिवार के …

Read More »

भाई एवं बहन के स्नेह का प्रतीक : भाई दूज

हमारा देश त्यौहारों एवं प्राचीन परम्पराओं की भूमि है, हमारे पंचांग के अनुसार कार्तिक मास को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, इसी मास में दिवाली जैसा महत्वपूर्ण त्यौहार आता है। जिसे उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। पांच दिवसीय दिवाली का समापन भाई दूज से होता है। इसे यम द्वितीया के नाम …

Read More »

आनंद का द्वार शरद पूर्णिमा त्यौहार

सनातन परम्परा प्रकृति को पूजती है, उसकी आराधना करती है। प्रकृति में सर्वप्रथम सूर्य और चंद्रमा के साथ पृथ्वी दृष्टिगोचर होती है। इसलिए प्रात: काल शैय्या से उठने एवं पृथ्वी पर पग धरने से पहले उसे नमन करने की परम्परा है। उसके बाद स्नानादिपरांत सूर्य को अर्घ देकर दिवस के …

Read More »